ऐसी दुनिया में जहां अक्सर समानता का राज होता है, ऐसे असाधारण लोग भी होते हैं जो सामाजिक अपेक्षाओं को अस्वीकार करते हैं और अडिग दृढ़ता के साथ अपने जुनून को आगे बढ़ाते हैं. निधि यादव ऐसी ही एक एंटरप्रेन्योर हैं, जिन्होंने तमाम बाधाओं के बावजूद कंप्यूटर इंजीनियरिंग की समृद्ध नौकरी छोड़कर फैशन की आकर्षक दुनिया में कदम रखा.
निधि को ऑफिस जाना बिल्कुल पसंद नहीं था. निधि कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं और उस समय Deloitte में काम कर रही थीं. एक प्रेजेंटेशन के दौरान उनसे एक सवाल पूछा गया कि आखिरी बार कब उनका ऑफिस आने का मन हुआ था? निधि का जवाब था 'कभी नहीं'. इस बातचीत ने उनकी प्रोफेशनल लाइफ की दिशा ही बदल दी. इस दौरान निधि के घरवालों ने भी उन्हें सलाह दी कि वो अपने पैशन को फॉलो करें जोकि फैशन है. हालांकि फैशन की दुनिया में कदम रखने के लिए उन्हें सही शिक्षा की जरूरत थी इसलिए उन्होंने फ्लोरेंस के पोलिमोडा फैशन स्कूल में एक साल का कोर्स किया. उन्हें इटली में नौकरी मिल गई लेकिन परिवार के साथ रहने के लिए वो भारत लौट आईं.
कौन लोग थे टारगेट
साल 2014 में उन्होंने सिर्फ 3.5 लाख रुपये निवेश के साथ AKS नाम से एक कंपनी लॉन्च की. कंपनी का टारगेट 18-35 साल की आयु की महिलाएं थीं जो किफायती कीमतों पर एथनिक और सुंदर कपड़े पहनना चाहती थीं. कंपनी को स्थापित होने में पांच साल का समय जरूर लगा लेकिन समय के साथ सब होता चला गया. साल 2019-2020 में कंपनी का रेवेन्यू 100 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया.
क्या थी स्ट्रेटजी
कंपनी शुरू करने के उनके फैसले पर सबसे पहले उनका परिवार हैरान रह गया. हालांकि, बाद में वे सामने आये और उनका समर्थन किया. कंपनी लॉन्च करने से पहले, उन्होंने दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रांडों में से एक Zara पर छह महीने तक शोध किया. उनकी पहली रणनीति जो उस समय उनके काम आई, वह थी हर दो सप्ताह में 20 स्टाइल लॉन्च करना.
इस काम में निधि के पति ने भी उनका भरपूर साथ दिया. दोनों पति-पत्नी कच्चा माल लेने के लिए अपनी छोटी सी बेटी के साथ हर वीकेंड गुरुग्राम से जयपुर जाते थे. अब उनकी कंपनी की जयपुर में एक अलग यूनिट है. साल 2014 में कंपनी का रेवेन्यू 1.60 करोड़ रुपये था. जोकि अगले साल 8.50 करोड़ रुपये हो गया साल 2018 में कंपनी का रेवेन्यू बढ़कर 48 करोड़ रुपये पहुंच गया. AKS का हेडक्वाटर गुड़गांव में है. साल 2021 के अंत तक, उनकी कंपनी का राजस्व बिना किसी बाहरी फंडिंग के 200 करोड़ रुपये हो गया था. यह जानकारी उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में दी थी.
कोरोना में लगा ब्रेक
कोरोना के समय कंपनी मुसीबतों में घिर गई और बिक्री पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया. कर्मचारियों के लिए सैलरी निकालना भी चुनौती बन गई. ऐसे में निधि यादव ने आपदा को अवसर में बदला और मास्क और पीपीई किट बनाना शुरू कर दीं. यह मास्क उस कपड़े से बनाए गए जो कतरन के तौर पर बचता था. इससे कतरन यूज भी हो गई और कोरोना में भी कंपनी चलती रही. इसके साथ ही कंपनी ने Sibling collection भी लॉन्च किया जोकि सक्सेस्फुल रहा.