आज की मतलब भरी दुनिया में लोग अक्सर पहले अपना फायदा और सुविधा देखते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कई बार सुविधा से ज्यादा नेकी के लिए कोई काम करते हैं. ऐसा ही कुछ हाल ही में केरल में देखने को मिला, जब एक एम्बूलेंस कंपनी ने अपना किराया घटाया, और ड्राइवर ने 2400 किमी एंबुलेंस चलाने का जिम्मा उठाया ताकि एक मां की आखिरी इच्छा पूरी हो सके.
यह कहानी है कोल्लम में रहने वाले सौतीश और उनकी मां बोधिनी की. मूल रूप से बंगाल से ताल्लुक रखने वाले सौतीश 15 साल पहले बेहतर जिंदगी की तलाश में कोल्लम आए थे और फिर वह और उनका परिवार यहीं का होकर रह गया. लेकिन बोधिनी के मन में हमेशा से इच्छा थी अपनी जड़ों क पास लौटने की. ईंट फैक्ट्री में काम करने वाले सौतीश की जिंदगी में सब ठीक था लेकिन इस साल की शुरुआत में उनकी मां को स्ट्रोक आया और वह पैरालाइज हो गईं. इसके बाद उनकी यही इच्छा थी कि ह अपने बंगाल लौटकर अपने लोगों से मिलें.
ऐसे तय हुआ 2400 किमी का सफर
सौतीश अपनी मां की इच्छा पूरी करना चाहते थे लेकिन उनकी मेडिकल कंडीशन की वजह से उन्हें एंबुलेंस के अलावा दूसरे किसी साधन से ले जाना आसान नहीं था. इतने लंबे सफर के लिए उन्हें कोई एंबुलेंस नहीं मिल रही थी और इसका किराया भी बहुत ज्यादा था. साथ ही, कम से कम समय में इतना लंबा सफर तय करने के लिए कोई ड्राइवर भी उन्हें नहीं मिल रहा था. पर कहते हैं न कि अच्छाई की वजह से यह दुनिया कायम है तो बस वही अच्छाई सौतीश को भी काम आई.
दरअसल, एमिरेट्स एम्बुलेंस सर्विस को जब उनकी समस्या के बारे में पता चला तो एंबुलेंस के मालिक किरण जी दिलीप ने सौतीश को उम्मीद की किरण दी. उन्होंने किराया कम करके सौतीश को अपनी एंबुलेंस ऑफर की. और सबसे ज्यादा अच्छाई एंबुलेंस ड्राइवर, अरुण कुमार ने दिखाई. उन्होंने 2400 किमी की दूरी तय करन का चैलेंज स्वीकार किया. अरुण कुमार के लिए केरल के कोल्लम की हलचल भरी सड़कों पर चलना या सायरन बजाते हुए तिरुवनंतपुरम के राजमार्ग पर दौड़ना कोई नई बात नहीं है. पर यह चुनौती मुश्किल थी.
क्योंकि डॉक्टरों ने बोधिनी की हेल्थ को देखते हुए अरुण को हिदायत दी थी कि वह बस भोजन और ईंधन के लिए छोटे ब्रेक लें, इसके अलावा कहीं न रूकें. और अरुण ने इस चैलेंज को पूरा किया और यह अरुण के दृढ़ संकल्प के कारण साकार हो सका.