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36 घंटे की मेहनत कर छोटी सी उम्र में बनाए दो वर्ल्ड रिकॉर्ड...देश के लिए जीतना चाहते हैं गोल्ड

करण के इस मेहनत के पीछे उनके घरवालो ने भी उनकी पूरी मदद की. शुरुआती दौर में उनके इस शौक के कारण घर में उन्हें अपने पिता से जरूर डांट सुननी पड़ती थी लेकिन बाद में जब उन्होंने मेडलों की कतार लगाई तो घर वाले भी उनके साथ हो गए और अब बेटे ने जब एक नहीं बल्कि दो-दो रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं.

Karan Kumar Karan Kumar
हाइलाइट्स
  • गांव का नाम करें रोशन- पिता

  • पिता से पड़ी थी डांट

वाराणसी के करण ने छोटे सी उम्र में बड़ा कमाल किया है. 36 घंटे लगातार डबल डच (रस्सी कूदना) कर करण ने एक नहीं बल्कि दो रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराए हैं. करण की उम्र महज 18 साल है लेकिन इस छोटे सी उम्र में करण ने ये बड़ी उपलब्धि हासिल की है. करण वाराणसी के फुलवरिया इलाके का रहना वाला है और केंद्रीय विद्यालय 39 जीटीसी के 12 वीं का छात्र है. इस वर्ल्ड रिकॉर्ड कॉम्पटीशन का आयोजन कर्नाटका के होसपेट सिटी में किया गया था.

करण कुमार ने बताया कि इन दोनों वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए उन्होंने छः महीने तक कड़ी मेहनत की थी. वो हर रोज सुबह 4 बजे उठकर इसके लिए प्रैक्टिस किया करते थे. इसके प्रैक्टिस के बाद फिर वो स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई भी कर रहे थे. दिन में 5 से 6 घंटे वो इसके लिए प्रैक्टिस और इतना ही समय अपने पढ़ाई पर दिया करते है.

पिता से पड़ी थी डांट
करण के इस मेहनत के पीछे उनके घरवालो ने भी उनकी पूरी मदद की. शुरुआती दौर में उनके इस शौक के कारण घर में उन्हें अपने पिता से जरूर डांट सुननी पड़ती थी लेकिन बाद में जब उन्होंने मेडलों की कतार लगाई तो घर वाले भी उनके साथ हो गए और अब बेटे ने जब एक नहीं बल्कि दो-दो रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं तो घर के साथ पूरे मोहल्ले में भी जश्न का माहौल है.

ये दो रिकॉर्ड किया अपने नाम
अपनी मेहनत के बल पर करण कुमार ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के अलावा इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. करण ने बताया कि उनका सपना है कि वो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराकर पूरी दुनिया में काशी और देश का नाम रोशन करें.

देश के लिए लाना चाहता हूं गोल्ड मेडल
करण ने कहा, ''मैंने 36 घंटे का रिकॉर्ड बनाया है लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड 6 से 7 महीने से मैं इस पर प्रैक्टिस कर रहा था. हमारा ट्रायल मेरठ में हुआ था कई राज्यों से हम लोग में 9 लोग चुने गए थे. सुबह 4:00 बजे हम प्रैक्टिस करना स्टार्ट कर देते थे, पूरे 24 घंटे में मैं 5 घंटे प्रैक्टिस करता था और 6 से 7 घंटे पढ़ाई पर फोकस करता था. आगे जाकर मैं अपने देश के लिए खेलना चाहता हूं और गोल्ड मेडल लाना चाहता हूं. मैं यह चाहता हूं कि पूरी दुनिया जाने कि छोटे से गांव से निकलकर भी इंसान अपना नाम रोशन कर सकता है.

गांव का नाम करें रोशन- पिता
करण के पिता ने कहा कि वो चाहते हैं कि करण गांव और देश का नाम रोशन करें. उन्होंने बताया कि पहले जब स्कूल में प्रैक्टिस करके वो घर लेट आता था तो शुरू में मुझे गुस्सा आता था लेकिन बाद में मुझे अच्छा लगने लगा तो मैंने इसका सपोर्ट करना शुरू कर दिया मेरे बेटे को हर कोई आशीर्वाद दे रहा है सभी खुशी जाहिर कर रहे हैं.

(वाराणसी से बृजेश यादव की रिपोर्ट)