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32 साल विदेश में रहकर लौटे… कैंसर को मात दी, अब 76 साल की उम्र में लोगों को रोज़ फ्री में पिला रहे हैं पानी, जानिए मटका मैन की कहानी 

दिल्ली में रहने वाले अलग नटराजन रिटायर्ड इंजीनियर हैं. उन्होंने 32 साल विदेश में रहकर बतौर इंजीनियर काम किया है. साल 2005 में रिटायर होने के बाद उन्होंने यह तय किया कि वे यूके से वापस अपने देश लौटेंगे. और भारत वापिस लौट आए

Alakh Natrajan Alakh Natrajan
हाइलाइट्स
  • मटका मैन के नाम से जानते हैं लोग 

  • एक दिन मन में आया फ्री में पानी पिलाने का विचार 

यह हैं 76 साल के अलग नटराजन, जो भीषण गर्मी में रोज हजारों लोगों की प्यास बुझाने का काम करते हैं. इस नेक काम के लिए वह सुबह 4 बजे उठकर मटको में पानी भरकर साउथ दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में रखते हैं, ताकि जरूरतमंद लोगों की प्यास बुझ सके. फिलहाल गर्मी ज्यादा होने के कारण वे रोज 5000 से 6000 लीटर पानी लोगों में बांट रहे हैं.

मटका मैन के नाम से जानते हैं लोग 

अलग नटराजन दिल्ली के पंचशील पार्क में रहते हैं. लोगों को निशुल्क पानी पिलाने के नेक काम के कारण लोग इन्हें 'मटका मैन' के नाम से भी जानते हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. मटका मैन की कहानी तो यहां से शुरू होती है.

दरअसल, दिल्ली में रहने वाले अलग नटराजन रिटायर्ड इंजीनियर हैं. उन्होंने 32 साल विदेश में रहकर बतौर इंजीनियर काम किया है. साल 2005 में रिटायर होने के बाद उन्होंने यह तय किया कि वे यूके से वापस अपने देश लौटेंगे. और भारत वापिस लौट आए.

भारत लौटने के बाद वह इंटेस्टाइनल कैंसर से ग्रसित हो गए. कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनते ही उन्हें लगा जैसे सब कुछ खत्म हो चुका है. लेकिन उनकी इच्छा शक्ति और लोगों की मदद करने की चाह ने उन्हें मौत के मुंह से वापस खींच लिया. उन्होंने सफलतापूर्वक कैंसर को मात दी. उस समय उन्होंने कैंसर अस्पताल में अपनी सेवाएं दीं और फिर उसके बाद एक एनजीओ से जुड़ गए. 

एक दिन मन में आया फ्री में पानी पिलाने का विचार 

हालांकि,  वे स्वतंत्र रूप से लोगों की सेवा करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सोचा कि अब वे खुद ही बेड़ा उठाकर लोगों की मदद करेंगे. उन्हें एक दिन विचार आया कि क्यों न वे मुफ्त में लोगों को पानी पिलाकर समाज में नेक काम की शुरुआत करें. बस उसके बाद क्या था उन्होंने मटके खरीदे और चल पड़े लोगों की प्यास बुझाने.  

पहले तो उनकी कॉलोनी के निवासियों ने उनकी इस मुहिम का बहुत विरोध किया. लेकिन अलख  नटराजन रुके नहीं. 

2013 में जब उन्होंने सबको पानी पिलाने का नेक काम शुरू किया था तब उन्हें नहीं पता था कि आगे चलकर लोग उन्हें मटका मैन के नाम से जानने लगेंगे. मटका मैन की बेटी ने अपने जन्मदिन पर उन्हें ये नाम दिया और दिल्ली में वे इसी नाम से मशहूर हो गए.

वे कहते हैं, "मैं इस काम को बतौर सामाजिक कार्य के तौर पर नहीं करता बल्कि इसलिए करता हूं क्योंकि मेरे लिए मानवता ही सबसे पहले है."

अब तक लगा चुके 100 से ज्यादा मटके 

आपको बता दें, दक्षिण दिल्ली में अलग नटराजन अब तक 100 से भी ज्यादा मटके लगा चुके हैं. वे रोज़ उनमें पानी भरते हैं ताकि हर किसी को शुद्ध पीने का पानी मिल सके. गर्मियों में मटकों की संख्या 100 तक पहुंच जाती है. 

ग़ौरतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड ने उन्हें पानी का एक्सेस दे दिया है, लेकिन अलग नटराजन अकेले ही काम करना पसंद करते हैं. पेंशन, लाइफ़ सेविंग्स और कुछ दिल्ली वालों के डोनेशन की मदद से अलग नटराजन लोगों को 365 दिन शुद्ध पीने का पानी मुहैया करवा रहे हैं. कोरोना काल के दौरान भी जब लोग घर से बाहर निकलने को डरते थे तब भी उन्होंने अपनी इस मुहिम को जारी रखा.