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Success Story: दो कॉलेज छात्रों ने मात्र 30 हजार रुपये में खड़ा किया फैशन और लाइफस्टाइल ब्रांड Bewakoof.com...आज 200 करोड़ का है बिजनेस

IIT के दो छात्र कॉलेज में फनी नाम के डोमेन नेम खरीद लिया करते थे ताकि आगे जाकर उसे महंगे में बेच सकें. यहीं से आया Bewakoof.com आइडिया. कंपनी के फाउंडर सिद्धार्थ हमेशा से चाहते थे कि कंपनी का नाम बेहद छोटा और ऐसा हो जिसे हर कोई याद रख सके.

Bewakoof.com Founders Bewakoof.com Founders

महान नाटककार विलियम शेक्सपीयर ने कभी लिखा था, 'नाम में क्या रखा है? गुलाब को चाहे जो नाम दे दिया जाए, उसमें सुहानी महक आनी बंद तो नहीं होगी.' ये बात शेक्सपीयर ने किसी और अर्थ में कही थी लेकिन कई बार एक नाम ही अगर आपकी कामयाबी की वजह बन जाए तो आप क्या कहेंगे? सोचिए जहां एक तरफ अधिकांश भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी कंपनी के लिए एक से बढ़कर एक नाम सोचती हैं और इससे कोई समझौता नहीं करती हैं, ऐसे में एक अजीब सा नाम आपकी पहचान बन जाए? तो क्या? 

ऐसा ही एक नाम है बेवकूफ डॉट कॉम (Bewakoof.com)साल 2012 में शुरू हुई यह कंपनी आज देश के सबसे बड़े रिसेलिंग और ईकॉमर्स प्लैटफॉर्म में से एक बन चुकी है.

मात्र 30 हजार में शुरू की थी कंपनी
बेवकूफ.कॉम की शुरुआत 1 अप्रैल 2012 को हुई थी जिसे दो IITians प्रभकिरण सिंह (Prabhkiran Singh)और सिद्धार्थ मुनोट (Siddharth Munot) ने लॉन्च था. Bewakoof.com अपने ग्राहकों से जुड़ने के लिए अपने उत्पादों पर विचित्र, मजेदार, आउट-ऑफ-द-बॉक्स मैसेजिंग पर भरोसा करता है. एक साथ शुरुआत करने से पहले, सिद्धार्थ ने एक एजुकेशन स्टार्टअप के साथ काम किया, जबकि प्रभकिरण ने 'KhadkegLASSI'नामक टेक-अवे जॉइंट के माध्यम से ताजा स्वाद वाली लस्सी बेचने का व्यवसाय करते थे.

Bewakoof.com को 30,000 रुपये के निवेश के साथ शुरू किया गया था, और छह महीने के संचालन के बाद उन्हें सीड फंडिंग प्राप्त हुई. उन्होंने कुछ महीने पहले स्नैपडील (Snapdeal)के संस्थापक कुणाल बहल और रोहित बंसल और आईडीएफसी सिक्योरिटीज के पूर्व एमडी, निखिल वोरा से संस्थागत एंजेल फंडिंग भी जुटाई थी.

क्यों दिया बेवकूफ नाम
अपने उद्यम को बेवकूफ़ नाम देने के अपने निर्णय के बारे में बात करते हुए, सिद्धार्थ ने बताया कि कॉलेज के दिनों में उन्हें यूनीक डोमेन नाम खरीदने का शौक था ताकि वो भविष्य में उसे बेच सकें. Bewakoof.com को ब्रांड लॉन्च होने से दो साल पहले खरीदा गया था. सिद्धार्थ ने बताया कि जब वो अपना लाइफस्टाइल ब्रांड लॉन्च कर रहे थे तो उनके दिमाग में एक ही बात थी एक अच्छा ब्रांड नेम जो छोटा और याद रखने में आसान हो. Bewakoof.com वहीं का आइडिया था. 

चूंकि प्रभाकिरण और सिद्धार्थ मीम के सहारे अपने बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहते थे, तो उन्हें कंपनी का नाम भी ऐसा चाहिए था, जो थोड़ा फनी हो. बेवकूफ डॉट कॉम उनके मीम टोन वाले टी-शर्ट बिजनेस को बिल्कुल सूट करता था. उनकी कंपनी हमेशा ट्रेंडिंग लाइन उठाती और उसे टीशर्ट पर छापकर फेसबुक पर वायरल करती. जैसे कि, 'वाह मोदीजी वाह', 'बुलाती है, मगर जाने का नहीं', 'त्वाडा कुत्ता टॉमी, साड्डा कुत्ता कुत्ता.' अभी हाल में जब पंचायत वेब सीरीज का बिनोद कैरेक्टर लोकप्रिय हुआ, तो उन्होंने 'देख रहा न बिनोद' वाला डायलॉग भी टी-शर्ट पर छाप दिया.

कंपनी क्या बेचती है
Bewakoof.com कपड़े और मोबाइल फोन कवर बेचता है. यह प्रति माह 1.5 करोड़ रुपये का लेनदेन करने का दावा करता है, जिसमें टी-शर्ट सबसे ज्यादा बिकती है. कॉलेज के छात्रों के लिए 'घंटा इंजीनियरिंग/घंटा एमबीए' आदि मैसेज वाली टी-शर्ट का उनका 'Ghanta'कलेक्शन उनके सबसे अधिक बिकने वाले उत्पाद रहे हैं. इसके ग्राहक आधार का एक बड़ा हिस्सा 16-34 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों और युवाओं का है.

कैसे मिली सफलता
प्रभाकिरण और सिद्धार्थ भी मानते हैं कि उनकी सफलता में सोशल मीडिया का सबसे अहम रोल है. उन्होंने बिक्री और मार्केटिंग के लिए Just Dial और फेसबुक का सहारा लिया. आज कंपनी के फेसबुक पर 44 लाख और इंस्टाग्राम पर 15 लाख फॉलोवर्स हैं. ब्रैंड की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए कॉलेज में कुछ फनी कैंपेन भी चलाए गए. इसमें छात्रों को कॉलेज कैंपस के पास मजाकिया हरकतें करनी होती थीं और बदले में उन्हें मुफ्त में टीशर्ट दी जाती हैं. 

Bewakoof.com अब तक 20 लाख से अधिक प्रोडक्ट्स बेच चुकी है. जानकारी के अनुसार हर रोज 20 हजार से अधिक लोग इसके प्रोडक्ट खरीदते हैं. यह Amazon, Myntra और Flipkartvपर भी लाइव हो चुकी है. इस फैशन ब्रैंड के साथ 400 लोग जुड़े हैं. इसमें इन्वेस्टकॉर्प और आइवी कैप जैसे निवेशकों ने पैसे लगा रखे हैं. अब आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल भी इसमें 100 करोड़ रुपये लगाकर मेजॉरिटी स्टेक ले रही है. यह सौदा आखिरी दौर में है. कंपनी पिछली कुछ तिमाहियों से नुकसान में चल रही थी. ऐसे में आदित्य बिड़ला फैशन का निवेश इसकी ग्रोथ को तेज करने में मदद करेगा. कंपनी के को-फाउंडर प्रभाकिरण को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 तक उनकी कंपनी की बिक्री दो हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी.