उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक किसान सबके लिए प्रेरणा बन चुका है. इस किसान ने सिंदूर की खेती करके मिसाल पेश की है. इस हाईटेक किसान का यह भी मानना है कि आज तक सिंदूर की खेती देश में किसी ने नहीं की है. प्रकृति प्रेमी एवं समाजसेवी, अशोक तपस्वी ने फतेहपुर शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी में कुमकुम के पेड़ लगाए हैं. उनकी सफलता ने दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया है. देश के दूसरे प्रांतो में भी किसान इस खेती को करने के लिए पौधों की मांग कर रहे हैं.
अशोक भी मानना है कि केमिकल युक्त रंग एवं सिंदूर आम जनमानस के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इस सिंदूर को लगाने के कारण महिलाएं सिरदर्द एवं चर्मरोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रही है. लेकिन अशोक ने प्राकृतिक रूप से सिंदूर तैयार किया है जो हर तरह से सुरक्षित है.
तैयार कर रहे हैं ऑर्गनिक कुमकुम
अशोक किसानों को कुमकुम के पौधरोपित कर धनार्जन करने के लिए प्रेरित कर रहे है. उन्होने बताया कि यह कुमकुम लगाने से महिलाओं का सिर ठंडा होने के साथ-साथ उनके सौंदर्य को निखरता है. बनावटी और केमिकलयुक्त सिंदूर का प्रयोग करके महिलाओं को सिरदर्द, चर्मरोग जैसी बीमारियों की शिकार हो रही है. उनका मानना है कि लोग कुमकुम और चंदन जैसे औषधीय वृक्षों के नाम का लेबल लगाकर मिलावटखोर नकली और बनावटी क्रीम एवं अन्य सौन्दर्य प्रसाधन तैयार कर बाजारों में बेचते है.
अशोक का कहना है कि किसान अनाज उत्पादन के साथ-साथ औषधीय खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकता है. उन्होंने कहा कि कुमकुम, एलोवेरा, गुरिच, तुलसी जैसी औषधीय पौधे किसान ही नहीं बल्कि दूसरे लोग भी लगा सकते हैं. इन पौधों के लिए बहुत ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं है. अगर आपके पास थोड़ी-बहुत भी जमीन है तो आप अपन इस्तेमाल के लिए ये औषधीय पौधे लगा सकते हैं.
(नितेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट)