
बहुत से लोगों के लिए करियर में प्रमोशन पाना और कुछ सालों में सीनियर पद मिलते रहना जरूरी होता है. बहुत से लोग तो दिन-रात सिर्फ इसलिए ही मेहनत करते हैं कि उन्हें प्रमोशन मिले और उनका पद बढ़ जाए. हालांकि, अब यह सोच और ट्रेंड बदल रहा है. खासकर जनरेशन ज़ी प्रोफेशनल्स का माइंडसेट और एप्रोच करियर में आगे बढ़ने को लेकर बहुत अलग है. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन ज़ी के बीच 'कॉन्शियस अनबॉसिंग' ट्रेंड में है.
क्या होता है 'कॉन्शियस अनबॉसिंग'
अब सवाल है कि आखिर कॉन्शियस अनबॉसिंग है क्या? दरअसल, यह एक ट्रेंड के लिए इस्तेमाल हो रही टर्म है. पिछली पीढ़ियों के लोग अक्सर करियर में मैनेजेरियल रैंक पर पहुंचने की उम्मीद रखते थे. लेकिन आज के ज्यादातर युवा कर्मचारी व्यक्तिगत करियर रास्ता चुन रहे हैं जो प्रमोशन या हाइरैरकी से ज्यादा पर्सनल ग्रोथ पर फोकस करते हैं. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक रिक्रुमेंट कंपनी रॉबर्ट वाल्टर्स ने एक सर्वे किया था. सर्वे में यह पाया गया कि यूके में जेन जेड प्रोफेशनल्स में से 52% अपने करियर में मिड-मैनेजेरियल पॉजीशन नहीं लेना चाहते.
इससे पता चलता है कि आज की पीढ़ी के लोग पहले के लोगों की तुलना में काम को अलग तरीके से कैसे देखने लगी है. आज के लोग सिर्फ जॉब टाइटल पर फोकस नहीं कर रहे हैं. बल्कि वे करियर प्रोग्रेस और मैनेजमेंट रोल्स को सही मायनों में समझने की कोशिश कर रहे हैं कि जिंदगी में सफल होने के लिए ये कितने जरूरी हैं.
कोविड-19 महामारी का प्रभाव
अब बात करें कि आखिर जेन ज़ी मिडिल-मैनेजमेंट रोल्स के लिए क्यों मना कर रहे हैं तो इसका एक कारण कोविड-19 महामारी को भी देखा जा रहा है. कोविड-19 ने न सिर्फ काम करने का तरीका बदला बल्कि काम को लेकर सोच को भी बदला है. इस दौरान बहुत से जेन ज़ी प्रोफेशनल्स ने 'वर्क फ्रॉम होम' मोड में काम शुरू किया. बहुत से लोग आइसोलेशन में थे और करियर को लेकर अनिश्चित थे. इस कारण लाइफ और जॉब के बीच की लाइन ब्लर हुईं और सवाल उठने लगा कि आखिर जिंदगी में क्या ज्यादा मायने रखता है.
साथ ही, आज के जेन ज़ी डिजिटल ऐज में पले-बढ़े हैं और इस परवरिश की भी उनके विचारों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. तकनीक के साथ बड़े होने से बच्चों में उद्यमशीलता की भावना बढ़ी है. आज के लोग इंडिपेंडेंट काम करना चाहते हैं. जेन ज़ी ज्यादा इनक्लुसिव एनवायरमेंट में काम करना चाहते हैं. उनके हिसाब से किसी भी काम को मिलकर करने वाले लोग एक पेज पर हों और सभी जिम्मेदारी हो. उन्हें लगता है कि मिडिल मैनेजमेंट सीनियर-जुनियर का भेद करके टीम को डिवाइड कर देती है.
कंपनियां कैसे करें डील
इस बदलते वर्किंग ट्रेंड से कंपनियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सवाल है कि आखिर कंपनियां इससे कैसे डील करें. कंपनियों के लिए एक्सपर्ट्स सुझाव देते हैं कि मिडिल मैनेजमेंट को सुपरवाइजिंग से हटकर और ज्यादा मीनिंगफुल भूमिका पर फोकस करना चाहिए जिससे की फोकस टीम की सफलता पर हो. इसका मतलब है कोच और मेंटर के तौर पर काम करना, टीम को गाइडेंस देना ताकि टीमें प्रभावी ढंग से काम कर सकें.
इसके अलावा, कंपनियों को लोगों की पर्सनल ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए कुछ एडिशनल या अलग रोल्स लाने चाहिए. इसमें दो तरह से करियर ट्रैक होंगे: एक उन लोगों के लिए जो दूसरों को लीड और मैनेज करना चाहते हैं, और दूसरा उनके लिए जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में अपनी एक्सपर्टीज बढ़ाना चाहते हैं. कंपनियों को ऐसा एनवायरमेंट बनाने की जरूरत है जहां कर्मचारियों को लगाता सीखने का, अपनी स्किल्स को अपग्रेड करने का मौका मिलता रहे.