scorecardresearch

मांसाहारी नहीं है दुनिया की सबसे बड़ी व्हेल शार्क, रिसर्च में हुआ खुलासा

व्हेल शार्क के टिश्यूस में वो यौगिक मिले हैं जो सरगासम में पाए जाते हैं. धरती पर जो सबसे बड़े जीव हैं, वो हमेशा से शाकाहारी रहे हैं.

shark shark
हाइलाइट्स
  • सर्वाहारी खाद्य शृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

  • दुनिया की सबसे बड़ी शार्क मांसाहारी नहीं है.

अगर आपको लगता है कि 32 फीट लंबी और 41,000 पाउंड वजन वाली दुनिया की सबसे बड़ी शार्क मांसाहारी होगी तो आप गलत हैं. हाल ही में हुए नए अध्ययन से पता चला है कि व्हेल शार्क मांसाहारी नहीं होती हैं, ये भोजन के रूप में शैवाल से पोषक तत्व निकालती हैं. आमतौर पर इनके लिए यही माना जाता था कि यह क्रिल, झींगा और छोटी मछलियां खाती हैं.

हैरान कर देने वाली खोज

शोधकर्ताओं ने इन 10 मीटर विशालकाय महासागरीय जीवों के शारीरिक अपशिष्ट और चर्म नमूने लिए और उनका अध्ययन कर पाया कि बहुत ज्यादा पानी के साथ ही ये क्रिल तो खाते हैं, लेकिन उनका मेटाबॉलिज्म में योगदान नहीं होता यानि वे उन्हें ज्यादा नहीं खाते हैं. 

मछलियों के साथ पौधे भी खाती है शार्क

ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस फिश बायोलॉजिस्ट डॉ मार्क मीकन ने कहा, 'यह रिसर्च हमें व्हेल के भोजन को लेकर पुनर्विचार करने पर मजबूर करती है. क्योंकि ताजा शोध यह साबित करते हैं कि शार्क एक सर्वाहारी जीव है. जोकि पौधों और समुद्री जीवों को खाती है. धरती पर जो सबसे बड़े जीव हैं, वो हमेशा से शाकाहारी रहे हैं.' यह रिसर्च जर्नल इकोलॉजी में प्रकाशित हुई है.

जमीन और पानी में विकास की प्रणाली लगभग समान

सर्वाहारी खाद्य शृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में कोई भी जीव भोजन के लिए सदैव किसी दूसरे जीव पर निर्भर होता है. बड़े समुद्र जीवों को लेकर हमेशा से यह माना जाता रहा है कि ये झींगा और छोटी मछलियों को अपना आहार बनाते हैं. लेकिन ताजा शोध यह बताता है कि जमीन और पानी में विकास की प्रणाली इतनी भी अलग नहीं है, जितनी हम सोचते हैं.

खत्म हो गईं 70 फीसदी से भी अधिक शार्क 

पिछले 75 सालों में व्हेल और शार्क जैसे जीवों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. खुले समुद्र में घूमने वाली शार्क भी समुद्री नौपरिवहन बेड़ों की शिकार होती हैं. व्हेल शार्क अपना सारा समय महासागरों की सतह के नीचे बिताती हैं, ऐसे में ये व्हेल शार्क सीधे जहाजों के रास्ते में आ जाती हैं. एक रिसर्च के मुताबिक साल 1970 के बाद से शार्क और रे मछलियों की संख्या में 70 फीसदी की गिरावट आई है.