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Digital युग में भी लोगों के बीच पॉपुलर है वाराणसी का यह Pen Museum, मिलेगा पुराने से पुराना फाउंटेन पेन

वाराणसी के मशहूर PenCo स्टोर के मुरीद डॉ राजेंद्र प्रसाद इंदिरा गांधी, सम्पूर्णानंद,कमलापति त्रिपाठी, नेपाल के राजा जैसी हस्तियां भी रहीं है. अखिलेश यादव जैसे नेता भी यहां के पेन से लिखते हैं. जानें इस स्टोर के बारे में.

हाइलाइट्स
  • काशी में बना ये छोटा-सा स्टोर लोगों के बीच Pen Museum के रूप में जाना जाता है

  • इस स्टोर में 1 लाख 8 हज़ार का Mont. Blanc special edition मौजूद है

मान्यता है कि काशी इतिहास से भी प्राचीन है. यहां की गलियों में जितनी बार आप जाएंगे आपको काशी नए रूप में दिखेगी. आज हम आपको काशी यानी वाराणसी की एक ऐसी ही धरोहर के बारे में बताते हैं जो आज के डिजिटल युग में आपको चौंका देगी. इसमें आपको वर्षों पहले का इतिहास मिलेगा.

बनारस की चहल पहल अगर देखनी हो तो ‘गोदौलिया’ बाज़ार में आइए और यहां देखिए फ़ाउंटन पेन (Fountain Pen) के इस सालों पुराने स्टोर को. आज़ादी के पहले से काशी में बना ये छोटा-सा स्टोर लोगों के बीच Pen Museum के रूप में जाना जाता है. खासकर ऐसे लोग जिनको फ़ाउंटन पेन से लिखने का शौक़ है.  

वही फ़ाउंटन पेन जिसके बारे में कहा जाता है कि इससे लिखाई अच्छी होती है. पर आज डिजिटल युग में जब हर हाथ में ‘मोबाइल’ है, ‘कंप्यूटर' है तो भला फ़ाउंटन पेन का क्या काम. 

कैसे हुआ शुरू यह स्टोर
इस स्टोर के शुरू होने की कहानी भी कम रोचक नहीं है. साल 1996 में तारा प्रसाद साहू नामक एक किशोर ने फाउंटेन पेन इसलिए बेचना शुरू किया क्योंकि उन्होंने सोचा इससे पढ़े-लिखे लोगों से बातचीत करने का मौक़ा मिलेगा. धीरे-धीरे यह व्यवसाय चल निकला और यह दुकान अपने आप में एक ब्रांड बन गयी और नाम हुआ - ‘PenCo. 

आज देश भर में पेनको को लोग जानते हैं. पर इस दुकान को ख़ास बनाते हैं इसमें रखे फ़ाउंटन पेन. कई ऐसे पेन जो अब सिर्फ़ इतिहास में दर्ज़ हैं. 

स्टोर में मौजूद हैं दुर्लभ पेन 
इस स्टोर में 1 लाख 8 हज़ार का Mont. Blanc special edition मौजूद है. इटली की कम्पनी Delta की dolce vita भी है जो अब बनता ही नहीं है. इसमें 18 कैरेट गोल्ड की निब है. वहीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री Winston Churchill को समर्पित Sheaffer कम्पनी का पेन भी लोग यहां देखने आते हैं.

आपको बता दें कि फ़ाउंटन पेन का ईजाद अमेरिकी सेल्समैन लुईस वाटरमैन (Lewis Waterman) ने किया था. कई ऐसी दुर्लभ और हेरिटेज फ़ाउंटन पेन आपको यहाँ मिलेगी जो अब सिर्फ कहानियों में हैं. यहां बाचरमैन का हैंड क्राफ्टेड पेन है. जिसमें स्याही ड्रॉपर से डाली जाती है. स्याही भरने की यह तकनीक 150 साल पुरानी है. 
 
फ्लेक्सिबल निब का पेन भी आपको देखने को मिलेगा, जिसके निब को मोड़ा जा सकता है. यह कैलिग्राफी में काम आता है. 

तीसरी पीढ़ी चला रही है स्टोर
निशांत साहू तीसरी पीढ़ी हैं जो इस स्टोर को चलाते हैं. लेकिन कुछ ख़ास और बड़ी शख़्सियतों का इतिहास भी इस जगह से जुड़ा है. डॉ राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, कमलापति त्रिपाठी, नेपाल के राजा जैसी हस्तियों ने यहां के फ़ाउंटन पेन का इस्तेमाल किया है. 

वर्तमान में भी पेन का संग्रह करने वाले, जाने-माने शिक्षाविद और इतिहास को जानने का शौक़ रखते वाले यहां आते हैं. अब यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अपने कुर्ते की जेब में यहां की कलम लगाए दिखेंगे.