
Vegetable Farming: अधिकांश किसान परंपरागत तरीके से धान-गेहूं जैसी फसलों की खेती करते हैं. इससे उन्हें ज्यादा लाभ नहीं हो पाता है. हम आपके बिहार के एक ऐसे किसान की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़ सब्जियों की खेती करनी शुरू की.
इससे वह जहां अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं कोई लोगों को अपने खेत में रोजगार भी दिए हुए हैं. ये किसान युवाओं को दूर-देश में मजदूरी करने की जगह नकदी फसलों की खेती करने की सलाह दे रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं सीतामढ़ी जिले के डुमरा प्रखंड स्थित भासर गांव के किसान अरुण कुमार की. अरुण सब्जियों की खेती कर हर महीने इतनी कमाई कर रहे हैं कि एक बार आपको विश्वास नहीं होगा.
खेत पर ही सब्जी खरीदने के लिए आ जाते हैं दुकानदार
अरुण कुमार बताते हैं कि वह हर सीजन यानी मौसम के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं. वह अपने दो एकड़ खेत में करेला, बैगन, कद्दू, खीरा, चुकंदर, शिमला मिर्च सहित कई अन्य सब्जियों को उगाते हैं. अरुण बताते हैं कि इन सब्जियों को बेचकर वह हर दिन 5 से 8 हजार रुपए तक की कमाई कर लेते हैं.
इस तरह से वह लगभग ढाई लाख रुपए हर महीने आमदनी कर लेते हैं. अरुण कुमार बताते हैं कि पहले वह सब्जियों को बाजार ले जाकर बेचते थे लेकिन उनकी सब्जियों की उच्च क्वालिटी के कारण अब सब्जी के विक्रेता उनके खेत से ही सब्जी खरीदकर ले जाते हैं. अरुण कहते हैं इससे मेरा यातायात खर्च घट गया है, जिसके कारण मुनाफा और बढ़ गया है.
बाजार में मांग काफी
अरुण कुमार सब्जियों की खेती में रासायनिक खाद की जगह सिर्फ जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं. वह क्षेत्र के अन्य किसानों को भी जैविक खाद का ही प्रयोग करने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि जैविक खाद से उपजाई गई सब्जियों की जहां मांग अधिक होती है, वहीं ये सेहत के लिए भी काफी अच्छी होती है. इन सब्जियों की बाजार में मांग भी काफी रहती है.
गांव में ही रहकर करें खेती
अरुण कुमार बताते हैं कि बाहर जाकर मजदूरी करने की जगह यदि अपने गांव में रहकर ही सब्जियों की खेती की जाए तो न सिर्फ अच्छा-खासा मुनाफा कमाया जा सकता बल्कि जीवन खुशहाल भी रहेगा. वह बताते हैं कि ऐसा उन्होंने खुद आजमाया है. अरुण का कहना है कि उन्होंने अपने खेत में 10 मजदूरों का काम दिया है.
इससे उन मजदूरों के साथ उनका भी घर चलता है. अरुण कहते हैं कि यदि किसी मजदूर को कहीं काम नहीं मिल रहा है तो वह उनके खेत पर आकर काम कर सकते हैं. वह 8 घंटे काम करने एवज में 10 हजार रुपए महीना देंगे. आज के समय में अरुण कुमार से युवाओं की सिख लेनी चाहिए और दूर परदेस में जाकर मजदूरी करने की जगह खेती में अपनी किस्मत चमकानी चाहिए.
कब और कैसे करें सब्जियों की बुआई
लौकी, करेला, बैगन, तरोई, खीरा जैसी सब्जियां कम लागत में अच्छा मुनाफा देती हैं. मैदानी क्षेत्रों में इन सब्जियों की बुआई मार्च और जून में की जाती है. हालांकि दोनों सीजन में अगेती खेती अधिक लाभकर साबित होती है. आप इन सब्जियों की बुआई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर को मिट्टी में मिला देना चाहिए. आधा मीटर से लेकर 1 मीटर की दूरी पर बीज बोने चाहिए. सब्जियों को लगाने के बाद समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए.
इसके साथ ही जब जरूरी हो सिंचाई करनी चाहिए. सब्जियों की खेती के दौरान अच्छी बीजों का चयन करें. हम आपको कुछ बीजों के बारे में बता रहे हैं. खीरा के पोइंसेट, लौंग ग्रीन, पूसा संयोग और पूसा उदय बीजों का इस्तेमाल करें. लौकी के पूसा संदेश, पूसा नवीन, पूसा समृद्धि, पूसा संतुष्टि, पीएसपीएल और पूसा हाइब्रिड-3 बीजों का उपयोग करें. करेला के पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, पूसा हाइब्रिड-1 और पूसा हाइब्रिड-2 का इस्तेमाल करें. तरोई के पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, सतपुतिया, पूसा नसदार, पूसा नूतन व को-1 का उपयोग करें.