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16 साल से फल-फूल रही है ये दोस्ती...दुकान पर दिखाई न देने पर कुरैशी के घर चला जाता है मिट्ठू

कुरैशी जहां भी जाता है मिट्ठू उनके साथ जाता है फिर चाहे वह कार से जा रहा हो, काम पर जा रहा हो या पैदल चल रहा हो. मिट्ठू आकर अपने मालिक की पीठ पर बैठ जाता है. इकबाल कुरैशी मटन-चिकन बेचने का व्यवसाय करते हैं. तोता पिछले 16 साल से इकबाल कुरैशी के साथ है.

Friendship between man and parrot Friendship between man and parrot
हाइलाइट्स
  • 16 साल से है दोस्ती

  • कंधे पर बैठकर घूमता है मिट्ठू

पक्षियों और मनुष्यों का एक अलग रिश्ता होता है. पक्षियों से अगर प्यार करो तो वो भी इंसान को प्यार करने लग जाते हैं. इसके कई उदाहरण आपने पहले भी देखे होंगे. कुछ इसी तरह का संबंध चिपलून तालुका के खेरडी में पक्षियों और मनुष्यों के बीच बन गया है जो चर्चा का विषय है. ये रिश्ता है चिकन और मीट बेचने वाले इकबाल कुरैशी और उनके तोते मिट्ठू के बीच. खैर, यह आज का रिश्ता नहीं बल्कि 16 साल पुराना रिश्ता है. खास बात यह है कि इस तोते को न तो पाला गया है और न ही पिंजरे में रखा गया है, लेकिन फिर भी यह रिश्ता पिछले 16 सालों से फल-फूल रहा है.

कंधे पर बैठकर घूमता है मिट्ठू
कुरैशी जहां भी जाता है मिट्ठू उनके साथ जाता है फिर चाहे वह कार से जा रहा हो, काम पर जा रहा हो या पैदल चल रहा हो. मिट्ठू आकर अपने मालिक की पीठ पर बैठ जाता है. इकबाल कुरैशी मटन-चिकन बेचने का व्यवसाय करते हैं. यह तोता पिछले 16 साल से इकबाल कुरैशी के साथ है. अगर कुरैशी दुकान पर जाता है तो भी मिट्ठू उसके साथ होता है. कुरैशी जहां भी जाता है, तोता उसकी पीठ पर आ जाता है.

16 साल से है दोस्ती
इस बारे में बात करते हुए कुरैशी कहते हैं, ''मैं एक दिन जंगल में बकरियां चराने गया था, जब मैंने उसे देखा तो उस वक्त वह बहुत छोटा था. फिर वह मेरे साथ आया. चूंकि वह छोटा था, इसलिए मैंने उसे भगाने की कोशिश नहीं की. डेढ़ महीने के बाद, वह मुझे बेहतर तरीके से जानने लगा. फिर उसे मेरी आदत हो गई. हम उसे प्यार से मिट्ठू कहते हैं.  मैं इस क्षेत्र में जहां भी जाता हूं. वह मेरे साथ आने लगा.  अगर मैं उसे दुकान में नहीं दिखता, तो वह मुझे ढूंढता हुआ घर चला जाता है. वह पिछले 16 सालों से मेरे साथ है, मुझे कभी तकलीफ नहीं दी. मैं जो कुछ देता हूं वो खाता है.''

घर में सभी को जानता है तोता
उन्होंने आगे कहा, ''मैंने इसे किसी पिंजरे में बंद नहीं किया और न ही यह मेरे घर में रहता है. वह स्वतंत्र रूप से घूमता है, लेकिन दिन में कम से कम एक बार मुझे देखे बिना नहीं रहता. वह हमारे घर में सभी को जानता है लेकिन वह मेरे अलावा किसी के पास नहीं जाता है. अब वो मेरे परिवार का सदस्य बन गया है. मेरे कंधे पर उसको देखकर कई लोग उत्सुकता से मेरी और उसकी तस्वीरें लेते हैं. उसे खाने के लिए कुछ देते हैं. कुरैशी का कहना है कि अगर एक दिन भी वो तोते से ना मिले तो उन्हें कुछ अच्छा नहीं लगता.

(रत्नागिरी से राकेश गुडेकर की रिपोर्ट)