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Sunehri Bagh Masjid: आखिर क्या है सुनहरी बाग मस्जिद का इतिहास? और क्यों NDMC को जारी करना पड़ा नोटिस

नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से जो नोटिस मस्जिद पर चस्पा किया गया था उसमें यह कहा गया था कि ट्रैफिक को ठीक से चलाने के लिए इंजीनियरिंग विभाग की तरफ से एक नोटिस मिला था जिसमें उन्होंने कहा था कि यहां से मस्जिद को हटाना ट्रैफिक की दृष्टि से काफी सही रहेगा.

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हाइलाइट्स
  • ये मस्जिद मुगलकाल की है.

  • सुनहरी बाग मस्जिद गोल चक्कर लुटियंस दिल्ली का सबसे व्यस्त गोल चक्कर है.

नई दिल्ली के लुटियंस इलाके में बनी एक मस्जिद को लेकर एक नया विवाद बढ़ गया है. ये मस्जिद उद्योग भवन के सामने स्थित सुनहरी बाग मस्जिद है. इसे एनडीएमसी हटाना चाहती है. इसे लेकर एनडीएमसी ने आम जनता से सुझाव भी मांगे हैं कि आखिरकार इस मस्जिद को क्यों नहीं हटाया जाए?

नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से जो नोटिस मस्जिद पर चस्पा किया गया था उसमें यह कहा गया था कि ट्रैफिक को ठीक से चलाने के लिए इंजीनियरिंग विभाग की तरफ से एक नोटिस मिला था जिसमें उन्होंने कहा था कि यहां से मस्जिद को हटाना ट्रैफिक की दृष्टि से काफी सही रहेगा. इसे लेकर ही जनता से सुझाव मांगे गए थे. जनता के इन सुझावों और आपत्तियों को एनडीएमसी 1 जनवरी 2024 तक स्वीकार करेगा.

व्यस्त चौराहों में से एक
सुनहरी बाग मस्जिद गोल चक्कर लुटियंस दिल्ली का सबसे व्यस्त गोल चक्कर है. इस गोल चक्कर पर अलग-अलग रूट के छह रास्ते निकलते हैं. एक उद्योग भवन की ओर जाता है. दूसरा विजय चौक की ओर. तीसरा रेल भवन, चौथा कर्तव्य पथ. इसके अलावा एक रास्ता सुनहरी बाग रोड की तरफ जाता है जो गृहमंत्री अमित शाह के घर पर जाकर मिलता है. साथ एक रास्ता मोतीलाल नेहरू मार्ग की ओर जाता है. इसलिए इस चौराहे पर ट्रैफिक की ज्यादा आवाजाही देखने को मिलती है. ट्रैफिक की ज्यादा मूवमेंट के चलते सुबह से लेकर शाम तक यहां 12 ट्रैफिक पुलिस बल तैनात रहते हैं.

क्या कहना है इतिहासकारों का
एनडीएमसी के नोटिस को लेकर जब इतिहासकार राणा सफवी से बात की गई तो उनका कहना था, इस मस्जिद का इतिहास काफी पुराना है. ये मस्जिद मुगलकाल की है. मोन्यूमेंट ऑफ दिल्ली (1919) की किताब में भी इसका जिक्र है. यहीं नहीं भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हसरत मोहानी  कांस्टीट्यूएंट असेंबली के दौरान यहीं रहते थे. हसरत मोहानी वही थे जिन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था. सुनहरी बाग मस्जिद के साथ इतिहास की कई यादें जुड़ी हुई हैं. राणा सफवी के मुताबिक प्रॉब्लम को ठीक करने के लिए दुनिया में समाधान निकाले जाते हैं ना कि इस तरह से तोड़कर समस्या को खत्म किया जाता है. इस तरह से तोड़ने से कुछ नहीं बचेगा. पहले समाधान पर काम करना चाहिए अगर सॉल्यूशन नहीं निकले तो सोचा जाए.

सुशांत मेहरा की रिपोर्ट