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ऐसा कौन-सा राज़ है जिसे छिपाने के लिए Nike, H&M जैसे बड़े-बड़े ब्रांड्स जला देते हैं अपना बचा हुआ सामान, जानें

ब्रांड कंपनियों का तर्क है कि वे अपने सामान को एक्सक्लूसिव ही रखना चाहते हैं. वे नहीं चाहते कि कोई भी दूसरा ब्रांड या कंपनी उसकी फर्स्ट कॉपी बना पाए. वह नहीं चाहते कि उनके ब्रांडेड सामान सेल पर या कम पैसों में बिके. इससे वे अपने ब्रांड की इमेज को बचाना चाहते हैं.

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हाइलाइट्स
  • अपने ब्रांड को रखना चाहते हैं एक्सक्लूसिव

  • बदलता फैशन भी है एक वजह

लोगों में लक्ज़री ब्रांड्स को लेकर अलग ही क्रेज रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये बड़े-बड़े ब्रांड अपने बचे हुए सामान या जो प्रोडक्ट बिका नहीं है उसके साथ क्या करते हैं? नाइकी (Nike), ज़ारा (Zara), बरबरी (Burberry), लुइस वुइटन (Louis Vuitton), अर्बन आउटफिट्टर्स (Urban Outfitters), एच एन्ड एम (H&M), माइकेल कोरस (Michael Kors), विक्टोरिया सीक्रेट (Victoria's Secret) जैसे बड़े बड़े ब्रांड अपने बचे हुए सामान को जला देते हैं. 

जी हां, लक्ज़री ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट को कभी भी सेल पर नहीं बेचते हैं. इसके पीछे का कारण है उस ब्रांड की यूनिक आइडेंटिटी.  

अपने ब्रांड को रखना चाहते हैं एक्सक्लूसिव 

दरअसल, इसके पीछे ब्रांड कंपनियों का तर्क है कि वे अपने सामान को एक्सक्लूसिव ही रखना चाहते हैं. वे नहीं चाहते कि कोई भी दूसरा ब्रांड या कंपनी उसकी फर्स्ट कॉपी बना पाए. ब्रांडेड सामान को सेल पर या कम पैसों में बेकने पर उसकी ब्रांड वैल्यू कम हो सकती है. ब्रांड की इमेज को बचाने के लिए ही इन्हें जलाया जाता है.

हालांकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, ब्रांड पहले अपने एम्प्लॉई, परिवारवालों और दोस्तों में इन प्रोडक्ट्स को बेचने का ट्राई करती हैं. और नहीं बिकने पर इसे जलाया जाता है. वॉक्स की रिर्पोट के मुताबिक, 2018 में बरबरी ने अपना 36 मिलियन डॉलर का सामान जला दिया था.

बदलता फैशन भी है एक वजह

दरअसल, हर दिन नया फैशन ट्रेंड में आ जाता है. ऐसे में फास्ट फैशन भी प्रोडक्ट्स को जलाने के पीछे के एक बड़ा कारण है. आजकल फैशन इतनी जल्दी जल्दी बदलता है कि कंपनियों को पुराने प्रोडक्ट्स को नष्ट कर देना ही जायज लगता है. पिछले सीज़न के बहुत सारे बिना बिके बैग, जूते और कपड़े जो कहीं नहीं जाते हैं या बिक नहीं पाते हैं, उन्हें जला दिया जाता है. 

वातावरण को पहुंचता है नुकसान 

गौरतलब है कि शुरू से ही इसके लिए कई एक्टिविस्ट आवाज उठाते रहे हैं. जहां एक तरफ कंपनियां कहती हैं कि उन्हें उनकी ब्रांड वैल्यू बचानी है, वहीं एक्टिविस्ट कहते हैं कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. इन प्रोडक्ट्स को सेल पर बेचने, फ्री में देने या दान करने जैसे विकल्प भी कंपनियों के सामने रखे गए हैं, लेकिन ज्यादातर कंपनियां अपनी ब्रांड वैल्यू बचाने के लिए इन्हें जलाना ही ठीक समझती हैं.

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