भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भी एक बड़ी आबादी रोजी रोटी के लिए खेती-किसानी पर निर्भर है. हालांकि किसानों में भी सभी किसानों की स्थिति एक जैसी नहीं है. भारत के ज्यादातर किसान छोटे व हाशिये पर हैं और अभी भी एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं.
उस समय भारत में जब ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज इतनी अधिक दरों पर उपलब्ध थे कि कई उधारकर्ता चुकाने में असमर्थता के कारण आत्महत्या कर लेते थे. स्मिता ने एक बेहतरीन मुहिम की शुरुआत की. स्मिता ने पाया कि कई लोग जरूरतमंदों की मदद करने को तैयार थे, लेकिन उधार देने के लिए कोई विश्वसनीय मंच नहीं था. उन्हें यह भी एहसास हुआ कि ऋणदाताओं को सफलता की कहानियां सुनने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि उनके पैसे के साथ क्या हो रहा है, इसकी सटीक कहानियां हों.
छोड़ी विदेश की नौकरी
सामाजिक प्रभाव डालने के अवसर को भांपते हुए, वह और उनके पति राम एनके भारत चले आए और अपनी बचत का उपयोग करके 2008 में व्यक्तियों से धन जुटाने और इससे वंचित लोगों को कम लागत वाला ऋण प्रदान करने के विचार के साथ रंग दे (Rang De) शुरू किया. शुरुआती दिन संघर्षपूर्ण थे. उन्होंने दूरदराज के इलाकों में किसानों को ऋण मुहैया कराने के लिए ब्रिटेन में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी. उन्हें समझाना था कि पीयर-टू-पीयर उधार का क्या मतलब होता है.Rang De एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो किसानों को सस्ती दरों पर लोन दिलाता है.
कैसे की तैयारी
उनके पास वित्त या बड़े संस्थानों से कोई समर्थन नहीं था. उस समय लिंक्डइन वगैरह भी नहीं होता था. दोनों को बाहर जाकर पहचान बनानी पड़ी, लोगों के विश्वास को जीतना पड़ा, मार्गदर्शन करना पड़ा और लोगों को साबित करना था कि वे गंभीर हैं. स्मिता याद करती हैं, "हमें गरीब लोगों को ऋण देने के बारे में विश्वास की कमी और पूर्वाग्रह को दूर करना था."
उन्होंने इंजीनियरों की शानदार टीम को धन्यवाद दिया जिसमें फुल स्टैक डेवलपर्स और डेटा वैज्ञानिकों शामिल हैं जिन्होंने रंग दे प्लेटफॉर्म बनाने के लिए कई बड़े ऑफर्स को ठुकरा दिया. उन्हें उन व्यवसायों के लिए कस्टम मेक लोन लाना पड़ा, जिनका नकदी चक्र नियमित नौकरियों से बिल्कुल अलग था. उन्हें उन अंडर बैंक्ड वाले लोगों के लिए डिजाइन करना था, जिनके बारे में बहुत कम डेटा था. उन्होंने साझेदारों का एक समूह तैयार किया. सामाजिक संगठन जो वास्तविक रूप से ऋण की आवश्यकता वाले लोगों को सुझाव देते हैं. स्वीकृत प्रोफाइल वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं. कोई व्यक्ति उनमें से किसी को भी उधार देना चुन सकता है, और वितरण से लेकर पुनर्भुगतान तक के हर कदम पर सभी द्वारा नज़र रखी जा सकती है.
8 हजार लोगों को दे चुकी हैं लोन
स्मिता को हाल ही में भारतीय महिला संस्थापकों के लिए Google के स्टार्टअप एक्सेलेरेटर के लिए चुना गया था. इस कार्यक्रम ने सही भागीदार कैसे प्राप्त करें, धन कैसे जुटाया जाए, इस बारे में जानकारी दी. स्मिता ने सीखा कि सहयोग से कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. रंग दे प्लेटफॉर्म ने पिछले तीन वर्षों में 8,000 से अधिक व्यक्तियों को 50,000 रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का कर्ज दिया है. स्मिता कहती हैं कि ये एक मदद है लेकिन समाधान नहीं है. समाधान वही है जो आप प्रदान करते हैं."