राजस्थान के जोधपुर में क्लॉक टावर के पास मसालों की बहुत ही मशहूर दुकान है. यह दुकान अपने मसालों के लिए देश-दुनिया में मशहुर है. सबसे दिलचस्प बात है कि इस पूरे बाजार में यहीं इकलौती ऐसी दुकान है जिसे कोई मर्द नहीं बल्कि एक मां और उनकी सात बेटियां मिलकर चला रही हैं.
इस दुकान का नाम है- MV Spices मतलब मोहनदास वेरोमल. इस दुकान को 70 के दशक में मोहनलाल वेरोमल ने शुरू किया था. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. क्योंकि उनके जाने के बाद दुकान को बेचने या बंद करने की बजाय, उनकी पत्नी भगवंती और उनकी 7 बेटियों ने दुकान की बागडोर संभाली.
नहीं था बेटा तो बेटियां बनीं वारिस
MV Spices में आपको सैंकड़ों तरह के मसाले मिलेंगे- सब्जी, अचार के मसालों से लेकर चाय के मसालों तक. यहां आपको हर वक्त इन मसालों के विदेशी दिवाने मिल जाएंगे. यह दुकान मोहनलाल ने 70 के दशक में शुरू की थी. कहते हैं उस वक्त जोधपुर में मोहनलाल इकलौते ऐसे आदमी थे जो मसाले बेचते थे. पहले वह साइकिल पर मसाले बेचते थे. बाद में, दुकान को सेट करने में उन्हें कई दिक्कतें आईं.
लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने खुद को स्थापित कर लिया. और फिर एक दिन अचानक से उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. अब परिवार के सामने समस्या यह थी कि जोधपुर में उस वक्त पूरे बाजार में कहीं भी महिलाएं नहीं थीं. और मोदनलाल का कोई बेटा नहीं था. ऐसे में समस्या आई कि अब दुकान को कौन संभालेगा.
भगवंती बताती हैं कि किसी ने उनसे कहा दुकान बेच दो, किसी ने कहा हमें दे दो, औरत होकर तुम कैसे बिजनेस करोगी. लेकिन लोगों की न सुनकर भगवंती ने फैसला किया कि दुकान को वह और उनकी बेटियां संभालेंगी.
हर दिन किया संघर्ष
भगवंती की बेटी ऊषा बताती हैं कि मां बिजनेस खुद चलाने का फैसला तो कर लिया लेकिन बाजार में लोग इसके खिलाफ थे. वे बाजार में एक औरत और लड़कियों को अपने बराबर खड़ा नहीं देखना चाहते थे. इसलिए लोगों ने उनके खिलाफ बहुत सारी खराब बातें फैलानी शुरू कर दीं. वह कहती हैं कि बाजार के लोग, विदेशी टूरिस्ट्स को हमारी दुकान तक पहुंचने ही नहीं देते थे. कई बार तो ऊषा और उनका बहनों के साथ छेड़खानी हुई.
उन्होंने बताया, "एक बार मैं दुकान से लौट रही थी तो मार्केट के ही एक लड़के ने कंधे पर धक्का देकर गिरा दिया. वे लोग तरह-तरह से हमें टॉर्चर करते थे. कभी कोई पीछा करता था तो कभी कोई भद्दे-भद्दे कमेंट पास करता था. एक बार तो मैं डर कर घर में दुबक कर बैठ गई और मां से कहा कि मुझे दुकान नहीं जाना है. लेकिन मां ने कहा हिम्मत नहीं हारनी है."
लोगों ने कॉपी किया ब्रांड
सात बहनों में से एक, नीलम ने मसाले के इस पूरे बिजनेस की मार्केटिंग स्ट्रेटजी को संभाल रखा है. नीलम बताती है कि पिताजी की मौत के बाद लोगों ने उनके ब्रांड को कॉपी करना शुरू कर दिया था. कई दूसरे दुकानदार तो विदेशी ग्राहकों से यह तक कहते थे कि हम मोहनलाल के बेटे हैं, और हमारी दुकान पर उनके ही मसाले हैं.
नीलम बताती हैं कि वह साइंस की पढ़ाई कर रही थीं. लेकिन पिताजी के जाने के बाद उनके अकाउंटेंट ने अगले ही दिन से आना बंद कर दिया और फिर उन्होंने अकांउट्स सीखा औक संभाला. वह बताती हैं कि पिताजी की मौत के बाद लोगों ने हमारे वर्कर्स को घूस देकर मसाले की रेसिपी तक जानने की कोशिश की. एक टूरिस्ट गाइड ने उनकी मां से यहां तक कहा कि देखते हैं तुम कब तक दुकान चला पाती हो. तब मां ने उनसे वादा किया था कि एक दिन चारों तरफ हमारी ही दुकान दिखाई पड़ेगी और आज शहर की हर मेन लोकेशन पर MV Spices की दुकान है.
विदेशी सीखते हैं खाना बनाना
भगवंती और उनकी बेटियों ने लगातार इस दुकान को लेकर नए-नए एक्सपेरिमेंट किए हैं. विदेशी ग्राहक एमवी स्पाइसेज के दीवाने हैं. ये विदेशी ग्राहकों का प्यार ही है कि अब नीलम ने इन ग्राहकों के लिए कुकिंग क्लासेस भी शुरू की हैं. जिसके जरिए, वह उन्हें भारतीय मसालों और डिशेज के बारे में बताती हैं. कई विदेशी ग्राहक तो ऐसे हैं जो पिता मोहनलाल के वक्त से इस दुकान में आ रहे हैं.
दुकान पर मिली एक ग्राहक, बेल्जियम की रोज़मेरी बताती हैं कि वह काफी अरसे से यहां आ रही हैं. वह कहती हैं कि भगवंती और उनकी बेटियों को काम संभालते देख उन्हे बहुत अच्छा लगता है. रोज़मेरी ने तीन इंडियन बच्चों को गोद भी लिया है.
पिता का सपना करना है पूरा
भगवंती और उनकी बेटियों ने इस दुकान को बढ़ाने की पुरजोर कोशिश लगा रखी है. हालांकि, अब दो बेटियां शादी के बाद विदेश में हैं. परिवार की सबसे छोटी बेटी प्रिया बताती हैं कि वह घर की सबसे लाडली हैं. उनकी बहनों ने उन्हें आज तक कोई कमी महसूस नहीं होने दी. लेकिन अब वह इस ब्रांड को सोशल मीडिया पर प्रमोट कर रही हैं और सोशल मीडिया की सारी जिम्मेदारी उठा रही हैं.
प्रिया कहती हैं कि पापा का सपना था कि पेरिस में उनकी एक दुकान हो और अब वे इसी सपने को सच करने में लगी हैं.