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Uses of Cannabis Sativa: मेडिसिन से लेकर रस्सी बनाने तक, होली और भांग के अलावा भी कैनबिस के हैं कई उपयोग

होली पर भांग पीना बहुत आम बात है. आपको बता दें कि भांग हमें Cannabis Sativa या True Hemp Plant से मिलती है. लेकिन इस पौधे से सिर्फ नशा नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ मिलता है जो उपयोगी है.

Cannabis sativa plant (Photo: Wikimedia Commons) Cannabis sativa plant (Photo: Wikimedia Commons)

कैनबिस सैटिवा या भांग के पौधे से निकाली जाने वाली भांग का होली के त्योहार से गहरा रिश्ता है. भारतभर में होली के मौके पर भआंग वाली ठंडाई पी जाती है. हालांकि, भांग का उपयोग सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि कई चीजों के लिए इसका प्रयोग होगा है- इसके औषधीय गुणों के लिए, कीटनाशक के रूप में, और धान के बीज के अंकुरण में भी भांग मददगार है.

कहां होती है भांग 
मैच्योर होने पर भांग का पौधा 4 से 10 फीट लंबा हो सकता है. यह मुख्य रूप से दक्कन क्षेत्र के साथ-साथ भारत-गंगा के मैदानी इलाकों - हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में पाया जाता है. कैनबिस को तेलुगु में गंजाई, तमिल में गांजा और कन्नड़ में बंगी कहा जाता है. भांग का पौधा बंजर भूमि पर भी उगता है और इसे सड़कों के किनारे भी आसानी से देखा जा सकता है. 

भांग के पौधे से तीन उत्पाद मिलते हैं - फाइबर, तेल और नशीले पदार्थ. भांग को पौधे के बीज और पत्तियों से निकाला जाता है, जिन्हें पाउडर में बदल दिया जाता है. फिर, पाउडर को फ़िल्टर करके पीने के लिए तैयार किया जाता है. इसे अक्सर होली पर ठंडे, सुगंधित दूध या ठंडाई के साथ मिलाया जाता है.

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और कई चीजो के लिए  उपयोगी है भांग 
कैनबिस का प्रयोग मैन्यूफैक्चरिंग में भी किया जाता है. उदाहरण के लिए, गांजे के बीज के तेल का इस्तेमाल वार्निश इंडस्ट्री में अलसी के तेल के विकल्प के रूप में और साबुन के निर्माण में किया जाता है. इसके कई औषधीय उपयोग भी हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कृषि में स्वदेशी तकनीकी ज्ञान की अपनी सूची में भांग के विभिन्न उपयोगों के बारे में लिखा है, जो स्वदेशी तकनीकी ज्ञान के कलेक्शन, डॉक्यूमेंटशन और वैलिडेशन पर एक प्रोजेक्ट है.  यह 2002-03 में प्रकाशित हुआ था. 

भांग के पौधे की राख से पशुओं का उपचार
ICAR के अनुसार, हेमेटोमा के मामलों में भांग की राख को जानवरों की त्वचा पर लगाया जाता है. हेमटोमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड वेसल्स के बाहर ब्लड क्लोट जम जाता है. ये इलाज उत्तराखंड के कुमाऊं की पहाड़ियों में देखा गया है. 

रस्सियां बनाने के लिए भांग से फाइबर और बीज निकालना
भांग की खेती हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा के छोटा/बड़ा भंगाल और मंडी जिले के करसोग क्षेत्र में की जाती है. नशीले पदार्थों के लिए यह खेती अवैध है लेकिन राज्य औद्योगिक या बागवानी उद्देश्यों के लिए इसके फाइबर और बीज लेने के लिए भांग की कंट्रोल्ड और रेगुलेटेड खेती की अनुमति देते हैं. पकने के बाद कटी हुई फसल को सूखने के लिए अलग रख दिया जाता है. सूखने के बाद बीजों को इकट्ठा कर लिया जाता है और तने व शाखाओं से फाइबर अलग कर लिए जाते हैं. यह फाइबर जूट से भी ज्यादा मजबूत होता है और इसका उपयोग रस्सियां बनाने में किया जाता है.

धान के बीज के अंकुरण के लिए 
ICAR दस्तावेज़ में जम्मू-कश्मीर के शेर-एटेम्परेचर कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. एम. पी. गुप्ता ने कृषि में भांग के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया है. भांग के साथ धान के बीज का ट्रीटमेंट करने से बीज के अंकुरण पर प्रभाव प़ड़ता है. यह ट्रीटमेंट जम्मू और कश्मीर के इलाकों में आम है, जहां नर्सरी तैयार के दौरान तापमान कम होता है. भांग (कैनाबिस सैटिवा) की हरी पत्तियों को पीसकर रस निकाला जाता है. धान के बीज को पानी वाले एक कंटेनर में डाला जाता है और निकाले गए रस को कंटेनर में मिलाया जाता है. यह तकनीक सरल और सस्ती है. 

कीटनाशक के रूप में भांग का उपयोग
IACR के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के सोलकी क्षेत्र के किसान धान की नर्सरी में थ्रेडवर्म को नियंत्रित करने के लिए भांग के पौधों का उपयोग करते हैं. थ्रेडवर्म को नियंत्रित करने के लिए भांग के पौधे को उखाड़कर धान की नर्सरी के खड़े पानी में रखा जाता है. अगर यदि समस्या गंभीर हो तो कीड़े मारने के लिए पत्तियों को पीसकर खड़े पानी में डाल दें.