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Turmeric Leaves Pillow: हल्दी के वेस्ट पत्तों से बनाया देशी एंटीबायोटिक तकिया, लोगों के लिए सेहतमंद और किसानों की होगी एक्स्ट्रा आय

waste to best project ideas: कहते हैं कि कोई बेस्ट में वेस्ट देखता है तो बहुत से लोग वेस्ट में से बेस्ट निकालने का हुनर रखते हैं. हम जिन चीजों को कचरा या कबाड़ कहकर फेंक देते हैं, उसी कबाड़ से बहुत से लोग कारोबार खड़ा कर देते हैं. खासकर कृषि क्षेत्र में किसानों को खेती के वेस्ट के साथ इस तरह के प्रयोग करने चाहिए जिससे उनकी आय बढ़ सकती है.

Turmeric Leaves Pillow Turmeric Leaves Pillow
हाइलाइट्स
  • हल्दी की पत्तियों से बनाया तकिया 

  • कोविड महामारी में आया आइडिया

मध्य प्रदेश में सागर के प्रगतिशील और जैविक किसान आकाश चौरसिया इस तरह के प्रयोग लगातार कर रहे हैं और उन्हें सफलता भी मिली है. अच्छी नींद के लिए अलग-अलग तकनीक के गद्दे और तकियों के बारे में आपने बहुत से विज्ञापन देखे होंगे लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं आकाश के बनाए अनोखे तकिए के बारे में, जो न सिर्फ आपकी नींद बल्कि पूरी सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. 

हल्दी की पत्तियों से बनाया तकिया 
आकाश चौरसिया ने बताया कि उन्होंने हल्दी की खेती में बचने वाली हल्दी की पत्तियों का इस्तेमाल करके देशी एंटीबायोटिक तकिया बनाया है. जी हां, आपको सुनने में हैरानी हो सकती है लेकिन हमारे देश में कुछ लोग इस तकिए को इस्तेमाल भी कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह तकिया वाकई कारगर है. अब सवाल है कि आखिर आकाश को यह आइडिया कैसे आया? 

मल्टीलेयर तरीके से हल्दी की खेती

उन्होंने कहा, "कोविड महामारी ने बहुत से लोगों से उनके अपनों को छीना है. साथ ही, हमे बहुत कुछ सिखाया भी है. कोविड के समय में हमने एक बार फिर अपने देश के पारंपरिक तरीकों और आयुर्वेद पर भरोसा किया. इसी परिस्थतिति में हमें आइडिया आया कि दिन में तो मास्क लगाकर सुरक्षित रह सकते हैं लेकिन रात के समय मास्क लगाकर नहीं सोया जा सकता. ऐसे में, लगा कि अगर सामान्य तकियों की जगह किसी एंटीबायोटिक जैसे हल्दी के तकियों और गद्दे-रजाई आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं." 

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आकाश ने यह पहला प्रयोग किया. वह अपने खेतों में मल्टीलेयर खेती करते हैं. प्रेरणा वाली बात यह है कि इस मल्टीलेयर खेती की तकनीक को खुद आकाश ने विकसित किया है और अब देशभर में किसान इस तकनीक से खेती करके अच्छी मुनाफा कमा रहे हैं. आज उनकी इस तकनीक पर पीएचडी शोध भी किए जा रहे हैं. हल्दी उनकी फसलों में से एक है जो काफी अच्छे स्तर पर वह उगा रहे हैं. उनके पास खेतों में हल्दी के पत्ते और टहनियां आदि थीं जिनसे उन्होंने तकिया बनाया. यह प्रयोग सफल हुआ और अब वह हजारों किसान भाइयों को इसके बारे में निःशुल्क सीखा रहे हैं. 

कैसे बनता है यह तकिया 
मल्टीलेयर खेती पर देशभर में सेमिनार करने वाले आकाश का कहना है कि कुदरत की बनाई कोई भी वस्तू गुणहीन नहीं है. इसी तरह हल्दी के पत्तों में भी औषधियों गुण होते है. इन पत्तों को छाया में सुखाकर 20 प्रतिशत रूई के साथ या 100 प्रतिशत नरम पत्तियों के साथ 1.5x1 फीट के कपड़े के खोल में भर देते हैं और फिर इसकी सिलाई कर देते है. इसके ऊपर एक और कवर चढ़ाकर इस्तेमाल किया जा सकता है.  

हल्दी की वेस्ट पत्तियों से बना तकिया

हालांकि, पत्तियों को लेते समय ध्यान रखें कि पत्तियों में बहुत ज्यादा नमी न हो और न ही ये 100 प्रतिशत सूखी हों. पत्तियों में 2 से 5 प्रतिशत नमी होनी चाहिए और सिर्फ नरम पत्तियां ही तकिये में भरें. ध्यान रहे कि तकिया या गद्दे भरते समय मौसम शुष्क होना चाहिए. मौसम में नमी नहीं होनी चाहिए. पत्तियां भरते समय कपड़े के खोल में किसी तरह का गैप नहीं होना चाहिए. 

क्या हैं इस तकिये की खासियत 
आकाश का कहना है कि हल्दी के पत्तों से बनाया गया तकिया एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर होता है. इसमे मंद एसेंशियल ख़ुशबू भी होती है जो अच्छी नींद आने में मदद करती है. साथ ही, एंटीबायोटिक गुण होने के कारण त्वचा संबंधित रोगों में लाभ होता है और यह आपको बैक्टीरिया-वायरस जैसी समस्याओं से भी दूर रखता है.  

आकाश का कहना है कि उन्होंने सभी खर्चों को मिलाकर इसकी क़ीमत 500 रुपए रखी है. इसके जरिए बहुत सी ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार मिल सकता है. एक एकड़ के पत्तों से लगभग 200 तकिए आराम से बनते हैं और इनसे अच्छी खासी आय हो सकती है. इस तरह किसान अपने फसल वेस्ट से बेस्ट उत्पाद बना कर आय भी बढ़ा सकता है और साथ ही, समाज की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करके आत्म निर्भरता की तरफ बढ़ सकता है.

अगर आप इसके बारे में और ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो आप कभी भी आकाश के फार्म पर विजिट कर सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं.