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Sohrai Art: जमशेदपुर के पास एक गांव, 40 आदिवासी परिवार... महिलाएं कागज और कपड़ों पर पेंटिंग बना जिंदा कर रहीं सोहराई कला

झारखंड की विलुप्त होती सदियों पुरानी सोहराई कला को जमशेदपुर के पास के चिड़िगोड़ा की महिलाएं नई पहचान दे रही हैं. इस गांव में 40 आदिवासी परिवार हैं, जिनकी महिलाएं एक संस्था की मदद से सोहराई कला को कपड़ों और कागजों पर उकेर रही हैं.

जमशेदपुर के पास चिड़िगोड़ा गांव की महिलाएं सोहराई पेंटिंग बना रही हैं जमशेदपुर के पास चिड़िगोड़ा गांव की महिलाएं सोहराई पेंटिंग बना रही हैं

सदियों पुरानी सोहराई कला झारखंड की पहचान है. जमशेदपुर के पास एक आदिवासी बहुल इलाका चिड़िगोड़ा है, जहां करीब 40 आदिवासी परिवार रहते हैं. आदिवासी समुदाय के इन घरों की दीवारों पर कला और संस्कृति का समागम दिखता है. ये आदिवासी समुदाय अपनी सोहराई पेंटिंग को पहचान दिलाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. ये समुदाय अपनी अगली पीढ़ियों को इसके बारे में बताना चाहते हैं.

सोहराई पेंटिंग करती हैं समुदाय की महिलाएं-
इस समुदाय की महिलाएं दिन में खेतों में काम करते हैं और जब भी वक्त मिलता है, वो अपनी संस्कृति और परंपरा को कपड़ों और कागजों पर उकेरती हैं. इसमें इनकी मदद अबीर संस्थान कर रही है. ये संस्था आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश में है. आदिवासी समुदाय के लोगों को अब यह जानकारी हो गई है कि जो हमारी संस्कृति है, उसकी वैल्यू क्या हो सकती है.

क्या है सोहराई पेंटिंग-
आदिवासी समुदाय के लोग अपने घरों में जो भित्ति चित्र बनाते हैं, उसे सोहराई पेंटिंग कहा जाता है. घरों में कलाकृति बनाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. हालांकि समय के साथ ये विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी थी. लेकिन प्रधानमंत्री की विलुप्त होती परंपराओं, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश रंग लाई है. सोहराई पेंटिंग को लगातार बढ़ावा मिल रहा है. आदिवासी समुदाय की इस विशेष पेंटिंग की खूब तारीफ हो रही है. 
जिस कलाकृति को आदिवासी समुदाय के लोग दीवारों पर उकेरते थे, उसे अब लोग महंगी वस्तुओं पर देखना चाहते हैं. लोग अपने घरों में सोहराई पेंटिंग लगाना चाहते हैं. महंगे कपड़ों पर सोहराई पेंटिंग बनवाई जा रही है.

अबीरा संस्था से मिल रही मदद-
आदिवासी समुदाय की सोहराई पेंटिंग को जिंदा रखने में कई संस्थाएं मदद कर रही हैं. इसमें से एक संस्था अबीरा है. वो लोगों को बताने का काम कर रही है कि जो कला हमारे पास है, उसके जरिए हम अपना भविष्य बना सकते हैं. अबीरा संस्था आदिवासी समुदाय की महिलाओं को कपड़ों और कागजों पर पेंटिंग करना सीखा रही है. दो दर्जन से अधिक महिलाएं इस संस्था के साथ जुड़कर काम कर रही हैं.
(जमशेदपुर से अनूप सिन्हा की रिपोर्ट)

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