scorecardresearch

Motivational Story: गांव में अब तक नहीं पहुंची बिजली लेकिन लड़का मर्चेंट नेवी में बना इंजीनियर, अब एक रेस्टोरेंट के जरिए कर रहा गांव की तस्वीर बदलने की कोशिश

गांव का एक लड़का पढ़- लिखकर मर्चेंट नेवी में इंजीनियर बन जाता है, लेकिन अपने गांव को कभी नहीं भूलता है. ये कहानी है अजय की जिन्होंने अपने गांव के लोगों को रोजगार देने के लिए एक रेस्टोरेंट खोला है.

Ajay Ajay

तस्वीर में खाने की थाली हाथ में लिए युवक कोई शेफ नहीं है. दरअसल ये तो खाने की इन थालियों को सजाकर अपने गांव को संवारना चाहता है और विकास के रास्ते पर आगे ले जाना चाहता है. 31 साल के इस युवक का नाम अजय कुमार है. अजय मर्चेंट नेवी में इंजीनियर हैं और बिहार के रहने वाले हैं. दरअसल अजय एक बेहद पिछड़े गांव से आते हैं जो कभी उपद्रवियों का गांव माना जाता था. आज भी गांव के हालात ऐसे हैं कि वहां बिजली नहीं है.

मां के एक आइडिया ने पहुंचा दिया शहर
अजय आज पढ़ लिखकर मरीन इंजीनियर बन चुके हैं. लेकिन बिहार के जिस गांव से अजय आते हैं वो बेहद पिछड़ा हुआ है. अजय बिहार के कैमूर जिले के भुईफोर गांव के रहने वाले हैं. अजय बताते हैं कि उनके गांव और आस पास का माहौल पढ़ाई लिखाई का बिलकुल नहीं था. गांवों में बेहद गरीबी थी. पिता भले ही पुलिस में सरकारी नौकरी करते हैं लेकिन पिता का परिवार इतना बड़ा था कि जिम्मेदारियों के चलते अजय और उनके भाई को गांव में ही रहना पड़ता था. गांव में पढ़ाई के लिए कोई अच्छा स्कूल नहीं था.

लेकिन एक बार अजय की मां बीमार हुईं और पिता को इलाज के लिए उन्हें शहर लेकर जाना था. मां ने अजय को समझाया कि अगर तुम्हारे पिता शहर लेकर न चलें तो तुम रोना शुरू कर देना ताकि उन्हें तुम्हें भी शहर लेकर जाना पड़े. अजय ने यही किया और शहर पहुंचते ही कुछ दिन बाद पिता ने उनका एक ठीक-ठाक स्कूल में एडमिशन करवा दिया.

सम्बंधित ख़बरें

अच्छे नंबर के प्रेशर में एग्जाम के पहले हुए बीमार
अजय बताते हैं कि मां की बीमारी के बहाने वो गांव से शहर पहुंच गये. स्कूल में एडमिशन भी हो गया लेकिन वह गांव का इकलौता पहला ऐसा लड़का था जो गांव से बाहर शहर में पढ़ाई कर रहा था. इसके चलते गांव और परिवार के लोगों की बहुत उम्मीदें हो गई कि ये लड़का जीवन में जरूर कुछ अच्छा करेगा और एग्जाम में भी अच्छे नंबर लेकर आएगा. अजय बताते हैं कि इस प्रेशर के चलते 10वीं के एग्ज़ाम के एक पहले उनकी तबियत बेहद खराब हो गई जिससे उनके एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं आए.

क्यों चुनी इंजीनियरिंग? 
अजय बताते हैं कि टेंथ में अच्छे नंबर तो नहीं आए थे लेकिन पढ़ने का मन बहुत था. पहले परिवार और खुद अजय की सोच थी कि पढ़ लिखकर सेना या पुलिस का हिस्सा बनना है. फिर अजय को अपने दोस्तों से बीटेक के बारे में पता चला. उन्हें ये पता चला कि इंजीनियर की तनख़्वाह बहुत अच्छी होती है, पैसे बहुत मिलते हैं. इसके बाद से अजय ने इंजीनियर बनने की ठान ली. घरवालों के पास उन्हें कोटा भेजने के पैसे नहीं थे, ऐसे में किसी ने उन्हें आनंद सर की क्लास के बारे में बताया और वो वहां पहुंच गए.

गांव की महिलाओं को देंगे रोजगार
आज अजय सफल हैं. उनकी नौकरी अच्छी चल रही है, लेकिन फिर भी उन्होंने नोएडा में 'बिहार ए बनारस' नाम का एक रेस्टोरेंट शुरू किया है. उनके रेस्टोरेंट में बनारस की कचौड़ी और बिहार के लिट्टी चोखा का ओरिजनल स्वाद मिलता है. लेकिन इससे बढ़कर इस रेस्टोरेंट का एक खास मकसद है. अजय बताते हैं कि इस रेस्टोरेंट में वो अपने गांव की महिलाओं को नौकरी देंगे.  इसके लिए उन्होंने अपने गांव में घर पर ही महिलाओं की ट्रेनिंग देना शुरु कर दिया है. जब वो गांव में काम सीख जाएंगी तो उन्हें शहर में लाकर अजय के ही रेस्टोरेंट में नौकरी दे दी जाएगी. अजय का मकसद है कि अपनी इस सैलरी से महिलाएं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगी और अच्छे स्कूल भेज पाएंगी.  यही इस रेस्टोरेंट का उद्देश्य है.