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Free Swimming Classes: सालों से बच्चों को मुफ्त में तैराकी सिखा रहा है यह रिटायर्ड प्रोफेसर, सैकड़ों को बनाया तैराक

राजस्थान में उदयपुर के रहने वाले एक रिटायर्ड प्रोफेसर पिछले कई दशकों से बच्चों को मुफ्त में स्विमिंग क्लास दे रहे हैं. उनका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा बच्चों को अच्छा तैराक बनाना है क्योंकि स्विमिंग जैसी स्किल्स बच्चों को आनी चाहिए.

Representational Image (Photo: Unsplash) Representational Image (Photo: Unsplash)

राजस्थान के उदयपुर में रहने वाले राजू भाई यहां की फतेहसागर झील में बच्चों को निशुल्क तैरना सीखने हैं. उन्होंने करीब 44 साल पहले निशुल्क तैराकी प्रशिक्षण शुरू किया और वह हजारों बच्चों को तैराक बना चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि पिछले कई वर्षों से माता-पिता भी उन पर विश्वास करते हुए बच्चों को फतेहसागर झील में तैरने की स्वीकृति देते हैं. 

रिटायर्ड प्रोफेसर  सिखा रहे हैं स्विमिंग
गर्मी का मौसम बढ़ने के साथ ही फतेहसागर झील पर सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉकर्स के साथ-साथ तैराकी करने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ने लगी है. यही नहीं नन्हे मुन्ने बच्चे भी फतेहसागर झील में तैराकी सीखने के लिए पहुंचते हैं, क्योंकि यहां पिछले 44 वर्षों से रिटायर्ड प्रोफेसर राजेन्द्र अग्रवाल उर्फ राजू भाई निशुल्क तैराकी सीखाने का काम करते हैं. राजू भाई की कोई स्विमिंग एकेडमी नहीं है बल्कि वह फतेहसागर की पाल पर बैठते हैं. 

यहां कोई भी माता-पिता तैराकी के लिए बच्चों को फतेहसागर लेकर आता है तो वह पूरी सुरक्षा के इंतजाम के साथ उन्हें सीखाते हैं. 1980 में राजू भाई ने फतेहसागर झील में तैराकी सीखाने का मानस बनाया और फिर यह लक्ष्य तय कर लिया कि वह औसतन एक तैराक रोजाना तैयार करेंगे. गर्मी के मौसम में राजू भाई के पास 200 से ज्यादा बच्चे एक साथ तैराकी सीखने के लिए आने लगते हैं, जिसमें 100 से ज्यादा बच्चे महज 15 दिन में फतेहसागर जैसी बड़ी झील में मछली की तरह तैरने लगते हैं. 

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लोगों को है उनपर भरोसा 
राजू भाई पर तैराकी सिखाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चों के माता-पिता को भी इतना विश्वास है कि वह उन्हीं के भरोसे बच्चों को कई फीट गहरी झील के पानी में उतार देते हैं. राजू भाई भी सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त रखते हैं और उनके द्वारा तैयार किया जा रहे एक-एक तैराक का पूरा ध्यान रखते हैं. वह पहले बच्चों को किनारे पर ही तैरना सीखने हैं और फिर धीरे-धीरे पानी के बीच में तक ले जाने लगते हैं. यही नहीं राजू भाई के पास तैराकी  सीखने के लिए सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि अब कई बड़े भी आते हैं. 

फतेहसागर की पाल पर बैठकर आते-जाते सभी से अभिवादन करने वाले राजू भाई इतने व्यवहार कुशल है कि उनके छात्र कई वर्षों बाद भी जब उनसे मिलते हैं तो पूरे उत्साह और आदर के साथ उनके चरण स्पर्श करते हैं. राजू भाई का कहना है वह कई दशकों से तैराकी करने के लिए फतेहसागर आ रहे हैं, और इसी बीच उन्होंने बहुत से तैराक तैयार किए हैं. 

(सतीश शर्मा की रिपोर्ट)