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Inspiring: 88 साल की दादी से सीखें जिंदगी को जिंदादिली से जीने की कला, दौड़, गायिकी और पेंटिंग में जीते 20 मेडल

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि Age is Just a Number और आज बहुत से भारतीय सीनियर सिटिजन्स इस बात को साबित कर रहे हैं. आज हम आपको बता रहे हैं 88 वर्षीया दादी की कहानी.

Age is just a number Age is just a number
हाइलाइट्स
  • 16 गोल्ड, तीन सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता

  • 81-90 वर्ष की श्रेणी में लिया भाग

बहुत पुरानी कहावत है, 'कुछ लोग बूढ़े पैदा होते हैं, जबकि कुछ कभी बूढ़े नहीं होते.' कर्नाटक के हावेरी की रहने वाली एक 88 वर्षीय दादी इस बात को सही साबित कर रही हैं. इन दादी का जीवन के प्रति उत्साह और फिट रहने की उनकी इच्छा किसी को भी प्रेरित कर सकती है. हावेरी की रहने वाली सिद्दामती नेलाविगी के लिए उम्र महज एक संख्या है क्योंकि वह पूरे दिल से अपनी जिंदगी जी रही हैं.  

हाल ही में बंगलुरु में वरिष्ठ नागरिकों की एक प्रतियोगिता में उन्होंने अलग-अलग केटेगरीज में टॉप प्राइज जीतकर यह साबित किया है कि मन में जज्बा हो तो क्या नहीं हो सकता. टाइम्स ऑफ इंडिय की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने खेल, लोक गायन, भाषण, कहानी कहने और ड्रॉइंग सहित विभिन्न स्पर्धाओं में 16 गोल्ड, तीन सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता. इस प्रतियोगिता में 145 प्रतियोगी शामिल थे. 

81-90 वर्ष की श्रेणी में लिया भाग
सिद्दामती पिछले कई सालों से इन प्रतियोगिताओं में भाग ले रही हैं. वह लॉन्ग-डिस्टेंस रनर रही हैं और अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने कई पदक जीते थे. उन्होंने बंगलुरु प्रतियोगिता में 81-90 वर्ष की श्रेणी में 100 मीटर वॉक में पहला स्थान हासिल किया. बात उनके रुटीन की करें तो हर दिन वह कम से कम एक घंटा पैदल चलती हैं. खेल में अपनी उपलब्धियों के अलावा, वह एक अच्छी गायिका और वक्ता भी हैं, जो पेंटिंग में भी गहरी रुचि रखती हैं. 

उन्होंने वन-कैरेक्टर प्ले में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कार भी जीता है. उनका मानना है कि व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए और खुद को प्रेरित करने में सक्षम होना चाहिए. उम्र किसी काम में बाधा नहीं हो सकती है. उनका कहना है कि वह जिंदगी से कभी बोर नहीं होती क्योंकि उन्होंने खुद को व्यस्त रखने के तरीके ढूंढ लिए हैं. 

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