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LIC इंश्योरेंस का पैसा लेने के लिए बनाया शातिर प्लान, पहले कराया 20 लाख का बीमा फिर भिखारी की हत्या कर ऑनपेपर खुद को बताया मृत, क्राइम ब्रांच ने ऐसे दबोचा

साल 2004 में अनिल सिंह ने LIC का इंश्योरेंस लेने के लिए अपने परिवार के साथ मिलकर खतरनाक प्लान बनाया. अनिल सिंह ने 2006 में एक भिखारी की कार में जलाकर हत्या कर दी. और इंश्योरेंस कंपनी को ये बताया कि अनिल सिंह की एक्सीडेंट में मौत हो चुकी है.

आरोपी कितना भी शातिर क्यों ना हो, पर एक ना एक दिन वो पुलिस की गिरफ्त में आ ही जाता है. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने 17 साल पहले उत्तर प्रदेश के आगरा में हुए रोड एक्सीडेंट के जरिए 80 लाख रुपए का बीमा पास कराकर किए गए फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है. जिसमें भिखारी की हत्या कर कार एक्सीडेंट के नाम पर अनिल सिंह नाम के युवक ने इंश्योरेंस ले लिया था.

LIC के इंश्योरेंस के लिए की थी भिखारी की हत्या
साल 2004 में अनिल सिंह ने LIC का इंश्योरेंस लेने के लिए अपने परिवार के साथ मिलकर खतरनाक प्लान बनाया. अनिल सिंह ने 2006 में एक भिखारी की कार में जलाकर हत्या कर दी. और इंश्योरेंस कंपनी को ये बताया कि अनिल सिंह की एक्सीडेंट में मौत हो चुकी है. बाद में अनिल सिंह अहमदाबाद आकर राजकुमार नाम बदलकर रहने लगा. इधर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली कि उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में रहने वाले अनिल सिंह नाम के युवक ने लाइफ इंश्योरेंस क्लेम लेने के लिए एक भिखारी की हत्या की थी.

साल 2004 में 20 लाख का इंश्योरेंस लिया, और 2006 में 80 लाख का हर्जाना हासिल किया
क्राइम ब्रांच ने अनिल सिंह के पास से आधारकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी बुक जप्त की है. अनिल सिंह को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच लाया गया, जहां पूछताछ करने पर तोते की तरह वो सारी बातें कबूलने लगा. अनिल सिंह ने क्राइम ब्रांच के सामने कबूल किया कि, उसने एक भिखारी की हत्या करके पूरे षड्यंत्र को अंजाम दिया था. साल 2006 में LIC का जीवन मित्र प्लान चलता था, जिसमें एक्सीडेंट में मौत होने पर एलआईसी द्वारा चार गुना रकम चुकाई जाती थी. बस फिर क्या था उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में रहने वाले अनिल सिंह ने LIC का 20 लाख रुपए का इंश्योरेंस लिया और बाद में एक्सीडेंट में अपनी मौत दिखाकर 80 लाख रुपए हासिल कर लिए.

टोलटैक्स से भिक्षुक को कार में बैठाया, खाना खिलाकर बेहोश किया
साल 2006 में अनिल सिंह ने आगरा टोल टैक्स के पास से एक भिकारी को खाना खिलाने का कहकर अपनी कार में बिठाया. फिर भिखारी के लिए खाना मंगवाया और उसमें नींद की गोली मिला दी. खाना खाने के बाद भिखारी बेहोश हुआ और उसे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया गया. जिसके बाद गाड़ी में आग लगा दी गई. इस तरह आरोपीओ ने भिखारी की हत्या कर कागजों में खुद का एक्सीडेंट दिखाया और एलआईसी क्लेम किया. 

LIC के रिकॉर्ड पर अनिल सिंह मृतक था, राजकुमार बनकर अहमदाबाद में आ बसा
इंश्योरेंस का पैसा आते ही सबने मिलकर अपना अपना हिस्सा ले लिया, फिर LIC के रिकॉर्ड में मृतक हो चुका, अनिल सिंह अहमदाबाद आ गया और निकोल में रहने लगा. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के डीसीपी चैतन्य मंडलिक ने कहा, अनिलसिंह ने यहां अपना नाम राजकुमार बताया था. राजकुमार के नाम से नकली डॉक्यूमेंट भी बनवाए. अब क्राइम ब्रांच ने अनिल सिंह उर्फ राजकुमार के खिलाफ नकली डॉक्यूमेंट का केस दर्ज करके आगरा पुलिस से संपर्क किया है. आगरा पुलिस भिकारी की हत्या का केस दर्ज करेगी. इंश्योरेंस की रकम हड़पने का प्लान अनिल सिंह के साथ उसके पिता और भाई ने मिलकर बनाया था. भिखारी की हत्या को आरोपियों ने कार एक्सीडेंट में पलट दिया था. आगरा पुलिस ने उस वक्त कार की नंबर प्लेट के माध्यम से अनिल सिंह के पिता विजय पाल सिंह से संपर्क करके उनके बेटे अनिल सिंह की मौत होने की जानकारी दी थी. जिसके बाद वो परिवार समेत आगरा पहुंचे और मृतक के अनिल सिंह होने की पुष्टि की थी. बाद में भिखारी की लाश को लेकर खुद के गांव गए और अंतिम संस्कार किया था. 

मृतक अनिलसिंह, अपने परिवार से राजकुमार बनकर सूरत और दिल्ली में मिला करता था
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के अनिलसिंह मलेक की LIC के रिकॉर्ड पर साल 2006 में मौत हुई थी, जिसकी वजह से 42 वर्षीय अनिल सिंह अपने परिवार से सूरत और दिल्ली में मुलाकात करता था. अहमदाबाद में कार चलाकर अनिल सिंह परिवार का गुजार करता था. अनिल सिंह जब राजकुमार बना तब उसने एक युवती से शादी भी की थी, दोनों के दो बच्चे भी हैं.

-अतुल तिवारी की रिपोर्ट