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Sharad Kulkarni: एवरेस्ट पर चढ़ते समय पत्नी की हो गई थी मौत, फिर भी नहीं रुके कदम, 60 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को किया फतह

शरद कुलकर्णी भारत के सबसे उम्रदराज पर्वतारोही हैं. वह एवरेस्ट सहित विश्व की सात चोटियों को फतह कर चुके हैं. एवरेस्ट  पर 2019 में पहली बार चढ़ाई के दौरान उनकी पत्नी की मौत हो गई थी. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और इस चोटी को फतह किया.

Sharad Kulkarni Sharad Kulkarni
हाइलाइट्स
  • शरद ने भारत के सबसे उम्रदराज पर्वतारोही बनने का बनाया रिकॉर्ड  

  • सात महाद्वीपों की सात चोटियों पर चढ़ाई की पूरी

कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है. बस इरादों में दम होनी चाहिए फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है. आपके हौसलों के आगे हर मुश्किल राह आसान हो जाती है. आप किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. यह साबित किया है मुंबई के रहने वाले शरद कुलकर्णी ने. वह 60 साल के हैं. पत्नी की मौत के बाद भी उनके कदम रुके नहीं. उन्होंने इसी साल के मई महीने में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया है. इस तरह से वह विश्व की सात ऊंची चोटियों पर चढ़ने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर चुके हैं.

50 की उम्र में बड़े पहाड़ों पर चढ़ना किया था शुरू  
शरद कुलकर्णी ने 50 साल की उम्र के बाद एक मिशन उठाया. विश्व के सात महाद्वीपों की सात चोटियों पर अपनी पत्नी अंजलि के साथ चढ़ने का. इसी सफर में उन्होंने अपनी पत्नी अंजलि को भी खो दिया था. वह 2019 में माउंट एवरेस्ट पर जब पत्नी के साथ पहली बार क्लाइंब कर रहे थे. उसी दौरान पत्नी की मौत हो गई थी. पर्वतारोहियों की अत्यधिक संख्या के कारण हिलेरी स्टेप के पास यातायात बाधित हो गया. ऊपर-नीचे जाने के लिए एक ही रस्सी होने के कारण भीड़ बढ़ गई और अंजलि इससे बच नहीं पाई. पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो गई.

हार नहीं मानी
शरद कुलकर्णी ने पत्नी की मौत के बाद भी हार नहीं मानी. उन्होंने न केवल बाकी चार चोटियों पर चढ़ाई की बल्कि माउंट एवरेस्ट पर भी दोबारा चढ़ाई की. जिस जगह अंजलि की मौत हुई थी, वहां वापस जाकर उन्हें अनोखी श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही उन्होंने सात चोटियों पर चढ़ने वाले भारत के सबसे उम्रदराज पर्वतारोही बनने का नया रिकॉर्ड भी बनाया. 

खुशी का नहीं था कोई अंत 
लक्ष्य पूरा करने की अपनी खुशी को याद करते हुए उन्होंने कहा, जब मैंने 23 मई को सुबह 10:23 बजे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर कदम रखा तो मेरी खुशी का कोई अंत नहीं था. मेरा वह सपना साकार हो गया था जो अंजलि और मैंने साझा देखा था. मेरा रोना बंद नहीं हो रहा था. ये खुशी के आंसू थे. माउंट एवरेस्ट की चोटी पर खड़ा होना एक दुर्लभ और भाग्यशाली अनुभव है. मुझे यह अवसर देने के लिए मैं हर किसी की मदद की सराहना करता हूं. शरद कुलकर्णी भारत के सबसे उम्रदराज पर्वतारोही हैं. उन्होंने अब तक माउंट वीनसों, माउंट देनाली, माउंट एल्बर्स, माउंट अकंसगुआ, माउंट एवरेस्ट, माउंट किलीमंजरो, माउंट कजियोस्को पर चढ़ाई पूरी की है.