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बचपन में स्कूल में नहीं मिला एडमिशन… लोगों ने विकलांगता का उड़ाया मजाक, सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित रितेश ने बनाया रिकॉर्ड और अब लाखों को दे रहे हैं प्रेरणा

ये कहानी 45 साल के रितेश सिन्हा की है. रितेश सेरेब्रल पाल्सी नाम की अवस्था से ग्रसित हैं. बचपन में लोगों ने उनकी विकलांगता का काफी मजाक उड़ाया था. लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते गए. आज रितेश लाखों लोगों की प्रेरणा बन चुके हैं. इतना ही नहीं बल्कि वे अपनी किताब भी लिख चुके हैं.

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हाइलाइट्स
  • लोगों को इसको लेकर कर रहे हैं जागरूक 

  • स्कूल में दाखिला मिलने में आई परेशानी 

जिंदगी में काफी मुश्किलें होती हैं, आप स्वस्थ होते हैं तो आप उनका सामना करते हैं. लेकिन शरीर अगर किसी चुनौती में उलझ जाए तो जिंदगी की मुसीबतें बढ़ने लगती हैं. और फिर एक समय आता है जब आपको लगता है कि आप इससे कैसे लड़ेंगे? इस कठिन सवाल का जवाब हमें  45 वर्षीय रितेश सिन्हा ने दे दिया है.

45 वर्षीय रितेश सिन्हा जन्म से ही सीपी यानी (सेरेब्रल पाल्सी) से ग्रसित हैं. लेकिन उन्होंने सीपी को हमेशा से ही 'कैपेबल पर्सन' के रूप में परिभाषित किया है. उन्हें बचपन में स्कूल में दाखिला देने से मना कर दिया गया था. लेकिन आज रितेश ने सीपी से ग्रसित लोगों के लिए विशेष मुद्राओं की खोज कर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करवाया है. इसी पर आधारित उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है. डॉ रितेश ने न केवल इस रोग को मात दी बल्कि वे लेखक, इन्नोवेटर और मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त कर चुके हैं.

बचपन से ही हैं इस अवस्था के शिकार 

रितेश की मां डॉक्टर पी आर सिन्हा पेशे से साइंटिस्ट हैं.  वह बताती हैं कि जन्म के बाद कुछ महीनों बाद रितेश एक आम बच्चे की तरह नहीं थे, उनकी क्रियाओं में कुछ कमी नजर आने लगी। थी. 11 महीनों तक रितेश अपने हाथ पाव नहीं हिला पा रहे थे. परिवार ने जब डॉक्टर को दिखाया तब पता चला कि उनका बेटा सेरेब्रल पाल्सी अवस्था से पीड़ित है. शारीरिक अक्षमता के कारण वे अपने शरीर को कंट्रोल करने में सक्षम नहीं थे, इसकी वजह से वह किसी भी तरह की क्रिया नहीं कर पा रहे थे. 

स्कूल में दाखिला मिलने में आई परेशानी 

रितेश की मां ने आगे बताया कि इसी कारण से कोई भी रितेश को स्कूल उन्हें दाखिला देने के लिए तैयार नहीं था. लंबे संघर्ष के बाद रितेश को एक स्कूल में दाखिला मिला. इसके बाद तमाम मुश्किलों के बावजूद उनके पढ़ने का सिलसिला जारी रहा. बाद में रितेश ने पीजीडीसीए, मास्टर्स इन आईटी के अलावा वैकल्पिक चिकित्सा में काफी पढ़ाई की और मुद्राओं पर रिसर्च के लिए मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की. 

रितेश की बहन बताती हैं कि प्रारंभिक शिक्षा में कई उतार-चढ़ाव के बावजूद उन्होंने अपने आप को इस काबिल बनाया कि वे आम बच्चों के साथ पढ़ सकें. इसलिए उन्होंने alternative happy for cerebral palsy नाम से एक एप्लीकेशन भी तैयार की है जिससे सीपी से ग्रसित लोग इस्तेमाल कर सकते हैं. 

खुद ही बनाई अपनी ट्राइसाइकिल 

पढ़ाई के लिए रितेश को बहुत छोटे अंतराल पर एक जगह से दूसरी जगह जाने में बहुत मुश्किल होती थीं. इस मुश्किल का हल उन्होंने खुद ही अपनी ट्राइसाइकिल बनाकर निकाला. रितेश का मानना है कि कहीं जाने के लिए उन्हें पूरी तरह से किसी और पर निर्भर रहना पड़ता था. बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने खुद के पैर से चलने वाला ट्राइसाइकिल का आविष्कार किया, जिसके बाद वह 10 किलोमीटर तक खुद ही कहीं भी आने जाने में सक्षम हैं.

लोगों को इसको लेकर कर रहे हैं जागरूक 

आम जनता को सेरेब्रल पाल्सी के बारे में जागरूक करने के लिए और सीपी से ग्रसित लोगों के लिए रितेश ने अंडरस्टैंडिंग ऑफ सेरेब्रल पाल्सी नामक एक किताब भी लिखी है. अपने इस काम के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. रितेश सिन्हा कहते हैं, "कुछ लोग मुझे विकलांग समझते हैं लेकिन मैं जानता हूं कि मैं एक मल्टी टास्कर हूं." 

रितेश ने व्हाट्सएप और फेसबुक पर 'सक्षम व्यक्ति' समूह भी बनाया हुआ है. सेरेब्रल पाल्सी वाले लगभग 100 लोग समूह का हिस्सा हैं. सिन्हा समूह पर बीमारी और उसके उपचार के बारे में सभी अपडेट और डेटा साझा करते हैं.