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Shift Shock Trend: नौकरी बदलते ही नई जॉब से जल्दी ऊब जा रहा है आज के युवाओं का मन, समझिए शिफ्ट शॉक नाम के इस ट्रेंड को 

कर्मचारियों के बीच शिफ्ट शॉक की शुरुआत में कई फैक्टर हैं. इसका सबसे पहला कारण है कि हायरिंग प्रोसेस के दौरान एम्प्लोयी को अलग-अलग वर्क डिटेल्स दी जाती है, लेकिन जब वे असल में ऑफिस ज्वाइन करते हैं तो वे वास्तविक जिम्मेदारियां उनसे अलग होती हैं.

Shift Shock Trend (Photo: Unsplash) Shift Shock Trend (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • नई जॉब से जल्दी ऊब जाते हैं लोग

  • शिफ्ट शॉक नाम का ट्रेंड चल रहा है

पहले के समय में लोग अपनी पूरी जिंदगा केवल एक ही नौकरी में निकाल देते थे. लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है. लोग जल्दीृजल्दी नौकरियां बदलना पसंद करते हैं. साथ ही आज का युवा अपनी नौकरी से जल्दी ऊब भी जाता है. यही प्रवृति रोजगार के क्षेत्र में एक ट्रेंड के रूप में उभर कर सामने आ रही है. इसमें एम्प्लाइज का उनकी नई नौकरी से बहुत जल्दी मन भर जाता है. इस ट्रेंड को "शिफ्ट शॉक" कहा जा रहा है. दरअसल, युवा जब नौकरी बदलते हैं तो नई कंपनी से उनकी अपेक्षा काफी ज्यादा होती है, लेकिन जब वे जॉइन करते हैं तो उनके सामने स्थितियां एकदम अलग हो जाती हैं. जिसकी वजह से वे अपनी नौकरियों से जल्दी ऊब जाते हैं. और यही कारण है कि आज कल एम्प्लाइज जल्दी-जल्दी रेजिग्नेशन देते हैं. 

शिफ्ट शॉक कब से शुरू हुआ?

दुनियाभर में इस्तीफों की लहर की शुरुआत अभी से ही नहीं बल्कि बहुत पहले से चल रही है. इसकी शुरुआत नए, बेहतर वर्क स्टाइल, वर्क बैलेंस, सैलरी आदि, इन सभी को देखते हुए हुई. वर्तमान नौकरियों से एम्प्लाइज बड़े पैमाने पर रेजिग्नेशन देने लगे हैं. हालांकि, जब वे नई पोजीशन पर जाते हैं तो उन्हें एहसास होता है कि वो जगह उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है. इसी मोहभंग को शिफ्ट शॉक कहा जाता है. ये अलग-अलग  इंडस्ट्रियों में तेजी से प्रचलित हो रहा है.

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शॉक शिफ्ट की वजह क्या है?

दरअसल, कर्मचारियों के बीच शिफ्ट शॉक की शुरुआत में कई फैक्टर हैं. इसका सबसे पहला कारण है कि हायरिंग प्रोसेस के दौरान एम्प्लोयी को अलग-अलग वर्क डिटेल्स दी जाती है, लेकिन जब वे असल में ऑफिस ज्वाइन करते हैं तो वे वास्तविक जिम्मेदारियां उनसे अलग होती हैं. इसके अलावा, कंपनी का कल्चर, काम करने का माहौल, मैनेजमेंट सपोर्ट भी काफी मायने रखता है. 

शिफ्ट शॉक का कर्मचारी के मनोबल पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. जब व्यक्तियों को यह एहसास होता है कि उनका नया जॉब रोल उनकी अपेक्षा के हिसाब से नहीं है तो वे निराश होते हैं और उनका नौकरी से और काम करने से मन हट जाता है. 

कैसे निपटें शिफ्ट शॉक से?

शिफ्ट शॉक का अनुभव करने वाले व्यक्तियों के लिए, जरूरी है कि वे इस परिस्थिति से निपटें. इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप बातचीत करें. मैनेजमेंट से अपनी चिंताओं के बारे में बात करें. उनकी अपनी शिकायतें भी दर्ज करें. खुद से ज्यादा अनुभवी ट्रीममेट से भी आप सलाह या मार्गदर्शन ले सकते हैं. इसके अलावा, बहुत जल्दी गिव-अप करने का न सोचें, खुद को मानसिक तौर पर समझदार और मजबूत बनाएं. 

ऑर्गेनाइजेशन कैसे करे शिफ्ट शॉक को कम?

हालांकि, किसी ऑर्गेनाइजेशन में इस शिफ्ट शॉक को कम करने में मैनेजमेंट का भी बड़ा रोल होता है. पारदर्शिता, जवाबदेही और सहानुभूति वाले कल्चर को बढ़ावा मिलना जरूरी है. साथ ही जरूरी है कि लीडर एक ऐसा वातावरण बनाएं जहां कर्मचारी अपनी चिंताओं को खुलकर बता सके. साथ ही जब वह ऐसा करे तो उसे सशक्त महसूस हो. इसके अलावा, मैनेजमेंट और एम्प्लाइज के बीच बातचीत के दरवाजें हमेशा खुले रहने चाहिए.