scorecardresearch

Unique Japan Dish: आज ऑर्डर करने पर 38 साल बाद होगी इस डिश की डिलीवरी...जानिए क्या है खास

जापान की एक डिश इतनी फेमस है कि इसको खाने के लिए लोगों को 38 साल का इंतजार करना पड़ेगा. इसे रेड एंडीज (आलू की एक खास किस्म) और मीट के साथ मिलाकर बनाया जाता है.

Croquettes Croquettes

आजकल ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने का जमाना है. आप झट ये यूं ऑर्डर मारते हैं और दूसरी तरफ से फटाक से 30 से 40 मिनट के भीतर खाना आ जाता है. लेकिन सोचिए अगर इसी काम में एक से दो घंटे लगें तो आपको कैसा लगेगा. जापान में एक मीट शॉप की इतनी बड़ी फैन फॉलोइंग है कि यहां के कोबे बीफ क्रोकेट्स (Kobe beef croquettes)पर 38 साल की वेटिंग लिस्ट है. मतलब अगर आप इसका ऑर्डर देते हैं तो आपको 38 साल का इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि इसकी वेटिंग लिस्ट बहुत लंबी है. 

कैसे बनाई जाती है?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP)के अनुसार, शिगेरु निट्टा की कसाई की दुकान मध्य जापान के ह्योगो प्रान्त में स्थित है, जिसे शिगेरू नित्ता का परिवार चलाता है. यह परिवार पिछले 96 सालों से कोबे बीफ क्रोक्वेट नामक नॉनवेज स्नैक्स को बेच रहा है. इसे रेड एंडीज (आलू की एक खास किस्म) और मीट के साथ मिलाकर बनाया जाता है. हर क्रोक्वेट 10 सेमी चौड़ी और 100 ग्राम वजन की होती है और इसे 'किवामी' के रूप में भी जाना जाता है. इस डिश को आज की तारीख में ऑर्डर किया जाए तो खाने के लिए यह 38 साल बाद मिलेगी, इसलिए इसे ऑर्डर करने वाले व्यक्ति को बहुत धैर्य की जरूरत होती है.

आलू को हाई शुगर कंटेंट के लिए जाना जाता है इसलिए इसमें आवाजी द्वीप से आए प्याज को भी डाल दिया जाता है. क्रोकेट्स को  "Kiwami" के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है "the ultimate." प्रत्येक क्रोकेट लगभग 10 सेमी चौड़ा होता है और इसका वजन 100 ग्राम होता है. यह 10 खांचों वाले एक बॉक्स में आता है और हर एक गोल्डन क्रोक्वेट्स में 30 ग्राम कोबे बीफ होता है. एक क्रोकेट 300 येन (यूएस $2.05) में बिकता है.

नुकसान होने पर भी क्यों बेच रहे?
निट्टा ने दिस वीक इन एशिया को बताया, "मेरा अनुमान है कि हम जो भी क्रोकेट बेचते हैं उस पर हमें 300 येन का नुकसान हो रहा है क्योंकि उनमें जो गोमांस डाला जाता है वह बहुत महंगा है. लेकिन हमने उन्हें बेचना शुरू कर दिया क्योंकि हम चाहते थे कि लोगों को हाई क्वावालिटी वाले, कटे हुए कोबे बीफ़ का स्वाद मिले." कम लागत के कारण उनका बिजनेस दिनोंदिन तरक्की कर रहा है. निट्टा दो दुकानें चलाते हैं और आगे अभी बिजनेस और एक्सपेंड हो रहा है.

बंद कर दिया था ऑर्डर लेना
असाहिया की स्थापना 1926 में हुई थी और निट्टा दुकान संभालने वाले परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि मीडिया कवरेज के बाद डिश दुनियाभर में मशहूर हो गई थी और उनके पास 14 साल से ज्यादा समय तक डिलीवरी के ऑर्डर आ गए थे, इसलिए उन्होंने 2016 में नए ऑर्डर लेना बंद दिया था. एससीएमपी की रिपोर्ट के अनुसार, इतने लंबे इंतजार का कारण यह है कि निट्टा और उनके कर्मचारी हर दिन केवल 200 क्रोकेट ही बनाते हैं. उन्होंने कहा कि ऑर्डर सूची में लगभग 63,000 नाम हैं और यदि लोग आज ऑर्डर देते हैं, तो उन्हें वर्ष 2062 तक अपना ऑर्डर प्राप्त नहीं होगा.