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भारत के दो युवाओं का कमाल, सौर ऊर्जा से चलेगा यह ई-ऑटो, न बढ़ते पेट्रोल के दामों की चिंता न सीएनजी की

तिरुवनंतपुरम में स्थित 'एटरनियम लोकोमोशन एंड नेविगेशन प्राइवेट लिमिटेड' ('ईएलओएन') स्टार्ट-अप को दो दोस्तों ने मिलकर शुरू किया है और उन्होंने हाल ही में अपना ई-ऑटो शुरू किया है जो सौर ऊर्जा से चलेगा.

Representational Image (Photo: Wikimedia Commons) Representational Image (Photo: Wikimedia Commons)
हाइलाइट्स
  • दो युवाओं ने लॉन्च किया ई-ऑटो रिक्शा

  • सौर ऊर्जा से चलेगा ई-ऑटो

पिछले हफ्ते से देश में लगातार फ्यूल की कीमतें बढ़ रही हैं. पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतें हर रोज आसमान छू रही हैं. जिस कारण हर कोई परेशान है कि आखिर क्या किया जाए. क्योंकि इस कारण पब्लिक वाहनों जैसे ऑटो आदि का किराया भी बढ़ रहा है.  

एक तरफ जहां लोग बढ़ती कीमतों से परेशान हैं वहीं दो युवा समस्या के समाधान में जुटे हैं. यह कहानी है केरल के दो उद्यमी, एरोमल पद्मजयन और आइविन गांसियस की. जिन्होंने ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) स्टार्टअप लॉन्च किया है और इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा का उत्पादन करने के मिशन पर हैं. 

लॉन्च किया ई-ऑटो रिक्शा

उनका 'एटरनियम लोकोमोशन एंड नेविगेशन प्राइवेट लिमिटेड' ('ईएलओएन') नाम का स्टार्ट-अप तिरुवनंतपुरम में स्थित है. उन्होंने एक हफ्ते पहले अपने ईलेक्ट्रिक ऑटो, Gekko का प्रोटोटाइप लॉन्च किया. दोनों दोस्त इस क्षेत्र को लेकर काफी पॉजीटिव हैं. 

33 वर्षीय अरोमल की आईटी कंपनी ने हाल ही में कैम्ब्रिज क्लीनटेक, यूके के लिए अपनी तरह का पहला वर्चुअल मैच-अप कन्वेंशन प्लेटफॉर्म विकसित किया है. वहीं, आइविन गैंसियस (41) एक सीरियल एंटरप्रेन्योर हैं जिन्होंने अपने सफर में सफलता और असफलता, दोनों का स्वाद चखा है. 

सौर ऊर्जा से चलेगा ई-ऑटो

उनके अनुसार, इस ऑटो का कमर्शियल उत्पादन जल्द ही शुरू होने वाला है. इस ऑटो मॉडल के साथ सौर पैनल भी शामिल होंगे. इसका डिज़ाइन 'रेट्रो' ऑटोरिक्शा को आधुनिक लुक देने की ओर रहा है. इसकी बैटरी को सामान्य पोर्ट का उपयोग करके चार्ज किया जा सकता है. वहीं इटरनियम वाहन के सौर पैनल भी इसे रिचार्ज करेंगे. 

अब तक यहां सरकारी कंपनी केरल ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड और त्रिशूर में Hykon Ind ई-ऑटो बनाती हैं. यह पहली बार है जब कोई स्टार्टअप ई-वाहनों का उत्पादन करने की कगार पर है. सौर ऊर्जा से चलने वाले ऑटो आने से न सिर्फ फ्यूल की जरूरत घटेगी बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित होगा.