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Sahara Sri Subrata Roy: स्कूटर पर नमकीन-बिस्कुट बेचने वाले ने कैसे खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस एंपायर, फिर कैसे हुई पतन की शुरुआत, जानिए कहानी

Subrata Roy Sahara Passes Away: सुब्रत राय ने गोरखपुर में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचने का काम शुरू किया. इसके बाद चिट फंड कंपनी शुरू की. लाखों लोग उनकी कंपनी में निवेश करने लगे. इस तरह से उनकी संपत्ति बढ़ती चली गई.

सुब्रत रॉय का मंगलवार को मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया (फोटो: फाइल) सुब्रत रॉय का मंगलवार को मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया (फोटो: फाइल)
हाइलाइट्स
  • सहारा श्री सुब्रत रॉय को सपने बेचने में महाराथ थी हासिल

  • मात्र 100 रुपए कमाने वाले लोग भी उनके पास 20 रुपए जमा कराते थे

सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार रात निधन हो गया. उन्होंने मुंबई के कोकिला बेन हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. वह 75 साल के थे. सहारा प्रमुख कई दिनों से बीमार चल रहे थे. आइए आज जानते हैं सहारा श्री ने कैसे करोड़ों का बिजनेस एंपायर खड़ा किया और फिर कैसे हुई पतन की शुरुआत? 

बिहार के अररिया में हुआ था जन्म
10 जून 1948 को बिहार के अररिया में जन्मे सुब्रत राय की स्कूलिंग कोलकाता से हुई थी. फिर वो गोरखपुर पहुंचे. सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग करने. पढ़ाई में मन लगता नहीं था. गोरखपुर में ही 1978 में सुब्रत रॉय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचने का काम शुरू किया. 

गरीब और मध्यम वर्ग को टारगेट किया
सुब्रत रॉय सपने बेचने में महाराथ हासिल थी. 1978 में सहारा ग्रुप बनाया. दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने चिट फंड कंपनी शुरू की. उन्होंने पैरा बैंकिंग की शुरुआत की. गरीब और मध्यम वर्ग को टारगेट किया. 80 के दशक में 100 रुपये कमानेवाले लोग उनके पास 20 रुपए जमा किया करते थे. कम रकम निवेश करने की स्कीम की वजह से लाखों लोग उनकी कंपनी में निवेश करने लगे. उनकी कंपनी और उनकी संपत्ति दोनों बढ़ती चली गई. इसके बाद वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए.  

संपत्ति दो गुनी से चौगुनी होती चली गई
देश की गलियों-गलियों तक उनकी ये स्कीम मशहूर हो गई. लाखों की संख्या में लोग सहारा के साथ जुड़ते चले गए. हालांकि साल 1980 में सरकार ने इस स्कीम पर रोक लगा दी. ये वो दौर था, जब सुब्रत रॉय सहारा ने हाउसिंग डेवलपमेंट सेक्टर में कदम रखा. इसके बाद वो एक के बाद सेक्टर में उनके पंख फैलते चले गए. रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तक सहारा फैल चुका था. देश ही नहीं दुनियाभर में सहारा का डंका बज रहा था. 11 सालों तक सहारा ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा. जैसे-जैसे सहारा का कारोबार बढ़ता गया, सुब्रत रॉय की संपत्ति दो गुनी, चौगुनी होती चली गई. 

लखनऊ के गोमतीनगर में अपना पूरा शहर बसा डाला
सहारा अपनी लाइफस्टाइल, लग्जरी के लिए मशहूर होते चले गए. अमेरिका के न्यूयार्क शहर में इनके 4400 करोड़ के दो आलीशान होटल हैं. मुंबई के एबीवैली में 313 एकड़ का डेवलपमेंट साइट, मुंबई के बरसोवा में 113 एकड़ की जमीन है. लखनऊ के गोमतीनगर में सुब्रत ने 170 एकड़ जमीन पर अपना पूरा शहर बसा डाला. देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके पास 764 एकड़ की जमीन है. माना जाता है कि उन्होंने अपने बेटों की शादी की तो उसमें 500 करोड़ से ज्यादा का खर्च किया था. कई जानी-मानी हस्तियां इस शादी में पहुंची थीं.

हॉकी से लेकर फॉर्मूला-1 तक पकड़
लंबे समय तक भारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सर रहा सहारा ग्रुप हॉकी टीम को भी स्पॉन्सर कर चुका है. समूह के पास फॉर्मूला-वन रेस के बड़े स्टेक हैं. सहारा खिलाड़ियों और फिल्मी हस्तियों के साथ नजदीकियों के कारण चर्चा में रहा है. एंबे वैली कई खिलाड़ियों की पसंदीदा जगह मानी जाती थी. सहारा ने लखनऊ में भी खूब निवेश किया. 

एक इशारे पर फिल्मी सितारे हाजिर हो जाते थे
एक दौर ऐसा आया कि सुब्रत के एक इशारे पर फिल्मी सितारे हाजिर हो जाते थे. अमिताभ बच्चन का करियर जब ढलान पर था तो सुब्रत ने उन्हें सहारा दिया. धीरे-धीरे राजनीतिक गलियारों में भी उनकी पहुंच बढ़ रही थी. अमर सिंह से लेकर मुलायम सिंह यादव तक सुब्रत राय के करीबी हो गए. 2004 में इनके दोनों बेटों की शादी में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक आए थे. अमिताभ, शाहरुख समेत कई बॉलीवुड सितारे मौजूद थे. 

सहारा के कंधे पर मुलायम सिंह यादव का हाथ रहा
सहारा समूह पैराबैंकिंग से शुरू होकर हाउसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, एयरलाइन्स, कंज्यूमर रिटेल, आईटी और मीडिया एंटरटेंमेंट तक पहुंच गया. इस बीच सहारा एयरलाइंस जरूर बंद हुई, लेकिन कंपनी की वैल्यू करीब 2.82 लाख करोड़ रुपए पार पहुंच गई थी. 
सहारा के कंधे पर जब तक मुलायम सिंह यादव का सहारा रहा तब तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन 2007 में सत्ता परिवर्तन के बाद से मायावती की निगाहें सहारा श्री पर टेढ़ी हो गई. 

क्यों आई गिरफ्तारी की नौबत
सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने रियल एस्टेट में निवेश करने के नाम पर वर्ष 2008 से 2011 के बीच वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के जरिए तीन करोड़ से अधिक निवेशकों से 17,400 करोड़ रुपए जुटाए थे. सितंबर, 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष दस्तावेज जमा किए, जिसमें सेबी को कुछ गड़बड़ी का अंदेशा लगा. इसी बीच सेबी के पास रोशन लाल नाम के एक व्यक्ति की तरफ से सहारा के खिलाफ शिकायत आई. इसके बाद सेबी ने अगस्त, 2010 में दोनों कंपनियों की जांच करने के आदेश दिए थे.

12000 करोड़ का जुर्माना लगाया
सेबी ने आरोप लगाए कि सहारा ने अपनी दोनों कंपनियों के 3 करोड़ निवेशकों ने 24000 करोड़ रुपए जुटाए जबकि इनकी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं थी. नियमों के उल्लघंन मामले में सहारा पर 12000 करोड़ का जुर्माना लगाया गया. सेबी ने जब सहारा से निवेशकों के डिटल और दस्तावेज मांगे तो सहारा की ओर से 127 ट्रक डॉक्यूमेंट भेजे गए. इन ट्रकों के कारण मुंबई के बाहरी इलाके में ट्रैफिक जाम लग गया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. 

जहां मशहूर वकील राम जेठमलानी ने सुब्रत रॉय की ओर से दलीलें पेश की. उन्होंने सुब्रत रॉय को बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके. सुप्रीम कोर्ट का रूख सुब्रत रॉय के लिए सख्त बना रहा. सहारा को निवेशकों के पैसे 15 प्रतिशत ब्याज के साथ 24000 करोड़ रुपए लौटाने का निर्देश दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर फरवरी 2014 में सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया. दो साल जेल में रहने के बाद वो पेरोल पर बाहर आए.

पत्नी और बच्चे ने भारत को छोड़ इस देश की ले रखी है नागरिकता
बहुत कम लोगों को मालूम है कि सहारा श्री सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय और बेटे सुशांतो रॉय ने भारत की नागरिकता को छोड़कर बॉल्कन देश मैसेडोनिया की नागरिकता ले ली थी. उन्होंने यह नागरिकता भारतीय कानून से बचने के लिए ली थी. सहारा श्री के खिलाफ निवेशकों का पैसा न लौटाने को लेकर कई मामले चल रहे थे. ऐसे में उनके परिवार के सदस्यों ने दूसरे देश की नागरिकता लेकर खुद को भारतीय कानून से दूर करने की कोशिश की थी. 

मैसेडोनिया दक्षिण पूर्वी यूरोप में स्थित देश है. यह एक नया देश है, जो निवेश के लिए लोगों को नागरिकता प्रदान करता है.  रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी नागरिक जो मैसेडोनिया की नागरिकता लेना चाहता है, उसे बस 4 लाख यूरो के निवेश करने की घोषणा करनी होती है और 10 स्थानीय लोगों को नौकरी देनी होती है. ऐसा करने से उसे मैसेडोनिया की नागरिकता आसानी से मिल सकती है. इसके अलावा जो विदेशी मैसेडोनिया के रियल एस्टेट में 40 हजार यूरो से अधिक का निवेश करता है, उसे एक साल तक रहने का अधिकार मिल जाता है.