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Uttar Pradesh and GI Tag: यूपी में हैं देश के सबसे ज्यादा GI Tag वाले हैंडीक्राफ्ट, 3 और प्रोडक्ट्स को मिली अपनी पहचान  

GI Tag: तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 55 जीआई-टैग वाले सामान हैं. जबकि यूपी और कर्नाटक में 48 और 46 जीआई प्रोडक्ट हैं. हालांकि, जीआई-टैग वाले हैंडीक्राफ्ट के मामले में यूपी पहले स्थान पर है.

Uttar Pradesh and GI Tag Uttar Pradesh and GI Tag
हाइलाइट्स
  • सबसे ज्यादा जीआई टैग हैं तमिलनाडु के पास

  • अकेले वाराणसी में 18 जीआई टैग वाले प्रोडक्ट 

भारत में हर राज्य की अपनी एक अलग पहचान है. हर क्षेत्र की अपनी कुछ चीजें हैं जिनकी वजह से उसे जाना जाता है. इसी पहचान को अलग बनाने के लिए हर राज्य की कुछ स्पेशल चीजों को जीआई टैग (GI Tag) दिया जाता है. अब इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश को तीन और ओ.डी.ओ.पी. शिल्प- मैनपुरी तारकाशी, महोबा गौरा पत्थर शिल्प, और संभल सींग शिल्प के लिए जीआई टैग मिल गया है. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश अब सबसे ज्यादा जीआई टैग वाले सामान की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आ गया है. 

इन तीन को मिला जीआई टैग

1. संभल सींग शिल्प

संभल में बने हॉर्न-बोन हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट बेहद लोकप्रिय हैं. इन शिल्प वस्तुओं को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल मरे हुए जानवरों से मिलता है. संभल के सींग और हड्डी के उत्पाद पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. 

2. महोबा गौरा पत्थर 

महोबा अपने गौरा पत्थर शिल्प के लिए पूरे देश में जाना जाता है. गौरा स्टोन क्राफ्ट चमकीले सफेद रंग के पत्थर से बना है जो मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पाया जाता है. गौरा स्टोन का टेक्सचर सॉफ्ट होता है. इसे कई टुकड़ों में काटा जाता है जिनका उपयोग अलग-अलग शिल्प वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है जिनका उपयोग सजावट के लिए होता है. 

3. मैनपुरी तारकाशी

तारकशी लकड़ी में पीतल, तांबे या चांदी के तार जड़ने की एक तकनीक है. यह मैनपुरी जिले की अनूठी एवं कलात्मक कृति है. इसका इतेमाल ज्वेलरी के बक्से, नेमप्लेट और दूसरे समान को सजाने के लिए किया जाता है.

सबसे ज्यादा जीआई टैग हैं तमिलनाडु पर 

तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 55 जीआई-टैग वाले सामान हैं. जबकि यूपी और कर्नाटक में 48 और 46 जीआई प्रोडक्ट हैं. हालांकि, जीआई-टैग वाले हस्तशिल्प के मामले में यूपी पहले स्थान पर है, जिसके क्रेडिट में 36 शिल्प हैं. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ रजनीकांत ने दावा किया है कि "इस उपलब्धि के साथ, कर्नाटक को पछाड़कर यूपी देश में अधिकतम जीआई टैग वाला दूसरा राज्य बन गया है. यूपी में भी देश में हस्तशिल्प में सबसे अधिक जीआई टैग हैं." 

अकेले वाराणसी में 18 जीआई टैग वाले प्रोडक्ट 

यूपी के 48 जीआई सामानों में 36 उत्पाद हैंडीक्राफ्ट कैटेगरी के हैं. अकेले वाराणसी क्षेत्र में, 23 में से 18 जीआई-टैग वाले सामान हस्तशिल्प (Handicrafts) कैटेगरी के हैं. रिपोर्ट के अनुसार, रजनीकांत ने दावा किया, "उत्तर प्रदेश न केवल जीआई-टैग किए गए उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है, बल्कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी संख्या में जनशक्ति भी शामिल है, जो देश में सबसे ज्यादा वार्षिक कारोबार करता है."

क्या है जीआई टैग और इससे क्या फायदा?

जीआई टैग का मतलब है भौगोलिक संकेत या Geographical Indications. इसके आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है. आसान शब्दों में समझें, तो ये प्रोडक्ट की एक तरह की पहचान होती है कि वो उस राज्य का है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि उस चीज की अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कीमत और महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जिसके कारण उसके उस चीज का एक्सपोर्ट और टूरिज्म वैल्यू बढ़ जाती है.