
जानवरों से प्रेम को दुनियाभर की अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग तरीकों से ज़ाहिर किया जाता है.ऐसा ही एक तरीका ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में एक मठ में देखने को मिलता है जहां 100 सालों से ज्यादा समय से अनोखी परंपरा को निभाया जा रहा है. यहां भक्तों को प्रसाद देने से पहले बिल्लियों को खिलाया जाता है. क्या है इस मठ की परंपरा और इसे लेकर क्या है मठ की राय, आइए जानते हैं विस्तार से.
बिल्लियों को पूजता है बिलेखिया मठ
बिलेखिया मठ में बिल्लियों को विशेष तौर पर पूजा जाता है. मंदिर के दैनिक अनुष्ठानों के अभिन्न अंग के रूप में उनकी देखभाल और ध्यान किया जाता है. मठ में भगवान कृष्ण के अवतार मदन मोहन का एक मंदिर है. इसी मंदिर में पहले बिल्लियों को प्रसाद खिलाने की परंपरा आज भी निभाई जा रही है.
बिलेखिया मठ के महंत अभय चरण दास कहते हैं, "हम यहां भगवान और बिल्लियां दोनों के लिए दूध खरीदते हैं. पहले हमारे पास गायें थीं, लेकिन अब हम रोजाना करीब दो लीटर दूध खरीदते हैं. सुबह जब हम प्रसाद के तौर पर खिचड़ी बनाते हैं, तो बिल्लियां आमतौर पर नहीं आतीं. लेकिन दोपहर के समय मठ में रहने वाली बिल्लियां और यहां तक कि आस-पास के गांवों से भी कुछ बिल्लियां आ जाती हैं."
वह समाचार एजेंसी पीटीआई (Press Trust of India) के साथ खास बातचीत में कहते हैं, "दूध-चावल का प्रसाद सबसे पहले बिल्लियों को दिया जाता है, फिर श्रद्धालुओं को. उन्हें हमेशा पहले खाना खिलाया जाता है, वरना वे हमें कुछ और करने नहीं देतीं. हम उन्हें दिन में दो बार प्रसाद खिलाते हैं. एक बार सुबह और दूसरी बार शाम को."
बिल्लियों पर ही रखा गया मठ का नाम
मठ का नाम 'बिलेखिया' है जो दो शब्दों से मिलकर बना है. बिलेई और खिया. बिलेई का अर्थ है बिल्ली और खिया का मतलब है खाना. इस मठ में कुछ ग्रामीण अपनी पालतू बिल्लियों को भी छोड़ जाते हैं. आमतौर पर ऐसा तब होता है जब वे उनकी देखभाल करने में असमर्थ हो जाते हैं. मदन मोहन मंदिर के पुजारी जतिन कुमार पांडा कहते हैं, "मठ में करीब 20-30 बिल्लियां हैं."
वह कहते हैं, "कुछ ग्रामीण भी अपनी बिल्लियों की देखभाल न कर पाने की स्थिति में उन्हें यहां छोड़ देते हैं. मठ के महंत हर दिन बिल्लियों के लिए दूध खरीदते हैं. दूध को चावल के साथ पका कर भगवान के लिए प्रसाद बनाया जाता है. भगवान को प्रसाद चढ़ाने के बाद उसे श्रद्धालुओं में बांटा जाता है. सुबह बिल्लियों को बिस्किट और दूसरी खाने की चीजें भी खिलाई जाती हैं."
बिलेखिया मठ में श्रद्धा और करुणा का संगम देखने को मिलता है. यहां पर बिल्लियों को खिलाना उतना ही शुभ माना जाता है जितना मंदिर में प्रसाद चढ़ाना.
ये भी पढ़ें