नेपाल के मानसलू बेस कैंप में रविवार को भीषण हिमस्खलन हुआ. इस घटना की पुष्टि ताशी शेरपा ने की, जो 8,163 मीटर की ऊंचाई पर दुनिया के आठवें सबसे ऊंचे पर्वत पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे.
ताशी ने इस घटना का एक वीडियो शेयर किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिमस्खलन में कुछ तंबू नष्ट हो गए हैं. हालांकि, किसी की जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन आज 3 दर्जन से अधिक तंबू क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
बताया जा रहा है कि इस कारण कई एक्सपीडिशन कंपनियां अब आगे नहीं बढ़ रही हैं. खासकर कि पिछले सप्ताह हिमस्खलन के कारण हुई दो लोगों की मौत के कारण लोग अपने अभियान से पीछे हट रहे हैं.
एक दर्जन से ज्यादा लोग हुए थे घायल
नेपाल के पर्यटन विभाग के अनुसार, 26 सितंबर को शिविर 4 के ठीक नीचे हिमस्खलन के बाद एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे. इनमें एक भारतीय भी शामिल था. इस पूरे सीजन में मौसम बहुत अच्छा नहीं रहा है. कुछ दिन पहले भी पहाड़ में हिमस्खलन हुआ था.
इस साल मानसलू पर चढ़ने के लिए पर्यटन विभाग ने 400 से अधिक परमिट जारी किए गए थे.
क्या होता है हिमस्खलन
हिमस्खलन शब्द का अर्थ है बर्फ का खिसकना. जब कोई पहाड़ी या पहाड़ अचानक एक ढलान की ओर खिसकने लगे तो इसे हिमस्खलन कहते हैं. यह अचानक हो सकता है जैसे अत्यधिक वर्षा या घटते हिमपात के कारण, या बाहरी स्रोतों जैसे कि लोगों, जानवरों और भूकंपों के कारण हो सकता है.
बड़े हिमस्खलन ज्यादातर खिसकती बर्फ और हवा से होते हैं, और इनमें बर्फ, चट्टानों और पेड़ों को अपने साथ खिसकाने की क्षमता होती है. यह कई कारणों से होता है, जैसे भारी हिमपात, मानवीय गतिविधियों में वृद्धि, हवा की दिशा, खड़ी ढलान, गर्म तापमान, बर्फ की परतें और भूकंप आदि.
सिक्किम में है पहला हिमस्खलन निगरानी रडार
हिमस्खलन के कारण बहुत बार जान-माल की हानि होती है. इसलिए भारतीय सेना और रक्षा भू-सूचना विज्ञान और अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) ने संयुक्त रूप से इस साल सितंबर में उत्तरी सिक्किम में भारत में अपनी तरह का पहला हिमस्खलन निगरानी रडार स्थापित किया है.
हिमस्खलन का पता लगाने के लिए इस्तेमाल होने के अलावा, इस रडार को भूस्खलन का पता लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.