मियाजाकी आम को दुनिया का सबसे महंगा आम कहा जाता है. लाल रंग के इस आम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 2.75 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है. इस आम को त्रिपुरा निवासी 42 वर्षीय प्रज्ञान चकमा अपने बाग में उगा रहे हैं. वह इसे पिछले दो साल से बाजार में बेच भी रहे हैं. लगातार दूसरे साल फसल के साथ उनकी सफलता ने अब सरकारी अधिकारियों का ध्यान खींचा है.
चित्रकार के रूप में करते थे काम
प्रज्ञान का एक चित्रकार से किसान बनने का सफर आसान नहीं था. वह अगरतला से लगभग 82 किलोमीटर दूर धलाई जिले के एक छोटे से गांव पंचरतन के रहने वाले हैं. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी तक गांव में ही चुन्नीलाल ललितकला एकेडमी में एक चित्रकार और चित्रकला शिक्षक के रूप में काम किया था. अब वह बागवानी करते हैं और कभी-कभार कुछ पेंटिंग असाइनमेंट करते रहते हैं, जिससे उन्हें कुछ ऊपर से पैसे मिल जाते हैं. प्रज्ञान ने बताया, अपने बगीचे के लिए जो भी मेरे पास पैसे थे, उसे निवेश कर दिया. शुरू में रुपए नहीं होने के चलते कभी-कभी तो हमें पता ही नहीं चलता था कि अगले दिन खाना कैसे मिलेगा. लेकिन मेरी पत्नी ने मेरा काफी साथ दिया.
कई प्रकार के आमों की करते हैं खेती
प्रज्ञान का चार एकड़ में फलों का बाग है. इसमें वह रामबूटन, ड्रैगन फ्रूट, सेब, मियाजाकी, खातिमोन, अमेरिकन पामर, रंगुई और आम्रपाली जैसे कई प्रकार के आमों की खेती करते हैं. प्रज्ञान ने बताया कि मैंने पांच साल पहले आम लगाना शुरू किया था और अब दो साल हो गए हैं, जब मैं मियाजाकी आम बेच रहा हूं. इस बार मुझे लगता है कि मियाजाकी आमों के लिए अच्छी संभावाएं हैं.
कम दामों में बेचना पड़ता है आम
रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रज्ञान के मियाजाकी आमों की बागवानी विभाग की ओर से परीक्षण नहीं किया गया है और उनके पास जीआई टैग भी नहीं है, इसलिए वह स्थानीय बाजार में 1,500 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से आम बेचते हैं. प्रज्ञान का कहना है कि पिछले साल उन्होंने अपने इलाके में लगभग 20 किलो मियाजाकी आम बेचे थे. इस साल लगभग 40 किलोग्राम आम होने की उम्मीद कर रहे हैं.
इंटरनेट पर थे निर्भर
प्रज्ञान ने बताया कि मियाजाकी आम के बारे में जानने के लिए वह ज्यादातर यू-ट्यूब और इंटरनेट पर निर्भर थे क्योंकि क्षेत्र में इसके बारे में किसी को मालूम नहीं था. उन्होंने कहा कि मैंने सरकार से मदद के लिए आवेदन नहीं किया और न ही उन्होंने कोई मदद की. हालांकि अब इस पर थोड़ा ध्यान दिया जा रहा है तो मुझे कुछ मदद मिलने की उम्मीद है.
कृषि अधीक्षक ने किया समर्थन
धलाई जिले के कृषि अधीक्षक सीके रियांग ने बताया कि ऐसा लगता है कि इस बार मियाजाकी आम के लिए अच्छी संभावना है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है क्योंकि अब प्रज्ञान के पास केवल कुछ ही मियाजाकी पौधे बचे हैं. हालांकि हमने उनके बाग के लिए एक नहर बनाकर मदद की है. इसके साथ ही हमने प्रज्ञान को तकनीकी जानकारी भी दी है. रियांग का कहना है कि त्रिपुरा की मिट्टी की स्थिति और जलवायु मियाजाकी के लिए अनुकूल है.
जापान में मूल रूप से उगाया जाता है यह आम
मियाजाकी आम मूल रूप से जापान के क्यूशू प्रान्त स्थित मियाजाकी शहर में उगाया जाता है. यह आमतौर पर वजन में 350 ग्राम से अधिक होता है और इसमें 15 प्रतिशत या अधिक चीनी सामग्री होती है. इस किस्म की खेती के लिए लंबे समय तक तेज धूप और वर्षा की आवश्यकता होती है. इसके रूबी लाल रंग के फल को जापान में एग ऑफ द सन या ताइयो-नो-तामागो के नाम से भी जाना जाता है. मियाजाकी एक प्रकार का इरविन आम है जो दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापक रूप से उगाए जाने वाले पीले पेलिकन आम से अलग है. इसमें बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड होता है और इसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना जाता है.