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History of Panchamrit: सावन में भोलेबाबा को लगता है पंचामृत का भोग, समुद्र मंथन से इस प्रसाद का कनेक्शन

सावन के महीने में बहुत से लोग 'पंचामृत' से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. पंचामृत को हिंदू धर्म में अमृत के समान माना जाता है और पूजा-पाठ में इसका बहुत ज्यादा महत्व है.

Panchamrit (Photo: Pinterest) Panchamrit (Photo: Pinterest)

सावन के महीने में भक्तजन अलग-अलग तरह से भगवान शिव की पूजा-अर्चना और अभिषेक करते हैं. भोलेनाथ का अभिषेक पानी और दूध के अलावा पंचामृत से भी किया जाता है. आपको बता दें कि पंचामृत एक पवित्र पेय है जो पांच सामग्रियों- दूध, दही, घी, शहद, चीनी से बनाया जाता है और आमतौर पर इसे मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. 

पंचामृत सबसे पहले देवताओं को अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में लोगों में वितरित किया जाता है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं पंचामृत की कहानी, जिसका किस्सा समुद्र मंथन से जुड़ा है. 

देवताओं का पेय है पंचामृत
पंचामृत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- 'पंच', जिसका अर्थ है पांच और 'अमृत', जिसका अर्थ है अमरता का अमृत. इसीलिए पंचामृत को 'देवताओं का पेय' भी कहा जाता है. पंचामृत को चरणा अमृत के नाम से भी जाना जाता है. यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक मिश्रण है जो आमतौर पर हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों या पूजा के दौरान तैयार किया जाता है. पंचामृत का इस्तेमाल 'अभिषेक' के दौरान भी किया जाता है, जो इस पवित्र मिश्रण से देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराने की एक प्रक्रिया है. 

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पंचामृत बनाने में उपयोग की जाने वाली सभी पांच सामग्रियां अपना अनूठा महत्व रखती हैं. जैसे दूध शुद्धता और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है जबकि घी ताकत और जीत का प्रतीक है. शहद मधुमक्खियों द्वारा उत्पादित किया जाता है, यह समर्पण और एकता का प्रतीक है. चीनी मिठास और आनंद का प्रतीक है, जबकि दही समृद्धि का संकेत देती है. 

समुद्र मंथन से है कनेक्शन 
पंचामृत को पवित्र और पवित्र पेय माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि विष के साथ समुंद्र मंथन से जो अमृत निकला था, आज उसी का रूप पंचामृत है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं ने पंचामृत पीने के बाद अमरता प्राप्त की थी. हालांकि, परंपरागत रूप से इसे पांच सामग्रियों से बनाया जाता है; लेकिन आज पंचामृत में केसर, पुदीना, केला, नारियल, खजूर और अन्य सामग्रियां हो सकती हैं.

आयुर्वेद की पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणाली के अनुसार, पंचामृत मिनरल्स और जड़ी-बूटियों से बना एक उपचार है जो पूजा के दौरान उपयोग किए जाने वाले अमृत के समान दिखता है. इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है. कहा जाता है कि पंचामृत प्रतिरक्षा में सुधार करता है, और पित्त दोष को संतुलित करता है.