

हिंद महासागर (Indian Ocean) स्थित सेंटिनल द्वीप (Sentinel Island) और यहां रहने वाली सेंटिनल जनजाति इस समय पूरी दुनिया में चर्चा में हैं. दरअसल, एक अमेरिकी यूट्यूबर बिना इजाजत भारत के प्रतिबंधित सेंटिनल द्वीप पर पहुंच गया था. इंडियन पुलिस ने इस अमेरिकी यूट्यूबर को गिरफ्तार कर लिया गया है. वह अभी 14 दिनों की रिमांड पर है. आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरा माजरा और बाहरी दुनिया से अंजान 50 हजार साल का इतिहास समेटे सेंटिनल जनजाति (Sentinel Tribe) की कहानी?
अमेरिकी यूट्यूबर कैसे पहुंचा सेंटिनल द्वीप पर
भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्रतिबंधित सेंटिनल द्वीप पर जाने के जुर्म में गिरफ्तार 24 वर्षीय अमेरिकी यूट्यूबर मिखाइलो विक्टोरोविच पोल्याकोव पहले अंडमान के पोर्ट ब्लेयर पहुंचा और वहां से रबर की नाव के जरिए इस प्रतिबंधित द्वीप पर गत 29 मार्च को पहुंच गया. यहां पर समुद्र के किनारे पहुंचकर उसने लगभग घंटाभर बिताया ताकि सेंटिनल जनजाति के कुछ लोग दिख सकें.
इसके साथ ही इस यात्रा का वीडियो भी रिकॉर्ड किया और रेत के नमूने लेकर लौट गया. लौटने से पहले इस अमेरिकी यूट्यूबर ने वहां पर कोक की एक बोतल और नारियल भी छोड़ आया. वापसी में उसे स्थानीय मछुआरों ने देख लिया और पुलिस को सूचना दे दी. कथित तौर पर पोल्याकोव पिछले अक्टूबर में भी ऐसी कोशिश कर चुका था. अब हिरासत में उससे पूछताछ चल रही है कि आखिर उसका यहां जाने का मकसद क्या था? भारत सरकार ने पचास के दशक से सेंटिनल द्वीप पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है, ताकि जनजाति की सुरक्षा हो सके.
इतना पुराना है सेंटिनल जनजाति का इतिहास
सेंटिनल जनजाति दुनिया के सबसे अलग-थलग रहने वाले आदिवासियों में से एक हैं. इसके कारण इनके बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है. ऐसा माना जाता है कि सेंटिनल जनजाति के लोग अफ्रीका से निकले मानव समूहों के वंशज हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार आधुनिक मानव यानी होमो सेपियंस की उत्पत्ति करीब दो लाख साल पहले अफ्रीका में हुई थी.
60 हजार से 70 हजार साल पहले एक छोटा समूह अफ्रीका से निकलकर पूर्व की ओर चला, जो बाद में पूरी दुनिया में फैला. इसी समूह में से कुछ लोग समुद्र के रास्ते भारत के अंडमान द्वीप समूह पर पहुंचे. माना जाता है कि सेंटिनल, जारवा, ओंगे जैसी अंडमान की आदिम जनजातियां उन्हीं शुरुआती प्रवासी समूहों के वंशज हैं. माना जाता है कि सेंटिनल जनजाति के पूर्वज 50,000 सालों से सेंटिनल द्वीप पर रह रहे हैं. यह द्वीप करीब 60 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.
बाहरी दुनिया से रहते हैं अंजान
सेंटिनल जनजाति के लोगों का बाहरी दुनिया से संपर्क बेहद कम रहा है. ये खुद अपने क्षेत्र से बाहर नहीं जाते हैं और बाहरी दुनिया के लोगों को भी अपनी जमीन पर बर्दाश्त नहीं करते हैं. ये बाहरी लोगों को देखते ही उन पर तीरों की बारिश कर देते हैं. इस द्वीप के बारे में रिसर्च करने वालों का कहना है कि सेंटिनल जनजाति के लोग पहले पीठ के बल बैठकर अनचाहे मेहमानों को वापस जाने का इशारा करते हैं और फिर भी कोई न लौटे तो तीर चला देते हैं.
सेंटिनल को क्यों माना जाता है खतरनाक
नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड को दुनिया के सबसे खतरनाक द्वीपों में गिना जाता है. इस द्वीप पर आने वाले पर्यटक अक्सर सेंटिनली लोगों के तीरों की बारिश का सामना करते हैं और मारे जाते हैं. ऐसे में सेंटिनल द्वीप के तीन मील के दायरे में पर्यटकों का आना भी अवैध है. कई बार ऐसा हुआ है जब किसी ने यहां जाने की कोशिश की और उनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. साल 2008 में सेंटिनल लोगों ने ईसाई मिशनरी से जुड़े अमेरिकी युवक को तीरों से मार डाला था.
दरअसल, नवंबर 2018 में जॉन एलन बंगाल की खाड़ी से होते हुए नॉर्थ सेंटिनल द्वीप जाने के लिए निकला. उसका मकसद था कि वह इस पृथ्वी की सबसे अलग-थलग जनजाति तक ईसा मसीह का संदेश पहुंचाए. वह स्थानीय मछुआरों को कुछ पैसे देकर नाव के सहारे इस द्वीप के पास भी पहुंच गया. उसने 16 नवंबर 2018 की सुबह द्वीप पर उतरने की कोशिश की लेकिन सेंटिनल जनजाति के लोगों ने उस पर तीरों की बारिश शुरू कर दी. जिसमें वह मारा गया. इसके बाद इस जनजाति के लोगों ने जॉन एलन के शव को रेत में दफना दिया.
कैसे करते हैं गुजर-बसर
सेंटिनल जनजाति के लोग आज भी झोपड़ियों में रहते हैं. वे हर समय तीर-धनुष और भाले अपने साथ लेकर चलते हैं. खाने के लिए वह वनों और शिकार पर निर्भर हैं. इनको द्वीप के पास जल में मछली पकड़ते हुए देखा गया है. इन्होंने अपनी पारंपरिक जीवनशैली को आज तक नहीं बदला है. सेंटिनल जनजाति भारत सरकार के अधीन आती है. सरकार ने इस जनजाति के लोगों को उनके हाल पर छोड़ देना ही सबसे बेहतर माना है. भारत सरकार ने साल 1956 में उत्तरी सेंटिनल द्वीप को एक आदिवासी आरक्षित क्षेत्र घोषित किया था और इसके पांच किलोमीटर के दायरे में किसी भी यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया.