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Inspiring: 'एक पैसेंजर ने बदल दी जिंदगी, कैब ड्राइवर बन गया एक्टर', हरियाणा की 150 फिल्मों में किया काम

विनोद मलिक की कहानी उन तमाम लोगों के लिए एक प्रेरणा है जिन्होंने पैसों के आगे अपने सपनों की क़ुर्बानी दे दी. विनोद कहते हैं मेहनत करो तो इंसान क्या कुछ हासिल नहीं कर सकता.

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दिल्ली के 48 साल के विनोद मलिक 28 साल से कैब चला रहे हैं. पिछले 3 साल से विनोद हरियाणा की छोटी बड़ी मिलाकर 150 से ज़्यादा फिल्म कर चुके हैं.

दिखने में ये आपको एक कैब ड्राइवर लगेंगे, 48 साल के विनोद मलिक पेशे से एक कैब ड्राइवर ही हैं. पिछले 28 साल से दिल्ली-NCR में वो कैब चला रहे हैं लेकिन अब उनकी एक और पहचान है. 48 साल के विनोद अब हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री के एक जाने माने एक्टर हैं. पिछले तीन साल में वह झमेला, खुराफाती मोनू, भाभी का सहारा समेत 150 से ज़्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं.

कोविड में एक पैसेंजर ने बदल दी ज़िंदगी
विनोद मलिक बताते हैं कि कोविड से पहले वो नोएडा की एक मल्टीनैशनल कंपनी में कैब चलाते थे लेकिन कोविड में सभी को वर्क फ्रॉम होम दे दिया गया. कैब वालों को छुट्टी दे दी गई. इस बीच मैंने फिर से अपनी एक्टिंग स्किल पर काम करना शुरू किया. इससे पहले 2008 में भी मैंने दो चार फिल्मों में काम किया था लेकिन फिर घर पर जिम्मेदारी की वजह से एक्टिंग छोड़कर कैब चलानी शुरू कर दी थी. वो बताते हैं कि एक दिन उनकी कैब में एक सवारी बैठी थी वो सज्जन फिल्म डायरेक्टर थे बातचीत में जब उनको मालूम पड़ा कि मैं अभी पहले एक्टिंग करता था तो उन्होंने मुझे जल्द ही काम देने की बात कही. मैंने भी हाँ में हाँ मिला दिया.
 

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पहली बार ऑफर आया तो मना कर दिया
विनोद मलिक बताते हैं कि पहली बार जब उनको काम के लिए ऑफर आया तो उन्होंने कहा कि आप लोग एक्टिंग के पैसे बहुत कम देते हो मुझे नहीं करना. इस पर डॉयरेक्टर ने कहा कि अच्छा ठीक है तुम 1 दिन के कैब के कितने पैसे लेते हुए उन्होंने बताया 3 हजार रुपया, वो बोले ठीक है तुम आ जाओ हम देख लेंगे उसके बाद वो सेट पर पहुंचे. वहां एक्टिंग भी की और जब मौका मिला तो कैब ड्राइविंग भी की.

किसान आंदोलन ने बनाया बड़ा एक्टर
विनोद बताते हैं कि पहले उन्हें छोटे छोटे रोल ही मिलते थे लेकिन किसान आंदोलन के वक़्त हमारी शूटिंग थी जो एक्टर विलेन का रोल कर रहा था उसे दूर से आना था लेकिन किसान आंदोलन से रास्ता बंद होने की वजह से वो दिल्ली तक पहुंच नहीं पाए और फिर काम करने से मना कर दिया. वो कहते हैं इसी बीच उन्हें मौका मिला. उनसे कहा गया कि विलेन का रोल कर लो. वह पहले से इस मौके के इंतजार में थे. उन्होंने झट से हां की और उसके बाद से उन्हें लोगों ने विलन के रूप में पसंद किया और उन्हें विलन के रोल मिलने शुरू हो गए.

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पहले मां नाराज़ होती थी कि तू गुंडा क्यों बनता है
विनोद मलिक बताते हैं कि जब दोबारा उन्होंने काम करना शुरू किया तो शुरू में घर वालों का रिएक्शन अच्छा नहीं था तो मां ने उनके विलेन वाले रोल को देखा तो बोली कि तू गुंडा क्यों बनता है, पत्नी ने भी इस काम को पसंद नहीं किया लेकिन बाद में जब घरवालों को विनोद के नाम और काम से पहचाना जाने लगा तो सभी उनके काम से खुश हो गए.

टाइम मिलते ही कैब में करते हैं एक्टिंग की प्रैक्टिस
जब विनोद मलिक के पास काम नहीं होता तो वो ख़ुशी ख़ुशी अपनी कैब चलाते हैं. जैसे ही सवारियों को उनके मंजिल तक पहुंचा देते हैं और खाली होते हैं तो तुरंत ही कैब में एक्टिंग की प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं. कभी डायलॉग डिलीवरी की प्रैक्टिस करते हैं तो कभी फेस एक्सप्रेशन की.

विनोद मलिक की कहानी उन तमाम लोगों के लिए एक प्रेरणा है जिन्होंने पैसों के आगे अपने सपनों की क़ुर्बानी दे दी. विनोद कहते हैं मेहनत करो तो इंसान क्या कुछ हासिल नहीं कर सकता.