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नमक बेचने वाली बंजारा समुदाय की लड़की ने साउथ अफ्रीका में बाल श्रम पर दिया भाषण, अपनी भाषा में किया संबोधित

तारा ने लोगों को सम्बोधित करते हुए अपनी भाषा में सम्मेलन में पहुंचे देशों के प्रतिनिधियों से सवाल पूछे. तारा ने बाल श्रम को रोकने की अपील करते हुए सबको साथ मिलकर काम करने की बात कही.

तारा बंजारा तारा बंजारा
हाइलाइट्स
  • बीए तक पढ़ाई करने वाली पहली लड़की

  • अलवर का नाम किया रोशन

कहते हैं कि "हौसलों में अगर उड़ान हो तो मंजिले आसान हो जाती हैं." ऐसा ही कुछ अलवर की बेटी तारा बंजारा ने करके दिखाया है. कभी गधे पर परिवार के साथ नमक बेचने और सड़क निर्माण कार्य की मजदूरी करने वाली तारा बंजारा ने साउथ अफ्रीका में बाल श्रम को लेकर भाषण देकर भारत का नाम रोशन किया है. तारा वापस भारत लौट आई है और अपनी मां के साथ झोपड़ी में रहकर जीवन यापन कर रही है. उसके जीवन और हौसलों की प्रेरणा अब युवाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हो रही है.

बीए तक पढ़ाई करने वाली पहली लड़की
यह कमाल अलवर के थानागाजी के नीमड़ी गांव के बंजारा बस्ती की रहने वाली तारा बंजारा ने किया है. तारा ने दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलन में वैश्विक समुदाय के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने वैश्विक समुदाय को बाल श्रम एवं बाल शोषण खत्म करने का संकल्प भी दिलवाया. तारा ने लोगों को सम्बोधित करते हुए अपनी भाषा में सम्मेलन में पहुंचे देशों के प्रतिनिधियों से सवाल पूछे. तारा ने बाल श्रम को रोकने की अपील करते हुए सबको साथ मिलकर काम करने की बात कही. इलाके में तारा बंजारा समाज की पहली लड़की है जो बीए की पढ़ाई कर रही है.

अलवर का नाम किया रोशन
दुनिया से बाल श्रम उन्मूलन के लिए डरबन दक्षिण अफ्रीका में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओं) द्वारा 5 वें सम्मेलन  का आयोजन किया गया. इसमें अलवर के थानागाजी उपखंड क्षेत्र की बंजारा बस्ती निमड़ी गांव से पूर्व में बाल मजदूर रह चुकी घुमन्तु बंजारा समुदाय की बेटी तारा बंजारा ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ कार्यक्रम में भाग लेकर सम्मेलन में दुनिया को बाल श्रम एवं बाल शोषण समाप्त करने का संकल्प दिलवाया. तारा ने अपने समुदाय और क्षेत्र की बालिकाओं के लिए मिसाल बनकर थानागाजी और अलवर जिले का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है. डरबन से लौटने के बाद तारा अभी भी अपने झोपड़ी वाले घर में रह रही है. 

इस मौके पर तारा ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि हम गरीब बच्चों को वोट देने का अधिकार नहीं है तो क्या हमसे मजदूरी करवाओगे? सब बच्चों को पढ़ने का अधिकार है. किसी भी बच्चे को बाल मजदूरी नहीं करनी चाहिए. इस अवसर पर तारा बंजारा ने अपने जैसे बच्चों की बाल श्रम, चाइल्ड ट्रैफिकिंग, बाल यौन शौषण से सुरक्षा की मांग करते हुए कार्यक्रम में वैश्विक समुदाय के प्रतिभागियों को संकल्प दिलाया कि कोई भी बच्चा बाल श्रम, चाइल्ड ट्रैफिकिंग व बाल शोषण का शिकार ना हो. तारा ने अपनी बात अपनी भाषा व अपने शब्दों में कही.

तारा ने खुद शुरू की मुहिम
साल 2012 में बाल आश्रम ट्रस्ट के द्वारा बंजारा बस्ती निमड़ी में बाल आश्रम ट्रस्ट संस्थापिका सुमेधा कैलाश के द्वारा बंजारा शिक्षा केंद्र खोला गया. तब तारा लगभग 7 से 8 साल की थी. तारा का परिवार पूर्व में नमक बेचने और सड़क निर्माण कार्य में मजदूरी का कार्य करता था. तारा पढ़ने-लिखने की उम्र में अपने माता पिता के साथ सड़क पर झाड़ू लगाने और साफ-सफाई करने का काम करती थी. सड़क निर्माण कार्य से हटाकर बंजारा शिक्षा केंद्र नीमड़ी में तारा का दाखिला करवाया गया था. इसके अलावा उसके जैसे अन्य बच्चों को भी केंद्र में दाखिला दिला कर पढ़ाई कराई गई. उनको मिड डे मील स्कूल ड्रेस, कपड़े व अन्य चीजें उपलब्ध कराई गईं. उसके बाद से तारा ने एक मुहिम शुरू की जो लगातार आज भी जारी है.

तारा को करीब डेढ़ वर्ष पहले पता चला कि उसके माता-पिता उसकी छोटी बहन जो कक्षा 8वीं में पढ़ती थी उसकी सगाई करने वाले हैं. तारा को जब पता चला कि उसके माता-पिता उसकी छोटी बहन की शादी कर रहे हैं तो उसने इस बारे में अपने पूरे परिवार व रिश्तेदारों को समझाया और बाल विवाह नहीं करने के लिए कहा. अपनी बहन का विवाह रोकने के लिए तारा को काफी संघर्ष करना पड़ा.

(अलवर से संतोष शर्मा की रिपोर्ट)