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अपना ट्रांसजेंडर जूस कॉर्नर शुरू करके आत्मनिर्भर बनी ये ट्रांसजेंडर, ग्राहकों को पिला रहे 60 तरह के जूस और लस्सी

लोग ट्रांसजेंडर को देखकर उनके बारे में अलग धारणा बना लेते हैं. लोगों के लिए ट्रांसजेंडर अन्य सामान्य लोगों की तरह नहीं होते हैं. अनामिका बताती हैं कि फिलहाल वह 12th क्लास में हैं. पहले जिस स्कूल में एडमिशन मिलना मुश्किल था, अब उसी स्कूल में वह न सिर्फ आजादी के साथ पढ़ाई कर रही हैं बल्कि गर्ल्स की क्लास हेड भी हैं. 

जूस कॉर्नर शुरू करके बने आत्मनिर्भर जूस कॉर्नर शुरू करके बने आत्मनिर्भर
हाइलाइट्स
  • मेहनत से अपनी पहचान बना रहे ये ट्रांसजेंडर

  • शुरू किया जूस कॉर्नर का बिज़नेस

उत्तर प्रदेश के नोएडा में शिल्प हाट में सरस मेला चल रहा है. इस मेले में एक ट्रांसजेंडर जूस कॉर्नर चर्चा का विषय बन गया है. इस जूस कार्नर को तीन ट्रांसजेंडर्स चला रहे हैं और ये सभी केरल के रहने वाले हैं. 

गुड न्यूज़ टुडे ने इस ट्रांसजेंडर जूस कार्नर को चला रहे अमृता, मिथुन और अनामिका से बात की. अमृता बताती हैं कि यह जर्नी बहुत आसान नहीं थी. वह कहती हैं कि 5 साल पहले वह किसी और जूस की दुकान पर काम करती थीं लेकिन, वहां पर उनको अपनी पहचान छुपा कर काम करना पड़ता था. 

पहचान सामने आई तो चली गई नौकरी: 

उन्होंने बताया कि जब उनकी पहचान सामने आई कि वह ट्रांसजेंडर है तो दुकान के मालिक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया. अमृता को यह बात समझ में आ गई थी कि उनके लिए आत्मनिर्भर बनने का सफर बिल्कुल आसान नहीं होगा. ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह अपना काम करेंगी.
 
जूस की दुकान पर काम करने का अनुभव उन्हें था और इसलिए उन्होंने एक सामाजिक संस्था के सहयोग से कोच्चि में अपनी दुकान शुरू की. आज जूस की दुकान चलाने के अलावा, अमृता और कई उत्पाद जैसे अचार, पापड़ तैयार करती हैं. और इनकी बिक्री भी अच्छी हो रही है. 

दूसरे ट्रांसजेंडर्स को दिया काम का मौका: 

अमृता दूसरों को रोजगार भी दे रही हैं. उनके यहां अनामिका काम करती हैं और वह अमृता को अम्मा मानती हैं. अनामिका बताती हैं कि वह भी अपने पैरों पर खड़े होना चाहती थीं लेकिन ट्रांसजेंडर्स के लिए दुनिया में अपनी जगह बनाना आसान नहीं है. 

लोग ट्रांसजेंडर को देखकर उनके बारे में अलग धारणा बना लेते हैं. लोगों के लिए ट्रांसजेंडर अन्य सामान्य लोगों की तरह नहीं होते हैं. अनामिका बताती हैं कि फिलहाल वह 12th क्लास में हैं. पहले जिस स्कूल में एडमिशन मिलना मुश्किल था, अब उसी स्कूल में वह न सिर्फ आजादी के साथ पढ़ाई कर रही हैं बल्कि गर्ल्स की क्लास हेड भी हैं. 

अनामिका पढ़-लिख कर एक सरकारी नौकरी करना चाहती हैं ताकि वह अपने माता पिता और भाई की मदद कर पाएं. 

बनाते हैं 60 तरह के जूस और लस्सी: 

अमृता ने आगे बताया कि वह अपने जूस कॉर्नर पर 60 तरह के जूस और लस्सी तैयार करते हैं. और लोगों को इनके उत्पाद खूब भा रहे हैं. क्योंकि ये गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करते हैं. इसलिए धीरे-धीरे उन्होंने अच्छे ग्राहक भी जोड़ लिए हैं.  

ट्रांसजेंडर्स को उनके पैरों पर खड़े होने में मदद करने वाली प्रीत बताती हैं कि शुरुआत में उनके मन में भी संकोच थे कि अगर वह उनसे बात करेंगी तो सामने से क्या प्रतिक्रिया मिलेगी. क्योंकि ज्यादातर ट्रांसजेंडर को रेड लाइट और ट्रेन में भीख मांगने वाले या फिर सेक्स वर्कर के रूप में देखते हैं लेकिन, असल में ऐसे बहुत से ट्रांसजेंडर हैं जो इस दलदल से निकलकर सम्मान का काम करना चाहते हैं. और आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं.

अच्छी बात यह है दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे देश में इन को लेकर लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है. हालांकि, अभी भी बहुत से जागरूक अभियान चलाये जाने की जरूरत है. इसलिए वह सरकार से अपील करती हैं कि वह सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण की व्यवस्था करें ताकि उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आ सके और वह भी आम समाज का हिस्सा बन सकें. 

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