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Home Gym: इस आदमी के पास नहीं थे जिम जाने के पैसे, तो घर पर ही बना डाली बिना बिजली के चलने वाली ट्रेडमिल... अब खरीदने के लिए लग रही लोगों की लाइन!

बढ़ई का काम करने वाले हरीश को अकसर बदन दर्द की शिकायत रहती थी. उन्होंने अपनी फिटनेस पर काम करने के लिए जिम जाने का फैसला किया. लेकिन जिम की फीस देखकर होश उड़ गए. उसके बाद उन्होंने खुद ही एक ट्रेडमिल बना डाली. खास बात यह है कि लकड़ी की इस ट्रेडमिल को चलाने के लिए बिजली की भी जरूरत नहीं है.

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हर रोज़ जिम जाकर एक्सरसाइज करना हमारी सेहत के लिए तो बहुत अच्छा होता है लेकिन इसके साथ कई तरह की अड़चनें भी जुड़ी होती हैं. कई बार लोग समय की कमी की वजह से जिम नहीं जा पाते तो कई बार जिम की फीस की वजह से. जिम का ख़र्च बहुत ज्यादा होने की वजह से तेलंगाना के वरंगल में रहने वाले एक बढ़ई ने घर पर ही ट्रेडमिल बना डाली है. इस ट्रेडमिल की खास बात यह है कि इसे चलाने के लिए बिजली की भी जरूरत नहीं है. 

कौन हैं लकड़ी की ट्रेडमिल बनाने वाले हरीश?
संगम मंडल के कत्रेपाला गांव में रहने वाले बढ़ई ए. हरीश बेड, सोफा और कुर्सियां बनाया करते थे. लेकिन कई-कई घंटों तक काम करने के कारण उन्हें बदन दर्द जैसी शिकायतें रहा करती थीं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि हरीश ने एक्सरसाइज करके अपना स्वास्थ्य सुधारने का फैसला किया लेकिन जब वह घर के पास वाले जिम गए तो उन्हें पता चला कि जिम की फीस कितनी ज्यादा है! 

सिर्फ यही नहीं, जब उन्हें मालूम हुआ कि एक ट्रेडमिल की कीमत लाखों तक हो सकती है तो उनके होश ही उड़ गए. हरीश ने पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता की तरह कारपेंटर बनने का फैसला किया था और इस काम को करते हुए वह जिम की महंगी फीस नहीं भर सकते थे. अपने फिटनेस गोल्स को पूरा करने के लिए उन्होंने खुद ही एक ट्रेडमिल बनाने का फैसला किया. लकड़ी से. 

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कैसे बनाई घर पर ट्रेडमिल?
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में हरीश कहते हैं, "जिम में ट्रेडमिल को देखने के बाद मैंने घर पर ही लकड़ी से एक ट्रेडमिल बनाने का फैसला किया. इसे बनाने में मुझे करीब 15 दिन लगे. मैंने लकड़ी और दूसरा सामान खरीदने में 13,000 रुपए खर्च किए. मेरे गांव वाले और घर वाले मेरा काम देखकर हैरान थे. इसे चलाने के लिए बिजली की भी जरूरत नहीं." 

हरीश कहते हैं, "इसे देखने के बाद हैदराबाद, विजयवाड़ा और मछिलीपट्टनम से लोग इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. मैं एक ट्रेडमिल के 15,000 रुपए ले रहा हूं." हरीश कहते हैं कि उनके पिता उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं. उन्होंने हमेशा हरीश की हौसलाअफज़ाई की है. उनका कहना है कि अगर सरकार उनका समर्थन करे तो वह ऐसी कई ट्रेडमिल बना सकते हैं जो बिना बिजली के चलें.