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भारत के अलग-अलग राज्यों में पीरियड्स से जुड़े रीति-रिवाजों के बारे में जानिए

लड़कियां अपने पूरे जीवन में औसतन 3000 दिन पीरियड्स में जीती हैं. हर रोज इस दुनिया की करीब 80 करोड़ महिलाओं को पीरियड होते हैं. महिलाओं के जीवन का सबसे अहम, स्वस्थ और सामान्य सा हिस्सा होने के बावजूद भी लड़कियां इस बारे में जिक्र तक करने से झिझकती हैं, कई जगहों पर लड़कियों के पीरियड को अजीब नजर से देखा जाता है लेकिन भारत में कई जगहें ऐसी हैं जहां पर लड़कियों के पीरियड का जश्न मनाया जाता है

Menstrual Festivals Menstrual Festivals

पीरियड्स हर लड़की के जीवन का खास हिस्सा होता है. लड़कियों के पीरियड होने पर एक तरफ जहां हमारे समाज में आज भी अजीब तरह की धारणाएं हैं. कई जगहों पर तो पीरियड के दौरान महिलाओं और लड़कियों को नर्क भोगना पड़ता है. लेकिन हमारे देश भारत में कई हिस्सें ऐसे हैं जहां पर  पहली बार पीरियड्स को त्योहार की तरह मनाते हैं. 

ज्यादातर दक्षिण और उत्तर पूर्व भारत में जब लड़की को पहली बार पीरियड्स होते हैं तो वहां पर फंक्शन का आयोजन किया जाता है. इस दौरान तमाम रिश्तेदार इकट्ठे होते हैं, दावतें दी जाती हैं. लड़की को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. उसे गिफ्ट और आशिर्वाद दिए जाते हैं. आईये जानते हैं अलग- अलग राज्यों में कुछ इसी तरह के रीति -रिवाज के बारे में 

असम

असम में जब लड़की को पहली बार पीरीयड्स होते हैं, तो 'तुलोनिया बिया' नाम का फंक्शन मनाया जाता है.  तुलोनिया बिया शादी की तरह मनाया जाता है. इस प्रथा में लड़की को कई तरह के काम करने की मनाही होती है और एक कमरे में ही रहना होता है. तुलोनिया बिया में लड़की को सात दिन तक अलग जगह में रखा जाता है, क्योंकि इस समय के दौरान सूर्य, चंद्रमा और सितारों को देखना अशुभ माना जाता है. सात दिन बाद लड़की को तैयार किया जाता है और केले के पौधे से लड़की की शादी की जाती है. इस समारोह में रिश्तेदार आते हैं और लड़की को गिफ्ट और आशिर्वाद देते हैं. 

 

कर्नाटक

कर्नाटक में भी लड़की के पहली बार पीरियड्स होने का जश्न मनाया जाता है, इस प्रथा को 'ऋतुशुद्धि' या 'ऋतु कला संस्कार' कहा जाता है. ऋतुशुद्धि में लड़कियां पहली बार साड़ी पहनती हैं,  यहां साड़ी पहनने का मतलब ये होता है कि अब लड़की  यौवन अवस्था में आ चुकी है. यानी अब लड़की शारीरिक और मानसिक रूप से मैच्यूर हो चुकी है.  ऋतुशुद्धि रिवाज के जरिए लड़कियों को पीरियड्स से जुड़ी चीजों के बारे में बताया जाता है ताकि आगे चलकर लड़िकयों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो. 

ओ़डिशा 

ओडिशा में पीरियड से जुड़े इस फंक्शन को राजा प्रभा के नाम से जाना जाता है ये  तीन -दिन तक समारोह होता है, राजा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द राज से आया है, जिसका मतलब मासिक धर्म होता है. जिन महिलाओं को पीरियड्स होने हैं हिंदी में उन्हें रजस्वला के नाम से जाना जाता है. ओडिशा के लोगों का मानना है कि इन तीन दिन के दौरान धरती मां को पीरियड्स होते हैं. पीरियड्स के चौथे दिन लड़की को नहलाया जाता है. राजा प्रभा रिवाज 'मिथुन संक्रांति' नाम के और दूसरे रिवाजों से जुड़ा हुआ है. जो मानसून की पहली बारिश से जुड़ा हुआ है. चौथे दिन बारिश के की वजह से  मिट्टी की उत्पादकता भी संबंधित है. इस दौरान लड़कियां कोई भी काम नहीं करती हैं और नए कपड़े पहन कर जश्न मनाती हैं.

 

तमिलनाडु

तमिलनाडु में लड़की के पीरियड पर मंजल निरातु विज़ा त्योहार मनाया जाता है. यह एक भव्य समारोह होता है. इसमें सभी रिश्तेदारों को कार्ड दिए जाते हैं. इस रीति-रिवाज में लड़की के चाचा चाचा नारियल, आम और नीम के पत्तों से बनी झोपड़ी या कुदिसाई बनाते हैं. लड़की को हल्दी के पानी से नहलाया जाता है और वह कुदिसाई ( एक तरह की झोपड़ी ) में रहती है. इस झोपड़ी में झाडू के साथ-साथ कई स्वादिष्ट पकवान भी रखे जाते हैं. नहलाने के बाद लड़की को रेशम की साड़ी पहनाई जाती है. साथ ही ज्वेलरी भी पहनाई जाती है.

 

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में लड़की को जब पहली बार पीरियड्स होते हैं, तब  'पेडमनिषी पंडगा'  नाम का समारोह किया जाता है. यह समारोह पीरियड्स के पहले, पांचवे और आखिरी दिन मनाया जाता है. पहले दिन 'मंगल स्नान' किया जाता है. जिस लड़की की मां नहीं होती है उसे मंगल स्नान में पांच महिलाएं मिल कर नहलाती हैं,  पीरियड्स के दौरान लड़की को अलग कमरे में रखा जाता है. इस दौरान लड़की को कहीं आने-जाने की भी मनाही होती है. 'पेडमनिषी पंडगा'  समारोह के दौरान लड़की के खाने से लेकर गद्दे तक हर चीज अलग की जाती है. आखिरी दिन में लड़की को चंदन का लेप लगाया जाता है.  साथ ही लड़की का चाचा लड़की को उपहार में साड़ी और ज्वेलरी देता है.

वैसे देखा जाए तो इन रीति-रिवाजों में वक्त  के साथ बदलाव की भी जरूरत है, जैसे अलग कमरे में रखना, किसी चीज को ना छूने देना कहीं ना कही पुरुष प्रधान समाज की तरफ इशारा करता है, और ऐसा करने पर पीरियड के दौरान वही भेदभाव वाली भावना पैदा करती है.