जेसन आर्डे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के सबसे कम उम्र के अश्वेत प्रोफेसर बन गए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जेसन 11 साल की उम्र तक पढ़ने व लिखने में असमर्थ थे. आर्डे का जन्म और पालन-पोषण दक्षिण-पश्चिम लंदन के क्लैफम में हुआ था. जब वे 3 साल के थे तो उन्हें 'ग्लोबल डेवलपमेंट डिले' और 'ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर' होने का पता चला था. उस वक्त परिवार को बताया गया था कि आर्डे को पूरी जिंदगी किसी के सहारे की जरूरत होगी. हालांकि अपनी मेहनत और लगन के बलबूते उन्हें नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिया है.
वंचित लोगों के लिए काम करना चाहते हैं
उन्होंने बीबीसी से बातचीत में बताया, “मेरा काम इस बात पर ध्यान केंद्रित है कि कैसे हम वंचित लोगों के लिए उच्च शिक्षा के मौके दिला सकते हैं.” आर्डे ने अपने गुरु सैंड्रो की मदद से किशोरावस्था में पढ़ना और लिखना शुरू कर दिया था. आर्डे ने सरे विश्वविद्यालय से फिजिकल एजुकेशन और एजुकेशन स्टडीज में ग्रेजुएशन किया और टीचर बन गए. इसके अलावा, उन्होंने शैक्षिक अध्ययन में दो मास्टर डिग्री और पीएचडी की है.
यकीन नहीं होता ऐसा भी हो जाएगा
2018 में आर्डे ने अपना पहला पेपर पब्लिश किया था. आर्डे कहते हैं, मैं बहुत आशावादी हूं, मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा हुआ होगा. उन्होंने स्वीकार किया कि जब उन्होंने पहली बार अकादमिक पत्र लिखना शुरू किया तो उन्हें "पता नहीं" था कि वे क्या कर रहे थे. मुझे पता था कि मेरे पास बहुत ज्यादा प्रतिभा नहीं है, लेकिन मुझे पता था कि मैं इसे कितनी बुरी तरह से चाहता था और जानता था कि इसके लिए मैं कितनी मेहनत करना चाहता हूं. बाद में आर्डे दरहम विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. 2021 में वह ब्रिटेन में सबसे कम उम्र के प्रोफेसरों में से एक बन गए.
ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज में काम करना चाहते थे
आर्डे ने खुलासा किया कि 10 साल पहले जब वह पीएचडी कर रहे थे, तब उन्होंने अपनी मां के बेडरूम की दीवार पर एक लिस्ट बनाई थी और तय किया कि जीवन में उनके क्या लक्ष्य हैं. उनकी सूची में तीसरा लक्ष्य था, ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज में काम करना. आज आर्डे की विश पूरी हो गई और वे इससे बेहद खुश हैं.