scorecardresearch

बेटे ने मां की याद में बनवा दिया दूसरा ताजमहल...खर्च किए इतने करोड़ रुपये, देखें वीडियो

एक बेटे ने अपनी मां की याद में करोड़ों रुपये खर्च कर ताजमहल जैसी प्रतिकृति बनवाई है. साल 2020 में अमरुदीन ने अपनी मां जेलानी बीवी को बीमारी के कारण खो दिया था और उनकी याद में हर अमावस्या को वो यहां पर बिरयानी बनाकर भी बांटते हैं.

 Son built Taj Mahal for mother Son built Taj Mahal for mother

शाहजहां ने अपनी महबूबा मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया और लोग इसे प्यार की निशानी मानने लगे. इसके बाद आपने कई ऐसे प्रेमियों की कहान सुनी होगी जिसने अपनी महबूबी के लिए ताजमहल जैसी दिखने वाली कोई इमारत बनवाई हो. लेकिन तमिलनाडु के रहने वाले एक शख्स ने ताजमहल जैसी इमारत अपनी पत्नी या महबूबा के लिए नहीं बल्कि अपनी मां के लिए बनवाई है.

पिता की मौत के बाद मां ने संभाला घर
जी हां, ये वाक्या है तमिलनाडु के तिरुवरुर के पास अम्मैयप्पन के रहने वाले अमरुद्दीन नाम के एक शख्स का जिन्होंने 5 करोड़ की लागत से ताजमहल के आकार के एक घर का निर्माण कराया है. ऐसे समय में जहां लोग बुजुर्ग माता-पिता को साथ नहीं रखना चाहते या बुजुर्ग आश्रम भेज देते हैं ऐसे में अमरुद्दीन का अपनी मां के प्रति प्रेम वाकई तारीफ के काबिल है.तिरुवरुर जिले के अम्मैयप्पन के निवासी अब्दुल कादर चेन्नई में एक हार्डवेयर स्टोर के मालिक थे. उनकी चार बेटियों और एक बेटा है. जब अब्दुल कादर का निधन हुआ, तब उनका बेटा अमरुद्दीन शेख दाऊद महज ग्यारह साल का था. उस समय से, जेलानी बीवी (उनकी पत्नी) ने अकेले ही अपने बच्चों की परवरिश की और दुकान भी संभाली. 

आम लोग भी जा सकेंगे
अमरुद्दीन शेख दाऊद ने अपनी बीए की डिग्री पूरी कर ली है और चेन्नई में एक सफल व्यवसाय चलाता है. साल 2020 में अमरुद्दीन नामक इस शख्स की मां का निधन हो गया. मां अपने बच्चों के लिए करोड़ों रुपए छोड़ गई थीं लेकिन उनके बच्चों ने उन पैसों को लेने से मना दिया और उनके सारे पैसों का इस्तेमाल उन्हीं की याद में बनवाई जाने वाली इमारत में खर्च किया. ये इमारत अब बनकर तैयार भी हो गई है.

ताजमहल से प्रेरित इस स्मारक भवन के निर्माण में राजस्थान से संगमरमर और वहीं से लेबर बुलाए गए थे. दो वर्षों के दौरान, मजदूरों ने स्थानीय कर्मचारियों के साथ इसका निर्माण किया, जिसे 2 जून को जनता के लिए भी खोल दिया गया है. सभी धर्मों के लोगों का यहां आने की इजाजत है. इसके अतिरिक्त, एक मदरसा स्कूल परिसर के भीतर चलता है. वर्तमान में दस बच्चे इसमें पढ़ते हैं.

200 मजदूरों ने किया काम
जेलानी बीवी की याद में अमरुद्दीन शेख खुद से हर अमावस्या को बिरयानी पकाते हैं और इसे हजारों लोगों को खिलाते हैं. जेलानी बीवी का अमावसी के अगले दिन निधन हो गया था.अमरुद्दीन ने बताया कि उनकी मां पांच-छह करोड़ रुपये छोड़ गई थीं. सभी बच्चे सहमत हो गए कि उन्हें ये पैसे नहीं चाहिए. अब ये पैसे और जमीन एक ट्रस्ट के नाम पर कर दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, ये ताजमहल जैसी दिखने वाली इमारत एक एकड़ में फैली भूमि में 8000 वर्ग फुट में बनी है. इसे बनाने में 200 मजदूरों ने दो साल तक काम किया है. यहां अमरुद्दीन की मां के स्मारक के अलावा, मुसलमानों के लिए नमाज अदा करने के लिए एक जगह भी बनाई गई है.