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पंजाब के लोकगीतों को घर-घर पहुंचा रहे हैं ये दो गायक, गायक कंवर ग्रेवाल और गायिका डॉली गुलेरिया के लिए संगीत ही है जीवन

पंजाबी लोक गायिका डॉली गुलेरिया और पंजाबी सूफी लोक गायक कंवर ग्रेवाल घर घर तक लोकगीतों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं. वे कई सालों से ऐसा कर रहे हैं. इन दोनों का ही मानना है कि पंजाब का हर एक गायक पंजाब की मिट्टी से जुड़ा हुआ है. वे कहते हैं कि पंजाबी लोकगीत उनके लिए मोहब्बत है.

गायक कंवर ग्रेवाल और गायिका डॉली गुलेरिया गायक कंवर ग्रेवाल और गायिका डॉली गुलेरिया
हाइलाइट्स
  • पिछले 7 सालों से लोकगीतों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं कंवर 

  • डॉली गुलेरिया छह दशकों से गा रही हैं लोकगीत 

लोकगीतों को किसी समाज का आईना कहा जाता है, इनमें उनकी छाप होती है. हालांकि, पिछले कुछ साल से ये कहीं गुम होते जा रहे हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो आज भी इनको दूसरे लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. उन्हीं कुछ चुनिंदा लोगों में पंजाबी सूफी लोक गायक कंवर ग्रेवाल और पंजाबी लोक गायिका डॉली गुलेरिया शामिल हैं. लोक गायक कंवर ग्रेवाल कहते हैं कि लोकगीत पंजाब के खान-पान से लेकर पहनावे और रहन सहन सब में बसे हैं. वहीं लोक गायिका डॉली गुलेरिया का मानना है कि पंजाबी लोकगीत उनके लिए सबकुछ हैं. 

कौन हैं लोक गायक कंवर ग्रेवाल? 

39 वर्ष के पंजाबी सूफी लोक गायक कंवर ग्रेवाल कहते हैं कि लोकगीत रब और संगीत में बसा है वह पंजाब के खान पीन पहनावे रहन सहन सब में बसा है. कंवर ग्रेवाल कहते हैं कि उन्होंने छठी क्लास से गाने की शुरुआत की थी. इस दौरान उनके पिताजी ने बस एक ही बात कही कि अगर गाना है तो सीख कर उसकी पूरी तालीम लेकर गाओ और बस यहीं से उनके पंजाबी लोकगीत के गाने का सिलसिला शुरू हो गया.

कंवर ग्रेवाल आगे कहते हैं कि पंजाब का हर एक गायक पंजाब की मिट्टी से जुड़ा हुआ है. पंजाब की धरती पीरों फकीरों की धरती है, पंजाब में बहुत से बड़े गायकों ने लोकगीत और इस सभ्यता को जिंदा रखा है जिसमें गुरदास मान हरभजन मान सुरेंद्र कौर जैसे प्रसिद्ध लोक गायक हैं.

पिछले 7 सालों से लोकगीतों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं कंवर 

कंवर ग्रेवाल बताते हैं कि वे पिछले 7 सालों से अपने गानों के जरिए यही काम कर रहे हैं. वे कहते हैं, “जो हम नए पीढ़ी के लोकगीत कार हैं उनके लिए पुराने कलाकार बहुत कुछ विरासत में छोड़ गए हैं. अब हमें उस विरासत को संभालने की जरूरत है. हमें आगे समाज और नई पीढ़ी के लिए क्या देना है यह सारी जिम्मेदारी हमारे ऊपर है. जहां अमृत हैं वहां विश भी है, जहां अच्छाई है वहां बुराई भी है और जहां अच्छा संगीत है वहां बुरा संगीत भी है, तो इसके लिए हमें ही बीड़ा उठाना होगा कि हमें समाज को क्या देना है.”

कौन हैं पंजाबी लोक गायिका डॉली गुलेरिया?

लोकगीतों को लोगों तक पहुंचाने वाले लोगों में डॉली गुलेरिया भी एक नाम है. प्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डॉली गुलेरिया कहता हैं, “पंजाबी लोकगीत मोहब्बत है, इश्क है, इबादत है, प्यार है.” डॉली गुलेरिया को गायकी विरासत में उनकी मां सुरेंद्र कौर से मिली थी. डॉली गुलेरिया सुरिंदर कौर की बेटी हैं, जिन्हें पंजाब के लोग "कोकिला" यानी की नाइटिंगेल ऑफ पंजाब के रूप में भी जानते है.

डॉली गुलेरिया ने खास बातचीत में बताया कि लोकगीत कभी भी खत्म नहीं हो सकते क्योंकि उनमें परंपराएं और प्यार बसा हुआ है. डॉली कहती हैं, “लोक गायकी में कभी भी गंदगी,  मार धाड़, गन कल्चर, लचक गायकी की कोई जगह नहीं है. लोक गायकी हमेशा प्यार और रिश्तो को बनाती है और उन्हें संजोय रखती हैं.”

छह दशकों से गा रही हैं लोकगीत 

डॉली गुलेरिया जिन्हें पंजाबी लोक लोकगीत गाते हुए लगभग छह दशक से ज्यादा का समय हो गया है. वे बताती हैं कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र से ही संगीत को सीखना शुरू कर दिया था. इसका बड़ा कारण यही था कि उनके घर के अंदर 24 घंटे संगीत से जुड़ी बातें होती थीं. डॉली गुलेरिय बताती है कि छोटी उम्र से, भक्ति के साथ, अपने शिक्षक के कुशल मार्गदर्शन में, उन्होंने अपने एकमात्र डेब्यू एल्बम रागन को गुरबानी में रिलीज करने के लिए चुना और राह माधुर्य को गाया. बाद में उन्होंने अपनी मां के साथ शबद कीर्तन, प्रसिद्ध पंजाबी कवि शिव कुमार बटालवी की कविता भाई वीर सिंह और अन्य प्रतिष्ठित लेखकों के साथ काम किया.