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Mother's Day Special: IT कंपनी में मैनेजर की जॉब छोड़कर मां 7 साल के बेटे को लेकर घूम रही पूरा भारत...सिखा रही Road Schooling concept

बचपन से ही अनीका को घूमना-फिरना बहुत अच्छा लगता था. वह हमेशा मानती थी कि यात्रा करने से ज्यादा शक्तिशाली कुछ नहीं है, क्योंकि यह एक व्यक्ति को कई चीजें सिखाती है जो किताबों में भी नहीं होता है.

Aneekah sonawane with her son Aneekah sonawane with her son

पारंपरिक जीवन जीने में कुछ भी बुरा नहीं है, क्योंकि इसके अपने लाभ और विशेषाधिकार होते हैं. हालांकि, कुछ लोगों को पैटर्न के एक निश्चित सेट में रहना मुश्किल लगता है और वो हमेशा कुछ नया एक्सप्लोर करना चाहते हैं. ये वो लोग होते हैं जो हमेशा अपने कंफर्ट जोन से निकलकर कुछ नया करते हैं जो आम से अलग होता है. 

एक सोलो ट्रेवल के लिए कई सारी चुनौतियां होती हैं. इस दौरान कई बार उसे अंजान लोगों पर विश्वास करना पड़ता है और अपने प्रियजनों से दूर जाना पड़ता है, लेकिन फिर भी अकेले यात्रा करने में जो आनंद है वो कहीं और नहीं है. आज हम आपको पुणे की एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने बेटे के साथ भारत भर में घूमती है और दुनिया भर में कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है. हम बात कर रहे हैं अनीका सोनवणे की, जो सोशल मीडिया पर अपने यूजरनेम 'nomadmom_son' से जानी जाती हैं. भारत में उन्हें सोलो फीमेल ट्रेवलर के तौर पर जाना जाता है. इन सबमें सबसे खास बात जिसकी वजह से ये और भी पॉपुलर हैं वो ये कि अनीका अपने 7 साल के बेटे के साथ ट्रेवल करती हैं.

कब छोड़ी नौकरी
बचपन से ही अनीका को घूमना-फिरना बहुत अच्छा लगता था. वह हमेशा मानती थी कि यात्रा करने से ज्यादा शक्तिशाली कुछ नहीं है, क्योंकि यह एक व्यक्ति को कई चीजें सिखाती है जो किताबों में भी नहीं होता है. अनीका जब एक प्रतिष्ठित आईटी फर्म में आईटी मैनेजर के रूप में काम करती थी तब भी वो समय निकालकर नई जगहों की खोज करती थीं. हालांकि, जब COVID-19 आया तो अनीका के लिए चीजें कठिन हो गईं. वह अपने लिए समय नहीं निकाल पा रही थीं. इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया. यह उनके लिए इतना आसान नहीं था क्योंकि उनकी शादी हो चुकी थी और वो एक बच्चे की मां हैं. लेकिन घूमने के प्रति उनका लगाव ही था जिसने उन्हें यह निर्णय लेने में मदद की. साल 2020 में उन्होंने नौकरी छोड़कर उत्तराखंड और बनारस की ट्रिप प्लान की.

 

अनीका जब वहां से लौटीं तो उन्होंने अपने बेटे प्रांस को वहां की तस्वीरें दिखाईं. प्राण तस्वीरें देखकर इतने खुश हुए कि उन्होंने मां से अगली बार उन्हें भी साथ ले जाने को कहा. इसके बाद से दोनों मां बेटे साथ में ही ट्रेवल करते हैं.

पहली बार बेटे को लेकर गईं हिमाचल
इसके बाद दोनों मां-बेटे हिमाचल प्रदेश की स्पिति वैली गए. कोरोना के समय स्कूल भी बंद थे और ऑनलाइन क्लासेज  चल रही थी. अनीका को ये अच्छा नहीं लगता था कि उनका बेटा हर समय लैपटॉप के आगे बैठा रहे. इसलिए वो उसे अपने साथ ले जाने लगीं. अनीका जब पहली बार प्रांस को अपने साथ ले गईं तब वो 4 साल का था. इसके बाद अनीका ने उसके अंदर कई सारे बदलाव देखें. लोकल्स के साथ बातचीत करने के अलाव, नई-नई चीजें सीखने के साथ प्रांस ने ट्रेवलिंग के दौरान बहुत कुछ सीखा.

अनीका और प्रांस अब तक मुंबई, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और औरंगाबाद में कई जगहों को कवर कर चुके हैं. अनीका ट्रेवलिंग के दौरान ही प्रांस को रोड स्कूलिंग कराती हैं. रोड स्कूलिंग ने प्रांस को जीवन और समाज के प्रति और जिज्ञासु हो गया है. अनीका ने कहा कि स्कूल में बच्चों के पाठ्यक्रम में कही गई कई सारी चीजें काफी प्रतिबंधित हैं. पैंगोंग झील की अपनी यात्रा को याद करते हुए उन्होंने खुलासा किया कि कैसे प्रांस को पता चला कि यह दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील है.