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Exclusive: पैसों की कमी के कारण छूटी पढ़ाई, घर-घर जाकर बेचा सामान, रैन बसेरे में रहे और अब खुद दे रहे हैं वंचित लोगों को सहारा

'आपका थोड़ा सा समय किसी की पूरी ज़िंदगी बदल सकता है'- यह मानना है 30 वर्षीय तरूण मिश्रा का, जिनके जीवन का लक्ष्य समाज सेवा करके बेसहारा लोगों को आसरा, भीख मांगने वालों को रोज़गार और भूखों को खाना देना है.

Tarun Mishra (Photo: Website) Tarun Mishra (Photo: Website)

यह कहानी है तरुण मिश्रा की जो पिछले कई सालों से समाज के लिए काम कर रहे हैं. उन्हें इस काम की प्रेरणा अपने जीवन के अनुभवों से मिली है. तरुण ने बचपन में बहुत सी मुश्किलें देखी हैं और इसलिए छोटी उम्र से ही उन्हें कमाना भी पड़ा. फिर गांव में रहकर जैसे-तैसे स्कूली पढ़ाई पूरी की. इस सबके बीच उन्होंने ठान लिया कि वह समाज के गरीब और बेसहारा तबके के लिए काम करेंगे ताकि किसा का जीवन तो थोड़ा आसान हो जाए. 

GNT Digital से बात करते हुए तरुण बताते हैं कि बचपन में वह अपने परिवार के साथ दिल्ली के सरोजनी नगर में रहते थे. उनके पिता केमिस्ट की दुकान पर काम करते थे. तरुण छठी क्लास में थे जब उनके पिता को काम से निकल दिया गया था. घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तरुण ने 13 साल की उम्र में सरोजनी नगर मार्केट में हनुमान मंदिर के सामने किताबें बेचना शुरू कर दिया. इस दौरान वह सड़क पर भीख मांग के गुजरा करने वाले, बेसहारा, और लाचार लोगों को देख कर प्रभावित होने लगें. 

आसान नहीं रही कोई भी राह 
एक साल तक किताब बेचने के बाद, तरुण ने यह काम अपने पिता को सौंप दिया. और खुद समस्तीपुर, बिहार अपने नाना के यहां चले गये. नाना के गांव में रहकर उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. तरुण बताते है कि गांव का जीवन इतना आसान नहीं था. लाइट न रहने के कारण उनको दिए के सामने पढ़ाई करनी पड़ती थी. साथ ही, खेतीबाड़ी का काम भी देखना पड़ता था. पर अपने जीवन की तमाम मुश्किलों को अपना गुरु मानते हुए तरुण हर दिन कुछ न कुछ सीखते रहे. 

तरुण का कहना है की इन परिस्थितियों की वजह से ही वह जमीनी स्तर से जुड़े रहे. 12वी क्लास पास करने के बाद वह दिल्ली वापस आ गए और इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस टेस्ट क्लियर करके बी.टेक में एडमिशन लिया. यहां कमरे का किराया वह मैनेज नहीं कर सकते थे इसलिए एक शेल्टर होम में रहने लगे और उनके साथ काम भी करने लगे.  

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उनकी जिंदगी ठीक चल रही थी और तभी इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में उनके पिता का देहांत हो गया, और पूरे परिवार की जिम्मेदारी तरुण के ऊपर आ गयी. फाइनल इयर में अपनी पढ़ाई छोड़ कर वह काम की तलाश में अपने मामा के यहां गुजरात चले गये. यहां पर वह घर-घर जाकर सामान बेचा करते थे. और यहां पर भी उन्होंने समाज सेवा का काम नहीं छोड़ा. तरुण एक NGO के साथ जुड़ कर काम करने लगे.

शेल्टर होम की पहल
तरुण बताते है की ग्राउंड लेवल से काम करने के कारण उनको लगभग चीजों का अनुभव था. साल 2018 में सूरत नगरपालिका से संपर्क करके उन्होंने अपने पहले शेल्टर होम की शुरुआत की. शहर के लिए यह अच्छा प्रोजेक्ट था और नगरपालिका के उनको सहयोग करते हुए शेल्टर के लिए एक छोटी सी जगह दी. तरुण की लगन और ईमानदारी को देखते हुए सरकार भी उनको इस काम में मदद करने लगी. साल 2020 तक उन्होंने चार से पांच शेल्टर होम हो गये.  

आज 7 सालों के संघर्ष के बाद तरुण मिश्रा मुंबई और गुजरात में 'हेल्प ड्राइव फाउंडेशन' के नाम से कुल 22 शेल्टर होम चला रहे हैं. जहां सैकड़ों जरूरतमंद और बेसहारा लोगों को जिंदगी का दूसरा मौका मिल रहा है. 2021-22 के दौरान जब कुछ गुमशुदा लोगों को तरुण की पहल से उनके परिवार से वापिस मिलवा दिया गया तो तरुण सोशल मीडिया पर फेमस हो गए. आज इंस्टाग्राम पर उनका 1.7 मिलियन फॉलोअर्स का परिवार है. 

लोगों की समस्या का करते हैं समाधान 
तरुण बताते है की इस काम के लिए उन्होंने कभी डोनेशन की मांग नहीं की बल्कि जन संपर्क किया और लोगों को जोड़ा. जैसे कोई स्टूडेंट है तो वह शेल्टर होम के बच्चों को पढ़ा देता है, किसी के घर शादी है तो कोई और अपनी तरफ से खाने का इंतजाम कर देता है. इस तरह आज उनकी टीम में कुल 150 लोग है. तरुण हमेशा समाधान की बात करते हैं. 

तरुण को जब भी कोई बेसहारा दिखता है तो वह उसे अपने एनजीओ ले जाते हैं या फिर उन्हें कमाने का साधन जुटाने में मदद करते हैं. जैसे किसी की छोटी सी दुकान खुलवा दी. उनके एनजीओ के बच्चों की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है. क्योंकि उनका मानना है कि परिवार में अगर एक बच्चा भी शिक्षित होता है तो वह पूरी पीढ़ी का भविष्य सुधार सकता है. ऐसे लोग बहुत कम हैं इस दुनिया में जो दूसरों के लिए जीते हैं, दूसरों के लिए सपने देखते हैं और तरुण मिश्रा इन लोगों में से एक हैं. 

नोट: अगर आप ' हेल्प ड्राइव फाउंडेशन ' से जुड़ना चाहते है तो ph.no. 07009400500, email- helpdriveofficial@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं.

रिपोर्ट- अकांक्षा वैभव