एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने अपनी सभी मुश्किलों को दूर कर अपने मुकाम को हासिल किया हैं. वहीं वह अब ओडिशा कलेक्टर बन गए हैं. उनका नाम विजय कुलंगे हैं. विजय कुलंगे ने इंडिया टुडे से बात करते हुए बताया कि उनका बचपन महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण गांव में हुआ. वहीं से उनकी प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा हुई. विजय कुलंगे ने बताया कि उनके पिता का एक दर्जी थे, जबकि मेरी माँ एक दिहाड़ी मजदूर थी. वह दूसरों के खेतों में काम करने जाती थी और मेरे पिता उस गांव में ही कपड़े सिलते थे.
ओडिशा कलेक्टर विजय कुलंगे ने आगे बताया कि उनके परिवार की स्थित कैसी भी रही हो लेकिन माता-पिता हमेशा उनकी शिक्षा पर उचित ध्यान देते थे. उन्होंने शिक्षा के दौरान उनकी सभी जरूरतों को पूरा किया. इसके साथ ही उन्होंने कभी भी किताबों और अन्य शिक्षा सामग्री की कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी. बचपन में विजय कुलंगे ने जीवन में कुछ खास हासिल करने का सपना देखा था. जिसके चलते उन्होंने 10वीं के बाद अहमदनगर के एक आवासीय हाई स्कूल में साइंस स्ट्रीम में दाखिला लिया.
आर्थिक तंगी से गुजरा परिवार
फिर विजय कुलंगे ने 12वीं के बाद की मेडिकल शिक्षा में शामिल होने की सोची थी. उन्हें एंट्रेंस में अच्छे अंक मिले और उन्हें चिकित्सा शिक्षा के लिए चुना गया. हालांकि परिवार में आर्थिक तंगी के कारण वे एमबीबीएस में शामिल नहीं हो सके. उन्होंने बताया कि एक दिन में मात्र 200 रुपये की कमाई करने वाले उनके माता-पिता हमेशा उन्हें दिन में दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराने के लिए चिंतित रहते थे. परिवार हमेशा आर्थिक तंगी से गुजरा और यहां तक कि बुनियादी जरूरतें भी अकल्पनीय थीं.
पहले कि नौकरी फिर किया सिविल सेवाओं की तैयारी
जिसे देखते हुए तब कुलंगे तय किया कि पहले नौकरी करते हैं और आत्मनिर्भर बनते हैं. फिर उसके बाद अपनी पसंद के अनुसार करियर चुन सकते हैं. जिसके बाद उन्होंने डिप्लोमा इन एजुकेशन कोर्स में दाखिला लिया और एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में शामिल हो गए, लेकिन उन्हें हमेशा लगा कि मेरे जीवन में कुछ कमी है, अपनी वास्तविक क्षमता के साथ न्याय नहीं किया है, इसलिए पुणे से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी.
पांचवें प्रयास में निकाला IAS
कुलंगे ने महाराष्ट्र सिविल सेवाओं के लिए प्रयास किया, जबकि वह अपने पहले दो प्रयासों में असफल रहे. जब वह निराश हुए तो उनके पिता ने उन्हें हार न मानने के लिए प्रोत्साहित किया. उनके पिता ने उनसे कहा कि यदि इसमें सफल नहीं होते हैं, तो इसका जो अनुभव मिलता है, उसका उपयोग अपने शिक्षण पेशे में कर सकते हो, अपने छात्रों के साथ साझा कर सकते हो. जिसके बाद कुलंगे ने अपने तीसरे प्रयास में महाराष्ट्र सिविल सेवा को पास कर लिया और बिक्री कर निरीक्षक के रूप में चयनित हो गए. वहीं वह अपने चौथे प्रयास में तहसीलदार के रूप में चयनित हुए, लेकिन वह इससे भी बड़ा करना चाहते थे.
इस दौरान उनकी मुलाकात आईएएस अधिकारी संजीव कुमार से हुई. जिन्होंने कुलंगे से कहा कि क्यों न वे सिविल सेवाओं के लिए प्रयास करें और आईएएस के लिए जाएं. जिसके बाद उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में कुलंगे ने महाराष्ट्र सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया और पूरे राज्य में दूसरे स्थान पर रहे. वहीं अब कुलंगे ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं.