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नाक से टाइपिंग कर अपने नाम किए 15 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानिए विनोद चौधरी के बारे में

विनोद चौधरी ने टाइपिंग करके ये रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किए हैं. खास बात ये है कि रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला हाथ की टाइपिंग से नहीं हुआ बल्कि उन्होंने अपनी नाक से टाइपिंग करना शुरू किया और दुनिया भर में भारत की नाक ऊंची कर दी.

Vinod Kumar Chaudhary Vinod Kumar Chaudhary

कहते हैं जहां चाह होती है वहीं राह होती है, लेकिन चाह को राह तक ले जाने का सफर मुश्किलों से भरा होता है. दिल्ली के रहने वाले विनोद चौधरी ने अपनी चाह को राह बनाने का फैसला 9 साल पहले किया और फिर साल 2014 से लेकर अबतक 15 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर लिए और ये सिलसिला अभी जारी है क्योंकि विनोद चाहते हैं कि वो भारत में सबसे ज्यादा गिनीज बुक रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करें. अब आप सोचेंगे भला विनोद चौधरी ने ऐसा क्या किया कि 15 रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किए.

दरअसल विनोद चौधरी ने टाइपिंग करके ये रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किए हैं. खास बात ये है कि रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला हाथ की टाइपिंग से नहीं हुआ बल्कि उन्होंने अपनी नाक से टाइपिंग करना शुरू किया और दुनिया भर में भारत की नाक ऊंची कर दी. एक रात टीवी देखते हुए उन्होंने देखा कि दुनिया में लोग हाथों के अलावा नाक से भी टाइप कर सकते हैं. ये सुन कर पहले तो उन्हें हैरानी हुई लेकिन फिर ये करने की इच्छा जागी और फिर क्या पूरी रात बिना सोए विनोद ने टाइपिंग शुरू की, अब हाथ से टाइपिंग तो पहले से ही आती थी उसकी मदद लेते हुए विनोद ने नाक से टाइपिंग शुरू की और कुछ ही दिनों में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. उस वक्त उन्होंने 47 सेकंड में 103 अल्फाबेट लिखने का रिकॉर्ड बनाया था. इसके बाद अलग-अलग कैटेगरी जैसे आंखों पर पट्टी बांध कर टाइपिंग इसके अलावा मुंह में स्टिक लेकर उससे टाइपिंग में विनोद ने रिकॉर्ड अपने नाम करना शुरू कर दिया. हाल ही में उन्होंने सीरियल अल्फाबेट टाइपिंग में रिकॉर्ड कायम किया और कुल 27 सेकंड में 26 अल्फाबेट टाइप किए जिसमें स्पेस बटन भी शामिल होता है.

विनोद चौधरी के नाम फिलहाल 15 रिकॉर्ड दर्ज है. वो कई कैटेगरी को सेट करने वाले पहले शख्स भी हैं. यानी वो पहले शख्स हैं जिन्होंने कई कैटेगरी को क्रिएट करने का काम किया है. अपने रिकॉर्ड्स पर बात करते हुए विनोद बताते हैं कि नाक से टाइपिंग करना आसान नहीं है क्योंकि जब अपना नाक से टाइप करते हैं तो आपको अल्फाबेट नजर नहीं आते इसके साथ ही तेजी से टाइप करते वक्त एक अल्फाबेट से दूसरे अल्फाबेट तक पहुंचने में सिर चकराने लगता है बावजूद इसके लगातार प्रैक्टिस के जरिए उन्होंने सिर्फ नाक से टाइपिंग की कैटेगरी में तीन रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं और बाकी अलग-अलग कैटिगरीज में उनके नाम 15 रिकॉर्ड दर्ज हैं.

विनोद को बचपन में एथलीट बनना था लेकिन घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खेलकूद में अपनी किस्मत को आजमा पाए, इसलिए उन्होंने टाइपिंग सीखी और इसे करना शुरू कर दिया. जेएनयू में भी उन्होंने बतौर टाइपिस्ट कई सालों तक नौकरी की लेकिन उसके बाद उन्हें लगा क्यों न अपनी इस कला को दुनिया भर में लोगों को दिखाया जाए और वो लोग जिनके हाथ नहीं है उनके लिए एक उदाहरण बनना चाहिए कि अगर हाथ नहीं हो तो वह नाक से भी टाइपिंग कर सकते हैं.

नौकरी छोड़ने के बाद विनोद ने टाइपिंग की अपनी इस कला से न सिर्फ दुनिया को रूबरू करवाया बल्कि अपना एक इंस्टिट्यूट भी खोला, जहां वह बच्चों को टाइपिंग की कला सिखाते हैं उनके इंस्टिट्यूट में टाइपिंग सीखने वाले कई बच्चों को अलग-अलग सरकारी विभाग में नौकरी भी मिल गई है और ये उनके लिए गौरव का पल है. अपनी फ्यूचर प्लानिंग को लेकर विनोद बताते हैं कि अभी रिकॉर्ड कायम करने का उनका सिलसिला थमने वाला नहीं है उनकी कोशिश है कि वह भारत में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड सेट करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज करें और इसी के साथ दुनियाभर में अपनी नाक की टाइपिंग स्किल से भारत का नाम रोशन करें.

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