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Special Dogs for Liquor: अवैध शराब बेचने वालों की खैर नहीं! अब स्निफर डॉग सूंघकर निकालेंगे ‘लाहन’ का पता 

अब ये स्निफर डॉग अवैध शराब तलाशेंगे. इन चार टांगों के सिपाहियों को 1 साल तक प्रशिक्षित किया गया है. जिससे यह सूंघकर नकली शराब का पता लगा लेंगे, जिसे स्थानीय भाषा में "लाहन" भी कहा जाता है.

स्निफर डॉग स्निफर डॉग
हाइलाइट्स
  • लंबे समय से चल रहा है अवैध शराब का कारोबार 

  • पहले नहीं मिल पाती थी सफलता

पंजाब में अवैध शराब बेचने वालों की अब खैर नहीं...जी हां पंजाब के आबकारी विभाग ने इसको लेकर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तीन ट्रेनेड बेल्जियम शेफर्ड और 6 हैंडल्स को आबकारी विभाग में नियुक्त किया है. जिससे अब अवैध शराब के कारोबार का पर्दाफाश होगा. आबकारी विभाग ने स्निफर डॉग का प्रस्‍ताव तैयार किया है. अब ये स्निफर डॉग अवैध शराब तलाशेंगे. इन चार टांगों के सिपाहियों को 1 साल तक प्रशिक्षित किया गया है. जिससे यह सूंघकर नकली शराब का पता लगा लेंगे, जिसे स्थानीय भाषा में "लाहन" भी कहा जाता है..

लंबे समय से चल रहा है अवैध शराब का कारोबार 

न्यूटन सिद्धु पंजाब होम गार्ड्स कैनाइन ट्रेनिंग एंड ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट के मालिक ने बताया कि पंजाब के दरियाई क्षेत्रों में अवैध शराब बनाने का कारोबार लंबे समय से चल रहा है और इनपर नकेल कैसे कसी जाए उसको लेकर स्निफर डॉग खरीदने के प्रस्ताव को हाली में आबकारी विभाग के मंत्री हरपाल चीमा ने मंजूर कर दिया है.

देसी भाषा में सस्ती और अवैध शराब को "लाहन" कहा जाता है..."लाहन" सस्ती सामग्री से बनाया जाता है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, जिससे मौतें भी होती हैं. चूंकि यह सस्ती है और एक सप्ताह से भी कम समय में किण्वित हो जाती है, यही कारण है कि लोग इसके हानिकारक परिणामों से अनजान होकर इसका सेवन करते हैं. 

पहले नहीं मिल पाती थी सफलता 

न्यूटन सिद्धू ने बताया कि पुलिस और आबकारी विभाग को पहले इन अवैध शराब पकड़ने में वैसी सफलता नहीं मिल पाती थी. अवैध शराब बनाने वाले तस्कर इसे जमीन के नीचे दबा देते हैं, जिसकी वजह से कई बार अवैध शराब पकड़ने गई टीम को इस बात की जानकारी ही नहीं हो पाती है कि "लाहन" कहां पर दबी है.

पंजाब सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है और कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए पंजाब होम गार्ड्स कैनाइन ट्रेनिंग एंड ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट से बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को काम पर रखा है, जो भारत में अपनी तरह का एक संस्थान है. 

कुत्तों की होती है खास ट्रेनिंग 

सिद्धू ने बताया कि बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के इन सिपाहियों को खास तरीके से ट्रेन्ड किया जाता है जिसे अद्वितीय फूड रिवार्ड मेथड तकनीक कहते है. तकनीक के जरिए जब यह चार टांगों के सिपाही अपने लक्ष्य को खोजने में सफल हो जाते हैं उसके बाद ही उन्हें सफल होने पर खाना दिया जाता है. जिसकी वजह से इनके परिणाम बहुत सकारात्मक और अच्छे हैं. उसके अलावा कार्य पूरा कर लेना और उस गतिविधि को पूरा करने के लिए एकमात्र प्रेरक शक्ति है.

अवैध शराब है बड़ा मुद्दा 

यही कारण है की ये नकली शराब, नशीले पदार्थों या किसी अन्य चीज का पता लगाने में इस संस्थान की सफलता दर तुलनात्मक रूप से अधिक है. अब ये चार टांगों के सिपाही प्रदेश में अवैध शराब की वजह से होने वाले राजस्व नुकसान को कम करने और कई लोगों की जान बचाने जा रहे हैं क्योंकि पंजाब में नकली शराब का मुद्दा काफी व्यापक है.