झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में मौजूद गुदड़ी गांव में हजारों ग्रामीणों ने पीएलएफआई उग्रवादियों (PLFI Militants) के आतंक से तंग आकर एक बड़ा अभियान शुरू किया है. ग्रामीणों ने अभियान के तहत अब तक चार पीएलएफआई उग्रवादियों को मौत के घाट उतार दिया है. जिन उग्रवादियों को मारा गया है उनमें शुक्रवार को मारे गए पीएलएफआई उग्रवादी एरिया कमांडर मेटा टाइगर और गोमिया शामिल हैं.
इससे पहले सोमवार को भी दो अन्य उग्रवादियों के मारे जाने की सूचना है. पीएलएफआई उग्रवादी निर्दोषों की जान लेकर आतंक का पर्याय बन रहे थे. लेकिन अब तक़रीबन 30 हजार ग्रामीण पारंपरिक हथियारों के साथ उग्रवादियों की तलाश में जंगल में घूम रहे हैं. ग्रामीणों ने स्थानीय भाषा में इस तरह के अभियान को सेंदरा अभियान का नाम दिया है.
क्या है सेंदरा अभियान?
सेंदरा का मतलब होता है शिकार करना. ग्रामीण पीएलएफआई उग्रवादियों के आतंक से इतना परेशान हो चुके थे की 30 हजार की संख्या में ग्रामीणों ने उनका 'शिकार' करना शुरू कर दिया है. सेंदरा अभियान की खबरें जब सुर्खियां बनाने लगीं तो जिले के डीसी कुलदीप चौधरी और एसपी आशुतोष शेखर को तीन दिन बाद गुदड़ी प्रखंड का दौरा करना पड़ा.
अचानक मंगलवार को अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी प्रखंड कार्यालय पहुंचे डीसी, एसपी और अन्य अधिकारीयों ने कई गांव के ग्रामीण मुंडा के साथ बैठक कर पूरे मामले की जानकारी ली. प्रशासन ने पूरी कोशिश की कि मीडिया को इस बैठक से दूर रखा जाए. हालांकि बैठक के बाद डीसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि क्षेत्र के विकास और अन्य मुद्दों पर चर्चा की गयी है.
जब मिडिया ने क्षेत्र में फैली हिंसा और हत्याओं का मामला उठाया तो एसपी ने कहा कि पुलिस और सुरक्षाबल मारे गए पीएलएफआई उग्रवादियों के शव की तलाश कर रही है.
कैसे शुरू हुआ यह अभियान?
दरअसल कुछ दिन पहले पीएलएफआई उग्रवादियों ने गुदड़ी में दो युवकों की हत्या कर दी थी. जानकारी मिली थी की उग्रवादी बालू के अवैध कारोबार में अपना वर्चस्व कायम करना चाहते थे. जिसको लेकर उन्होंने रवि तांती और घनसा टोपनो नाम के दो युवकों की हत्या कर दी थी.
इस हत्याकांड से ग्रामीणों में पीएलएफआई उग्रवादियों के खिलाफ इतना गुस्सा भड़का कि सिर्फ गुदड़ी ही नहीं, बल्कि सोनुआ, गोईलकेरा, आनंदपुर, रानिया और बंदगांव सहित आसपास के कई गांवों के हजारों ग्रामीण एकजुट हो गए और सेंदरा अभियान शुरू कर दिया.
हाथों में तीर-धनुष लेकर ढूंढे उग्रवादी
सेंदरा अभियान के तहत हाथों में तीर धनुष लेकर क्षेत्र में सक्रिय पीएलएफआई उग्रवादियों की तलाश में हजारों ग्रामीण जुट गए. ताज्जुब की बात यह है की इतने बड़े पैमाने में गुदड़ी में सेंदरा अभियान चलाया गया लेकिन पुलिस को शुरूआती कुछ दिनों तक इसकी भनक तक नहीं लगी. ग्रामीणों ने बीहड़ जंगलों में पारंपरिक हथियार से लैस होकर दो पीएलएफआई उग्रवादी मेटा टाइगर और गोमिया को ढूंढ निकाला. इसके बाद दोनों की तीर धनुष, पत्थर और अन्य पारंपरिक हथियारों से हत्या कर दी गई.
पुलिस ने अब तक इस घटना की पुष्टि नहीं की है लेकिन गुदड़ी के बीहड़ जंगलों से लगातार उग्रवादियों के मारे जाने की खबर आ रही है. गुदड़ी के बीहड़ जंगलों में चल रहे सेंदरा अभियान ने एक बार फिर से उस घटना की भी याद को ताज़ा कर दिया है जब गुदड़ी के बुरुगुलिकेरा गांव में सात पीएलएफआई उग्रवादियों की ग्रामीणों ने बेरहमी से पीट पीटकर हत्या कर दी थी.
पहली बार नहीं हो रहा सेंदरा अभियान
पश्चिम सिंहभूम में सेंदरा अभियान कोई नया नहीं है. इससे पहले जिले के चक्रधरपुर के झरझरा टोकलो ईलाके में जेएलटी उग्रवादी संगठन के खिलाफ बड़े पैमाने पर सेंदरा अभियान चला था. इसमें दर्जनों जेएलटी उग्रवादियों को चुन-चुन कर पारंपरिक हथियारों से मौत के घाट उतारा गया था. उसके बाद गुदड़ी में भी सेंदरा अभियान चलाकर दो बार 7-7 पीएलएफआई उग्रवादियों को मारा गया.
गुदड़ी में उग्रवादियों के खिलाफ चल रहे इस सेंदरा अभियान को लेकर झारखंड के डीजीपी से जब पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने ग्रामीणों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि उग्रवादियों और नक्सलियों के खिलाफ गांव में भी असंतोष है. लोग इतना परेशान हो चुके हैं कि अब नक्सलियों की हत्या कर रहे हैं.
सूबे के एक बड़े पुलिस अधिकारी ने कानून हाथ में लेने के इस अभियान को एक तरह से जायज ठहरा दिया है. ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या अपराध को खत्म करने के लिए आम लोगों को अपराधी बनाना जरुरी है?
जिस उग्रवादी को ग्रामीणों ने ढूंढ निकाला, क्या उसे पुलिस नहीं ढूंढ सकती थी? क्या उग्रवादी की मौत की घटना को लेकर कोई मामला दर्ज होगा. अगर मामला दर्ज होगा तो इस मामले की जद में कौन आएंगे. किन लोगों को कोर्ट कचहरी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे कई सवाल हैं जो इस सेंदरा अभियान को लेकर लोगों के मन में कौंध रहे हैं.