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पंजाब के फरीदकोट की रेसलर बेटियां...जो गरीबी में जीकर बनीं कुश्ती चैंपियन

आमिर खान की एक फिल्म दंगल का डायलॉग मारी छोरियां छोरों से कम है के रील लाइफ में चरितार्थ होता नजर आ रहा है. पंजाब के जिला फ़रीदकोट के सुंदर नगर में रहने वाली तीन लडकियां रजनी, अंजली और रीमा गरीब घर की बेटियां जरूर हैं लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. सब से पहले इनके परिवार के बारे में आपको बताते हैं. इस परिवार के मुखीया यानी के इन लड़कियों के पिता राम प्रसाद पंजाब 30 साल पहले रोजी रोटी की तलाश में आए थे.

Faridkot Wrestling sisters Faridkot Wrestling sisters
हाइलाइट्स
  • देश का नाम करना चाहती है रौशन

  • कोच ने की मदद

आमिर खान की एक फिल्म दंगल का डायलॉग मारी छोरियां छोरों से कम है के रील लाइफ में चरितार्थ होता नजर आ रहा है. पंजाब के जिला फ़रीदकोट के सुंदर नगर में रहने वाली तीन लडकियां रजनी, अंजली और रीमा गरीब घर की बेटियां जरूर हैं लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. सब से पहले इनके परिवार के बारे में आपको बताते हैं. इस परिवार के मुखीया यानी के इन लड़कियों के पिता राम प्रसाद पंजाब 30 साल पहले रोजी रोटी की तलाश में आए थे और यही बस गए. राम प्रसाद की 5 लड़कियां हैं और एक की शादी हो गई है. एक लड़की अपने नाना के साथ रहती है और फुटबॉल खेलती है. तीन लड़कियां माता-पिता के साथ रहती हैं, जिसमें रजनी और अंजली की उम्र 18 साल है. जबकि रीमा की उम्र 15 साल है. पिता राम प्रसाद घरों में रंग रंगाई का काम करते है. लड़कियों की मां लोगों के घरों में काम करती है.

देश का नाम करना चाहती है रौशन
लड़कियां बीए की पढ़ाई भी कर रही हैं और मां के साथ जाकर लोगों के घरों में काम कर अपने परिवार का पेट पाल रही है. इन लड़कियों ने कुल्फी की रेहड़ी तक लगाई. इनके पास तो खुद का घर तक नहीं है. ये लोग किराए के मकान में रहते हैं. पढ़ाई और काम के साथ-साथ अपना सपना पूरा करने के लिए ये लड़कियां फरीदकोट के सरकारी नेहरू स्टेडियम में जा कर कुश्ती अखाड़े में अभ्यास भी कर रही हैं. फ़रीदकोट के नेहरू स्टेडियम के सरकारी कोच इनको कोचिंग दे रहे हैं. लड़कियां आमिर खान की फिल्म दंगल देखकर प्रेरित हुई थी. ये भी गीता और बबीता की तरह नाम कमाना चाहती है. लड़कियों ने कहा कि अगर सरकार हमारी मदत करे तो हम भी देश के लिए खेलकर देश का नाम रौशन कर सकते हैं. माता पिता ने मौजूदा सरकार से इन लड़कियों के बेहतर भविष्य के लिए मदद की अपील की है. 

कोच ने की मदद
हमारी टीम से बात करते रजनी ने बताया कि हमें यह रैसलिंग का बचपन से शौक था. 2018 में मैंने सिल्वर मैडल जीता. मैं आज जिस मुकाम पर हूं वह मेरे कोच की बदौलत हूं. जैसे हरियाणा में गीता दीदी रैसलिंग में नाम कमा रही है वैसे हम भी पंजाब का नाम चमकाना चाहते हैं.  हमें यह खेल खेलते हुए 4 साल हो गये. मेरा ड्रीम है कि मैं इंडियन आर्मी में जाऊं और देश की सेवा करूं.
दूसरी बेटी अंजलि ने कहा कि मैंने रैसलिंग में स्टेट लेवल पर गोल्ड, सिल्वर ओर कांस्य मैडल जीते है. अंजलि नेशनल में दो बार हिस्सा ले चुकी हैं. हम तीनों बहने रैसलिंग ही खेलती है. हमें सरदार खुसविन्दर सिंह कोचिंग दे रहे है. 

(प्रेम पासी की रिपोर्ट)
 

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