अब तक आपने ऑर्गनिक कपड़े के बारे में सुना होगा लेकिन अब मेडिकल गारमेंट्स या औषधीय कपड़े भी हकीकत बनने जा रहे हैं. जी हां, ये ऐसे कपड़े होंगे जिन्हें पहनने पर आपकी बीमारी में राहत मिलेगा. जैसे हो सकता है कि भविष्य में, आपको सिरदर्द के लिए गोली नहीं खानी पड़े बल्कि आपकी शर्ट या कुर्ता ही आपको हीलिंग टच दे दे.
दरअसल, वडोदरा में एमएस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किगेलिया पिन्नाटा या सॉसेज ट्री से फाइबर निकाला है जिससे इस तरह के औषधीय कपड़े बनाए जा सकते हैं. चिकित्सा, निर्माण, भोजन और सौंदर्य प्रसाधनों में इसके कई अनुप्रयोगों के लिए, सॉसेज ट्री को पहले से ही पेड़ों की 'कामधेनु' के रूप में जाना जाता है. आपको बता दें कि कामधेनू हिंदू पौराणिक कथाओं में पवित्र गाय है जो सभी इच्छाओं को पूरी करती है.
कई राज्यों में मिलता है यह पेड़
डिपार्टमेंट ऑफ क्लोदिंग एंड टेक्सटाइल्स की शोधकर्ता शगुन राव ने प्रोफेसर मधु शरण के मार्गदर्शन में काम करते हुए इस सजावटी बहुउद्देश्यीय पेड़ की प्रजाति से फाइबर निकाला है. किगेलिया पिन्नाटा अक्सर इसकी आकर्षक उपस्थिति के कारण एक सजावटी पौधे के रूप में उगाया जाता है, विशेष रूप से इसके लाल रंग के फूल और फल जो विशाल सॉसेज जैसे लंबे डंठल से लटकते हैं.
यह पेड़ प्रजाति गुजरात, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आम है और जाहिर तौर पर एक लोकप्रिय सजावटी पौधे के रूप में है. हालांकि, इसका उपयोग दस्त, घाव और पेट से संबंधित बीमारियों के उपचार में किया जाता है, जबकि इसके फलों के अर्क का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में त्वचा में सुधार के लिए भी किया जाता है.
फाइबर से बन सकते हैं कपड़े
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस पेड़ को फाइबर के स्रोत के रूप में नहीं खोजा गया था. किगेलिया पिन्नाटा डंठल से निकाला गया फाइबर टेक्निकल टेक्सटाइल सहित विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में काम आ सकता है. इस फाइबर का उपयोग विभाजन, मैट, गलीचा और कालीन विकसित करने के लिए कर सकते हैं.
हालांकि, वर्तमान में, इस फाइबर में लचीलापन कम है. लेकिन इसे और अधिक लचीला और नरम बनाने के लिए इसे और संशोधित किया जाएगा ताकि परिधान तैयार हो सकें और इससे अधिक डिजाइन बना सकें ताकि ज्यादा कमर्शियल वैल्यू मिले.